कोविड-19: कोरोना से बढ़ रहे डिप्रेशन के मरीज, जानें कैसे उबरें

कोविड-19 का असर अप्रत्यक्ष रूप से मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। मानसिक अवसाद की वजह से आत्महत्या के मामलों की खबरें है। कोई कमाई ठप्प होने से अवसाद में है तो कोई लगातार घर में बंद रहने की वजह से। किसी को भविष्य की चिंता खाए जा रही है तो किसी को करियर की।

suman
Published on: 13 April 2020 5:13 PM GMT
कोविड-19: कोरोना से बढ़ रहे डिप्रेशन के मरीज, जानें कैसे उबरें
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नई दिल्ली: कोविड-19 का असर अप्रत्यक्ष रूप से मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। मानसिक अवसाद की वजह से आत्महत्या के मामलों की खबरें है। कोई कमाई ठप्प होने से अवसाद में है तो कोई लगातार घर में बंद रहने की वजह से। किसी को भविष्य की चिंता खाए जा रही है तो किसी को करियर की।

पश्चिम बंगाल में एक युवक ने तो लॉकडाउन शुरू होने के पांच दिनों बाद ही आत्महत्या कर ली। उसने सुसाइड नोट में लिखा कि वह मानसिक अवसाद के चलते आत्महत्या कर रहा है। शिलांग के रहने वाले एक युवक ने आगरा में अपनी जान दे दी। उसका रोजगार ठप्प हो गया था। एक कोरोना पीड़ित युवक ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल की सातवीं मंजिल से कूद कर अपनी जान दे दी। पंजाब के अमृतसर में एक अधेड़ दंपती ने तो इस डर से जहर खा कर जान दे दी कि आगे चल कर उनको भी कोरोना वायरस का संक्रमण हो सकता है। केरल में लॉकडाउन के कारण शराब न मिलने से 7 लोगों ने सुसाइड कर लिया। यही वजह है कि राज्य सरकार ने शराब की दुकानों और बार को बंद करने का फैसला देरी से लिया। मेघालय में भी यही स्थिति है।

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हर वक्त डर के साये में

किसी को लगातार हाथ धोने की वजह से कोरोनाफोबिया हो गया है तो किसी को छींक आते ही कोरोना का डर सताने लगता है। ऐसे कई मरीज मनोचिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं। सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों ने स्थिति को और गंभीर कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि उनके पास सलाह के लिए आने वालों या फोन करने वालों में कई लोग ऐसे हैं जिनका मानसिक स्वास्थ्य पहले एकदम दुरुस्त था।

दिमाग पर असर

विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लोगों को भीड़ से डर लगने लगा है। लॉकडाउन की वजह से अवसाद और चिंता के लक्षण तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे जीवन पर खतरा भी बढ़ेगा। लॉकडाउन की वजह से लाखों लोग घर से काम कर रहे हैं। इसका मतलब जीवन को नए सिरे से व्यवस्थित करना है। इसका दिमाग पर भारी असर पड़ता है। सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहें भी दिमाग पर प्रतिकूल असर डालती हैं। लंबे समय से घरों में बंद रहने की वजह से पहले से इस बीमारी की चपेट में रहने वाले लोगों की समस्या और गंभीर हो रही है।

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9 करोड़ लोग पहले से अवसाद में

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक भारत की 1.30 अरब की आबादी में से नौ करोड़ से ज्यादा लोग किसी ना किसी किस्म के मानसिक अवसाद की चपेट में हैं। संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में वर्ष 2020 के आखिर तक 20 फीसदी आबादी के मानसिक बीमारियो की चपेट में आने का अंदेशा जताया था। देश में नौ हजार से कुछ ही ज्यादा मनोचिकित्सकों की वजह से हर एक लाख मरीज पर महज ऐसा एक डाक्टर ही उपलब्ध है। इससे परिस्थिति की गंभीरता का अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है। एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में अवसाद और घबराहट की बीमारियों से ग्रसित लोगों की तादाद वर्ष 1990 से 2017 के बीच बढ़ कर दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। लॉकडाउन की वजह से बढ़ते मानसिक अवसाद ने अब वैज्ञानिकों, सरकारों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि भारत आखिर इस मानसिक स्वास्थ्य संकट से कैसे उबर सकेगा? हर पांचवां भारतीय किसी न किसी तरह के मानसिक अवसाद से ग्रस्त है। इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी के अनुसार रोजाना सैकड़ों नए मामले भी सामने आ रहे हैं। कइयों के लिए यह लॉकडाउन उनके जीवन का सबसे अंधेरा दौर है। इसके सर्वे के मुताबिक कोरोना वायरस के आने के बाद देश में मानसिक रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या 15 से 20 फीसदी तक बढ़ गई है।

कैसे उबरें

मनोचिकित्सक मानसिक स्वास्थ्य दुरुस्त रखने के लिए कई तरीके सुझा रहे हैं। उनका कहना है कि लोगों को अपनी सोच सकरात्मक रखनी होगी। उनको सोचना होगा कि इस संकट में वह अकेले नहीं हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों पर आंख मूंद कर भरोसा करना छोड़ना होगा। किसी भी खबर पर भरोसा करने से पहले उसकी सच्चाई जांचना जरूरी है। इसके साथ ही गूगल पर बीमारी के लक्षण देकर अपने शरीर के लक्षणों से उसका मिलान करना उचित नहीं है। किसी भी बीमारी के लिए डाक्टरों पर ही भरोसा करना होगा। इसके अलावा लोग सांस लेने की कसरत कर सकते हैं और मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी लोगों से ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने, किताबें पढ़ने, फिल्में देखने, ध्यान लगाने, नृत्य करने और संगीत सुनने के लिए कहा है।

सभी कॉलेज मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन स्थापित करेंगे

यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन नंबर स्थापित करने का निर्देश दिया है। यूजीसी ने यह भी कहा है कि इस मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन पर विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों के काउंसर और फैकल्टी सदस्यों द्वारा नियमित निगरानी रखना भी जरूरी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय पहले ही कोविड-19 के दौरान किसी भी तरह के मानसिक परेशानी और समस्या के लिए हेल्पलाइन जारी कर चुका है। हेल्पलाइन नंबर 08046110007 है।

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