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वैक्सीन पर बड़ी खबर: सरकार ने तो दिलाया भरोसा, लेकिन संशय है बरकरार

भारत बायोटेक के चैयरमैन डॉ. एल्ला का कहना है कि कंपनी के पास वैक्सीन बनाने का अनुभव है और लोग ट्रायल पर सवाल ना उठाएं। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ भारत में ही क्लीनिकल ट्रायल नहीं कर रहे हैं। हमने ब्रिटेन समेत 12 से ज्यादा देशों में ट्रायल किए हैं।

Shreya
Published on: 20 Jan 2021 4:26 PM IST
वैक्सीन पर बड़ी खबर: सरकार ने तो दिलाया भरोसा, लेकिन संशय है बरकरार
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वैक्सीन पर सरकार ने दिलाया भरोसा लेकिन बरकरार है संशय

नई दिल्ली: देश में कोरोना वैक्सीनेशन अभियान जारी है लेकिन अपेक्षित रफ़्तार नहीं पकड़ सका है। सरकार अपनी तरफ से लोगों को जागरूक करने उन्हें भरोसा दिलाने की पूरी कोशिश भी कर रही है। इसी सब के बीच वैक्सीन को लेकर कंपनियों के बीच ज़ुबानी जंग भी जारी है।

भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने 3 जनवरी को दो टीकों - कोविशील्ड और कोवैक्सीन के सीमित आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। इसी के साथ ही भारत एक साथ दो वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था। कोविशील्ड को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड-ऐस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर देश में तैयार किया है जबकि कोवैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी है और इसको भारत बायोटेक ने तैयार किया है।

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Dr Krishna Alla (फोटो- सोशल मीडिया)

वैक्सीन पर बयानबाजी

भारत बायोटेक के चैयरमैन डॉ. कृष्णा एल्ला ने कहा है कि वैक्सीन पर राजनीति हो रही है और ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ा है। उन्होंने दावा किया है कि कौवैक्सीन 200 फीसदी तक सुरक्षित है। दूसरी तरफ सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है अब तक सिर्फ तीन ही वैक्सीन की प्रभावशीलता साबित हुई है। उन्होंने कहा था फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-एक्स्ट्राजेनेका ही प्रभावशाली हैं और बाकी सभी वैक्सीन सिर्फ पानी की तरह सुरक्षित हैं।

क्यों उठ रहे हैं सवाल?

कोवैक्सीन पर हेल्थ एक्सपर्ट सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि क्लीनिकल ट्रायल मध्य नवंबर तक शुरू ही नहीं हुआ था। लेकिन भारत बायोटेक ने अपने बयान में कहा है कि उसने तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए अब तक 23 हजार प्रतिभागियों का सफलतापूर्वक पंजीकरण कर लिया है। आईसीएमआर के साथ मिलकर कोवैक्सीन को विकसित करनेवाली भारत बायोटेक का कहना है कि वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है। जबकि एम्स दिल्ली के निदेशक ने ये कह कर मामला गरमा दिया है कि कोवैक्सीन का इस्तेमाल बैकअप के रूप में हो सकता है।

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COVAXIN (फोटो- सोशल मीडिया)

अब दी चेतावनी

करीब चार लाख लोगों को वैक्सीन लगने के बाद भारत बायोटेक ने कहा है कि वैक्सीन बीमार लोगों और गर्भवती महिलाओं को नहीं लगाया जाना चाहिए। सवाल उठ रहे हैं कि ऐसे में इस वैक्सीन को टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल रखना कितना सही है।

केंद्र सरकार ने ये तो बताया है कि कितने लोगों को वैक्सीन दी गयी है लेकिन सरकार यह जानकारी नहीं दे रही है कि कितनों को सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड लगाई गई है और कितनों को भारत बायोटेक की कोवैक्सिन। लेकिन ये जरूर है कि केंद्र सरकार के अस्पतालों में सिर्फ कोवैक्सिन ही लगाई जा रही है।

भारत बायोटेक ने कहा- टीका सबके लिए नहीं

बहरहाल, भारत बायोटेक ने अब कहा है कि उसका टीका सबके लिए नहीं है। कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर एक फैक्ट-शीट जारी की है जिसमें बताया गया है कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कोवैक्सिन नहीं लेनी चाहिए। इसके अलावा जिन्हें कोई एलर्जी या बुखार हो, खून बहने से संबंधित कोई बीमारी हो, जिनकी इम्युनिटी कमजोर हो और इनके अलावा और कोई स्वास्थ्य संबंधी गंभीर शिकायत हो उन्हें कोवैक्सिन नहीं दी जानी चाहिए।

अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह जानकारी टीकाकरण शुरू करने से पहले सरकार के पास थी और क्या कोवैक्सिन देने के लिए फ्रंट लाइन वर्कर्स को चुनते समय इन बिंदुओं का ख्याल रखा गया था? सरकार ने अभी इस विषय में कुछ नहीं कहा है।

