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कोवैक्सिन के इमरजेंसी ट्रायल पर विवाद, अब वैज्ञानिकों ने उठाए ये बड़े सवाल

अब जल्द ही देश में  कोरोना वैक्सीन  शुरू होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग को महामारी से सुरक्षा के लिए एक रणनीतिक बताया है।

suman
Published on: 4 Jan 2021 4:59 AM GMT
कोवैक्सिन के इमरजेंसी ट्रायल पर विवाद, अब वैज्ञानिकों ने उठाए ये बड़े सवाल
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कोवैक्सिन के इमरजेंसी ट्रायल पर सवाल, वैज्ञानिका ने उठाए ये बड़े सवाल

नई दिल्ली : कोवैक्सिन का ट्रायल चल रहा है। भारत में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोवीशील्ड और कोवैक्सिन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रीय कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्यों ने स्पष्ट किया कि भारत बायोटेक द्वारा विकसित किए जा रहे कोवैक्सिन का इस्तेमाल क्लीनिकल ट्रायल मोड पर किया जाएगा। अब जल्द ही देश में कोरोना वैक्सीन शुरू होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग को महामारी से सुरक्षा के लिए एक रणनीतिक बताया है।

फेज 3 ट्रायल का डेटा

कोवैक्सिन के फेज 1 और फेज 2 के ट्रायल तो उत्साहवर्धक हैं, लेकिन नवंबर में शुरू हुए फेज 3 ट्रायल का डेटा अभी तक पूरा नहीं आया है। इससे वैक्सीन की प्रभावकारिता को लेकर सवाल खड़े होते हैं। प्रभावकारी डेटा एक संकेत है कि वायरस के हमले को रोकने में टीका कितना प्रभावी है।

'कोवैक्सिन के मामले में डीसीजीआई ने जो सुरक्षा डेटा मांगा था वो कहां है। जाहिर है, कोई प्रभावकारिता डेटा अभी नहीं है। वहीं, अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक और राष्ट्रीय कोविद-19 टास्क फोर्स के सदस्य रणदीप गुलेरिया ने बताया कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को इसलिए मंजूरी दी गई थी कि अगर कोरोना के मामलों में अचानक से उछाल आया, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के टीके की उपलब्धता अपर्याप्त रही तो कम से कम हम कोवैक्सीन को क्लिनिकल ट्रायल मोड पर इस्तेमाल कर सकते हैं।

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क्लोज मॉनिटरिंग की अपील

इन वैज्ञानिकों फिलहाल क्लोज मॉनिटरिंग की अपील की है। वैक्सीन वैज्ञानिक और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. गगनदीप कांग ने कहा, 'अगर आप सितंबर में डीसीजीआई (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव पर नज़र डालते हैं, तो उसमें कहा गया था कि वे सुरक्षा और प्रभावकारिता डेटा चाहते थे। ऐसी उम्मीद थी कि सुरक्षा डेटा के लिए कम से कम दो महीने का वक्त लग जाएगा।

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वैज्ञानिकों ने कहा ...

वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील कहते हैं, 'सीरम इंस्टीट्यूट पहले ही कह चुका है कि उसके पास कम से कम 50 मिलियन खुराक तैयार है। ऐसे में भारत बायोटेक की वैक्सीन को तुरंत इस्तेमाल करने की जरूरत ही क्या है। उचि होगा कि सरकार कोवैक्सीन के तीसरे फेज का पूरा डेटा आने तक इंतजार करें। ट्रायल पहले से ही जारी है और प्रारंभिक डेटा कुछ ही हफ्तों में उपलब्ध होगा।

अशोक विश्वविद्यालय में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के एक वायरोलॉजिस्ट और निदेशक शाहिद जमील ने कहा, 'किसी भी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए भी प्राधिकरण को प्रभावकारिता डेटा की आवश्यकता होती है... ये भारतीय टीके आखिरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी जाएंगे। ऐसे में यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे नियामक संस्थानों में विश्वास हो। इन कंपनियों को नुकसान होगा।

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नई दिल्ली में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी के साथ काम कर चुके प्रतिरक्षाविज्ञानी सत्यजीत रथ कहते हैं, 'वैज्ञानिक स्वयं वैक्सीन की सुरक्षा या प्रभावशीलता पर सवाल नहीं उठा रहे, लेकिन संस्थागत प्रक्रिया के बारे में चिंता बढ़ा रहे हैं।

उन्होंने कहा, 'समस्या वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति के लिए किसी भी बढ़े हुए जोखिम के रूप में नहीं है। समस्या नियामक स्तर पर और नीतिगत स्तर पर है। जिस तरह से मंजूरी दी गई है, उसके साथ कई मुद्दे हैं, जो नियामक प्रणाली में लोगों का विश्वास खो सकते हैं।

यहां विजिट करें

बता दें कि दुनिया के 18 देशों में कोविड वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अब जल्द ही भारत में यह प्रक्रिया शुरू होने वाली है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट www.mohfw.gov.in पर विजिट करें।

भारत में कोरोना के मामले करोड़ों है, दुनिया भर में करोड़ों कों की मौत हो चुकी है। आए दिन हजारों लाखों लोग इससे संक्रमित हो रहे है। लोग मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की लाइफ जीने के आदी हो चुके है।अब सब को कोरोना वायरस से बचने के लिए कोरोना वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है।

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