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कोरोना की जांच रफ्तार काफी धीमी, कई आर्डर के बाद भी नहीं पहुंची किट

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के देश में कोरोना की जांच करने वाली किट की कमी का मुद्दा उठाए जाने के बाद यह मामला फिर गरमा गया है। वैसे स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर का कहना है कि देश में टेस्टिंग किट्स की कोई कमी नहीं है।

Shivani Awasthi
Published on: 15 April 2020 2:32 AM GMT
कोरोना की जांच रफ्तार काफी धीमी, कई आर्डर के बाद भी नहीं पहुंची किट
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के देश में कोरोना की जांच करने वाली किट की कमी का मुद्दा उठाए जाने के बाद यह मामला फिर गरमा गया है। वैसे स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर का कहना है कि देश में टेस्टिंग किट्स की कोई कमी नहीं है। उधर जानकार सूत्रों का कहना है कि टेस्टिंग किट्स के चार बार ऑर्डर और पांच कंपनियों से करार के बावजूद अभी तक एक भी जांच किट नहीं मिली है।

राहुल ने उठाया किट्स की कमी का मुद्दा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने कोरोना की टेस्टिंग किट खरीदने में काफी देरी की। इसी कारण देश में कोरोना की जांच उतनी तेजी से नहीं हो पा रही है जितनी रफ्तार से होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में प्रति दस लाख केवल 149 लोगों के ही परीक्षण किए जा रहे हैं। हालत यह है कि लाओस, नाइजर और होंडुरास जैसे देश भी इस मामले में हमसे आगे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना से जंग जीतने के लिए टेस्टिंग ही असली कुंजी है और हम इसी में पिछड़ रहे हैं।



अन्य देशों की अपेक्षा जांच काफी कम

अगर अन्य देशों से तुलना की जाए तो राहुल गांधी की इन बातों में दम लगता है। जांच के मामले में देश आज भी लॉकडाउन से पहले वाली स्थिति में ही खड़ा है। हर रोज 219 प्रयोगशालाओं में औसतन 15.7 हजार जांच की जा रही है। प्रति दस लाख की आबादी पर भारत में 133 लोगों की जांच की जा रही है। इस मामले में दुनिया के अन्य देश भारत से काफी आगे हैं।

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टेस्टिंग किट्स के लिए 300 करोड़ का बजट

सरकार टेस्टिंग किट्स की कमी को दूर करने में जुटी हुई है सरकार ने 50 लाख टेस्टिंग किट्स के लिए 300 करोड़ रुपए का बजट तय कर रखा है। आईसीएमआर से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अप्रैल के अंत या मई के पहले सप्ताह में ही हर दिन एक लाख से ज्यादा जांच संभव हो सकेगी।

छह सप्ताह का किट का स्टॉक

आईसीएमआर के आर गंगाखेड़करका कहना है कि हम 33 लाख जांच किट्स का आर्डर कर रहे हैं। इसके अलावा 37 लाख रैपिड जांच किट्स हमें कभी भी मिल सकती हैं। उनका कहना है कि अभी हमारे पास टेस्टिंग किड्स का 6 सप्ताह का स्टॉक मौजूद है। देश में कम लोगों की जांच के मुद्दे पर आईसीएमआर ने कहा कि यदि कोई जांच कराना चाहता है तो वह करवा सकता है। हम किसी को जांच कराने से मना नहीं करते।

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चीन से जल्द पहुंचेगी जांच किट

डॉक्टर गंगाखेड़कर का कहना है कि चीन से जांच किट की पहली खेप 15 अप्रैल को भारत पहुंच जाएगी। इसके बाद जांच की प्रक्रिया में निश्चित रूप से तेजी आएगी। उन्होंने बताया कि अब तक 2,06,212 टेस्ट किए गए हैं। पीपीई किट के कारण डॉक्टरों के संक्रमित होने के दावे पर उन्होंने कहा कि यह कहना उचित नहीं होगा कि डॉक्टर पीपीई किट की वजह से संक्रमित हुए हैं।

जांच में तेजी लाने की जरूरत

आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक बताते हैं कि भारत में जांच की प्रक्रिया में तेजी लाने की आवश्यकता है। इसके लिए रैपिड टेस्ट किट होना बहुत जरूरी है जो आधे घंटे में ही यह पता कर सकती है कि व्यक्ति संक्रमित है या नहीं। अभी लैब टेस्टिंग में चार से पांच घंटे प्रति सैंपल में लग रहे हैं। अभी तक किट्स न मिलने के कारण सरकार लैब पर ही फोकस कर रही है।

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Shivani Awasthi

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