धीमी पड़ी रफ़्तार

वजह जो भी लेकिन टीकाकरण अभियान की रफ्तार अब धीमी पड़ रही है। देश के कई हिस्सों में कर्मचारी उतनी संख्या में टीकाकरण केंद्रों में नहीं आ रहे हैं जितनी अधिकारियों को उम्मीद थी। वैसे ये ट्रेंड सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका और इंग्लैंड में भी देखा गया है।

कुछ खबरों के अनुसार दिल्ली के 81 केंद्रों पर 18 जनवरी को तय लाभार्थियों में से सिर्फ 44 प्रतिशत लोग आए। लोक नायक अस्पताल में कार्यक्रम में तीन घंटों की देर हुई क्योंकि वहां सिर्फ दो लाभार्थी टीका लेने आए। एम्स दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर्स संगठन के पूर्व अध्यक्ष हरजीत सिंह भट्टी ने दावा किया है कि एम्स में भी सिर्फ आठ लाभार्थी कोवैक्सिन लेने आए जबकि तय था 100 लोगों का आना।

VACCINATION (फोटो- सोशल मीडिया)

साइड इफेक्ट्स भी बताये

भारत बायोटेक ने अपनी फैक्ट शीट में ये भी बताया है कि कंपनी को क्लिनिकल ट्रायल मोड में कोवैक्सिन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिली है और इसलिए जिन भी लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी, उन पर दूसरे खुराक के तीन महीने तक निगरानी रखी जाएगी। लाभार्थियों में किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या होने पर सरकारी और अधिकृत अस्पतालों में इलाज प्रदान किया जाएगा, वहीं वैक्सीन के कारण कोई गंभीर घटना होने पर कंपनी इसका मुआवजा देगी।

फैक्ट शीट के अनुसार, कोवैक्सिन लगवाने के बाद इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द, लालिमा, खुजली या सूजन, इंजेक्शन वाली बांह में कमजोरी और ऊपरी बांह में अकड़न जैसे आम साइट इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं। इसके अलावा शरीर में दर्द, सिर में दर्द, बुखार, कमजोरी, बेचैनी, चकत्ते, जी मिचलाना और उल्टी आदि साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिल सकते हैं, जो अन्य वैक्सीनों में भी देखे जाते हैं।

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साइड इफेक्ट्स को लेकर किया आगाह

भारत बायोटेक ने कोवैक्सिन के कुछ गंभीर साइड इफेक्ट्स को लेकर भी आगाह किया है। इनमें सांस लेने में परेशानी, चेहरे और गले में सूजन, दिल की धड़कन तेज होना, पूरे शरीर पर चकत्ते, चक्कर आना और कमजोरी महसूस होना आदि शामिल हैं।

भारत बायोटेक की वैक्सीन को कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए आईसीएमआर ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की। लगभग 23 हजार लोगों पर वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल अभी जारी है और ये कितनी प्रभावी है ये पता नहीं लगा है।

CORONA VACCINATION (फोटो- सोशल मीडिया)

घबराने की बात नहीं

अब सरकार ने वैक्सीनों का बचाव शुरू कर दिया है। 19 जनवरी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में काम ली जा रही दोनों वैक्सीनें अन्य वैक्सीनों की तुलना में अधिक सुरक्षित है। नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा कि वैक्सीनेशन अभियान में काम ली जा रही कोविशील्ड और कोवैक्सिन अन्य देशों की वैक्सीनों की तुलना में अधिक सुरक्षित है। डॉ पॉल ने कहा कि एक ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन अन्य देशों में प्राथमिकता वाले समूहों तक वैक्सीन पहुंचाने में संघर्ष कर रहा है, वहीं हमारे डॉक्टर और नर्स वैक्सीनेशन से दूर भाग रहे हैं। यह बहुत गंभीर स्थिति है।

उन्होंने कहा कि मैं दुखी हूं, और मैं उनसे हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि हमें अपनी गैर-कोविड सेवाएं भी शुरू करने की जरूरत है। ऐसे में चिकित्साकर्मियों को वैक्सीन लगाने की जरूरत है। वह इसमें सहयोग करें। डॉ पॉल ने ये भी कहा है कि वैक्सीनेशन अभियान को आगे बढ़ाया जाएगा। वैक्सीन की जितनी भी खुराकें बनती हैं, हम सुनिश्चित करेंगे कि वो ज्यादा से ज्यादा लाभार्थियों तक पहुंचे। ऐसा जल्द ही किया जाएगा।

वैक्सीनों का चुनाव

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोविशील्ड और कोवैक्सिन में वैक्सीनों का चुनाव करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों को दी गई है। केंद्र सरकार राज्यों की मांग के अनुसार वैक्सीनों की आपूर्ति करता है। उसके बाद राज्य सरकार तय करती है कि किस केंद्र पर कौनसी वैक्सीन भेजी जाएगी।

नीलमणि लाल

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