कोरोना मरीजों की खोज का नया तरीका, पॉटी और हवा से होगी संक्रमित इलाकों की पहचान

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने कोविड-19 की व्यापकता का पता लगाने के लिए सीवेज और एयर सर्विलांस सिस्टम के बारे में जानकारी दी।

Shivani
Published on: 30 March 2021 5:53 PM IST
कोरोना मरीजों की खोज का नया तरीका, पॉटी और हवा से होगी संक्रमित इलाकों की पहचान
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रामकृष्ण वाजपेयी

नई दिल्लीः कोरोना के संक्रमण की रफ्तार को थामने के लिए एक बड़ी खबर ये है कि अब कोरोना से बहुत अधिक संक्रमित इलाकों की पहचान के लिए लोगों की पॉटी यानी मल में जाने वाले कोरोना विषाणुओं और हवा में मौजूद विषाणुओं की निगरानी की जाएगी। सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने यह खोज कर ली है। कोरोना के अत्यधिक संक्रमण वाले इलाकों में एक बड़े समूह का परीक्षण संभव नहीं हो पाता है और आंकड़े भी जिन व्यक्तियों की जांच की गई है उनकी रिपोर्ट पर आधारित होते हैं। लेकिन इस पद्धति से बड़े पैमाने पर संक्रमण के बारे में एक अनुमान प्राप्त हो सकेगा।

CSIR ने संसद को दिया संक्रमित इलाकों की खोज का सुझाव

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने कोविड-19 की व्यापकता का पता लगाने के लिए सीवेज और एयर सर्विलांस सिस्टम के बारे में इस पद्धति का उपराष्ट्रपति और राज्‍यसभा के सभापति एम. वें‍कैया नायडू के समक्ष प्रस्तुतीकरण दिया है।

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पॉटी यानी मल से विषाणुओं की निगरानी

डॉ. मांडे के साथ डॉ. राकेश मिश्रा, निदेशक, सेंट्रल फॉर सेल्‍युलर एंड मॉल‍िक्‍यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) डॉ. एस. चन्‍द्रशेखर, निदेशक इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्‍नोलॉजी (आईआईसीटी), डॉ. वेंकटा मोहन, आईआईसीटी और डॉ. अत्‍या कापले, एनईईआरआई, नागपुर भी उपस्थित थे।

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सीवेज निगरानी से संक्रमित इलाको का चलेगा पता

सीएसआईआर महानिदेशक ने उपराष्‍ट्रपति को बताया कि सीवेज निगरानी किसी भी आबादी में संक्रमित लोगों की संख्‍या के बारे में गुणात्‍मक एवं मात्रात्‍मक अनुमान प्रदान करती है और इसका उपयोग कोविड-19 के बढ़ने की प्रक्रिया को समझने के लिए उस समय किया जा सकता है, जब बड़े पैमाने पर लोगों के परीक्षण करने संभव नहीं होते हैं। यह वास्तविक समय में समुदायों में कोविड के प्रसार की समग्र निगरानी करने का एक उपाय है।

कोविड-19 मरीजों के मल में एसएआर-सीओवी2 विषाणु

डॉ. मांडे ने सीवेज निगरानी की प्रासंगिकता पर कहा कि कोविड-19 मरीजों के मल में एसएआर-सीओवी2 विषाणु होते हैं और ये विषाणु रोगकारक लक्षणों वाले मरीजों के साथ-साथ बिना लक्षणों वाले मरीजों के मल में भी पाए जाते हैं और इस प्रकार से सीवेज में इस विषाणु के प्रसार से संक्रमण के रुझान के बारे में जानकारी मिल जाती है।

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डॉ. मांडे ने हैदराबाद, प्रयागराज (इलाहाबाद), दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, पुडुचेरी और चेन्नई में संक्रमण की प्रवृत्ति का पता लगाने के लिए सीवेज निगरानी से संबंधित आंकड़ों को भी पेश किया।

उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रकार से लोगों की संख्या के बारे में एक अनुमान प्राप्त हो जाता है, क्योंकि व्यक्तिगत स्तर पर नमूनाकरण किया जाना संभव नहीं होता है। दूसरी तरफ, नियमित परीक्षण से केवल वही आंकड़े हासिल हो सकते हैं, जिसमें व्यक्तिगत स्तर पर लोगों की जांच की गई है।

कोविड-19 के फैलने का समय पर लगेगा पता

डॉ. मांडे ने बताया कि कोविड-19 की सीवेज निगरानी न केवल इस महामारी को समझने में मदद करेगी, बल्कि भविष्‍य में कोविड-19 के फैलने और उसका समय पर जल्‍द से जल्‍द पता लगाने के लिए भी महत्‍वपूर्ण साबित होगी।

उन्‍होंने विषाणुओं के कणों और उनकी संक्रमण की क्षमता पर निगरानी रखने के लिए वायु नमूनाकरण प्रणाली स्‍थापित करने का भी सुझाव दिया।

उपराष्‍ट्रपति ने इन सभी वैज्ञानिकों को उनके कार्यों के लिए बधाई दी और प्रतिनिधिमंडल को आश्‍वासन दिया कि वह इस विषय पर लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला और सरकार के साथ चर्चा करेंगे।

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