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चीन की खतरनाक खुराफात से अलर्ट भारत, सीमा तक अपना नेटवर्क किया मजबूत
चीन की निगाहें लंबे अरसे से पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश पर रही हैं। वह अकसर उस सीमावर्ती इलाके में कभी पुल तो कभी रेलवे लाइन और बांध बनाता रहा है। अब ताजा मामले में सेटेलाइट तस्वीरों से यह बात सामने आई है कि उसने सीमा पर सौ से ज्यादा मकानों वाला एक नया गांव बसा लिया है।
नील मणि लाल
नई दिल्ली। भारत के साथ चीन लगातार उकसावे वाली हरकतें करता ही चला जा रहा है। पहले लद्दाख में घुसपैठ की और अब नार्थ ईस्ट में पैर फैला दिए हैं। एक साथ दो मोर्चों पर चीन की बदमाशी भारत के लिए बेहद चिंता का विषय है। दरअसल, अरुणाचल प्रदेश से चीन की सीमा लगी हुई है। चीन पहले भी मैकमोहन रेखा पार करके भारतीय इलाकों में घुसपैठ करता रहा है लेकिन अब तो उसने भारतीय जमीन पर पूरा का पूरा गाँव ही बसा दिया है। सैटेलाईट चित्रों से इस हरकत का पता चला है। एक नवंबर 2020 को सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों से पता चला है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के भीतर एक नया गांव बसा लिया है। 1962 के युद्ध में चीन की सेना अरुणाचल में काफी अन्दर तक घुस आई थी और तबसे चीन की निगाह इस क्षेत्र पर लगी हुई है। अपनी विस्तारवादी रणनीति के तहत चीन ने अरुणाचल सीमा तक अपना सड़क और रेलवे नेटवर्क मजबूती से खड़ा कर लिया है।
अरुणाचल पर निगाहें
चीन की निगाहें लंबे अरसे से पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश पर रही हैं। वह अकसर उस सीमावर्ती इलाके में कभी पुल तो कभी रेलवे लाइन और बांध बनाता रहा है। अब ताजा मामले में सेटेलाइट तस्वीरों से यह बात सामने आई है कि उसने सीमा पर सौ से ज्यादा मकानों वाला एक नया गांव बसा लिया है। महज एक साल पहले यहाँ जंगल था। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह इस मामले पर नजदीकी निगाह रखते हुए जरूरी कदम उठा रहा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीन बीते कुछ बरसों से खासकर पूर्वोत्तर सीमा पर तेजी से बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है। इनमें सड़क, ब्रिज, बांध और रेलवे लाइन शामिल हैं। भारत भी सीमावर्ती इलाके में बुनियादी ढांचा मजबूत करने पर ध्यान दे रहा है। उन इलाकों में सड़कों के अलावा ब्रिज बनाए गए हैं। सरकार का कहना है कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। चीन की ओर से भारतीय सीमा में गांव बसाने की पुष्टि के बाद इस मामले में जरूरी कार्रवाई की जाएगी।
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साढ़े चार किलोमीटर भीतर अतिक्रमण
तस्वीरों के विश्लेषण के बाद विशेषज्ञों ने कहा है कि ये गांव भारतीय सीमा में करीब साढ़े चार किलोमीटर भीतर बसाया गया है। उस गांव के अरुणाचल के अपर सुबनसिरी जिले में त्सारी नदी के किनारे होने का दावा किया गया है। वह इलाका लंबे अरसे से भारत और चीन के बीच विवादित रहा है और वहां कई बार दोनों देशों की सेना के बीच हिंसक झड़पें भी हो चुकी हैं। विशेषज्ञों ने 26 अगस्त 2019 को ली गई सेटेलाइट तस्वीरों से ताजा तस्वीर के मिलान के बाद कहा है कि ये गांव एक साल के भीतर बसाया गया है और इसमें 101 मकान हैं।
70 किलोमीटर तक अतिक्रमण
अरुणाचल के भाजपा सांसद तापीर गाओ ने पहले ही अपर सुबनसिरी में चीन की गतिविधियां तेज होने की जानकारी केंद्र सरकार को दी थी। गाओ के अनुसार चीन ने इलाके में एक हाइवे का निर्माण किया है। चीन ने अपर सुबनसिरी जिले में भारतीय इलाके में करीब 70 किलोमीटर तक अतिक्रमण कर लिया है। अब नया गांव बसाना भारत के लिए बेहद चिंता की बात है।
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ब्रह्मपुत्र पर बाँध
चीन पहले से ही सीमावर्ती इलाकों में सक्रियता दिखाता रहा है लेकिन बीते साल बलवान घाटी में विवाद के बाद उसने पूर्वोत्तर इलाके में अपनी गतिविधियां काफी तेज कर दी हैं। अरुणाचल प्रदेश से सटे इलाके में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल बांध बनाने का चीन का फैसला भारत के लिए चिंताजनक है। चीन पहले ही तिब्बत में 11 हजार 130 करोड़ रुपये की लागत से एक पनबिजली केंद्र बना चुका है। 2015 में बना यह चीन का सबसे बड़ा बांध है। भारत और बांग्लादेश, दोनों ही देश ब्रह्मपुत्र के पानी का इस्तेमाल करते हैं। भारत ने चीन को अपनी चिंताओं से साफ अवगत करा दिया है। हालांकि चीन ने इन चिंताओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह दोनों देशों के हितों का ध्यान रखेगा।
बड़ा रेलवे प्रोजेक्ट
अब अपनी नई रणनीति के तहत चीन इस इलाके में एक नई रेलवे परियोजना पूरा करने की तैयारी में है। इससे अरुणाचल प्रदेश सीमा तक उसकी पहुंच काफी आसान हो जाएगी। चीन ने हाल में ही सामरिक रूप से महत्वपूर्ण एक रेलवे ब्रिज का काम पूरा कर लिया है। अरुणाचल में सियांग कही जाने वाली ब्रह्मपुत्र नदी पर बना 525 मीटर लंबा यह पुल नियंत्रण रेखा से महज 30 किलोमीटर दूर है। यह पुल दरअसल 435 किलोमीटर लंबी ल्हासा-निंग्ची (लिंझी) रेलवे परियोजना का हिस्सा है। सामरिक और रणनीतिक रूप से सिचुआन-तिब्बत रेलवे लाइन का निर्माण काफी अहम है। यह रेलवे लाइन दक्षिण-पश्चिमी प्रांत सिचुआन की राजधानी चेंग्डू से शुरू होकर तिब्बत के लिंझी तक जाएगी। लिंझी अरुणाचल प्रदेश की सीमा से एकदम करीब है।
इस परियोजना के पूरा होने के बाद चेंग्डू और ल्हासा के बीच की दूरी तय करने में मौजूदा 48 घंटे की जगह महज 13 घंटे का ही समय लगेगा। इस परियोजना पर 47.8 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च होने का अनुमान है। यह तिब्बत इलाके में चीन की दूसरी अहम रेलवे परियोजना है। इसकी तुलना में भारत का अरुणाचल में इंफ्रास्ट्रक्चर उतना मजबूत नहीं है। भारतीय रेलवे का नेटवर्क अरुणाचल में बहुत सीमित है।
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भारत को भी जवाबी कार्रवाई करनी होगी
एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत को अपने सीमावर्ती इलाकों में रेल-सड़क नेटवर्क को बहुत मजबूत किये जाने की जरूरत है। चीन अपनी इसी मजबूती का बेजा इस्तेमाल हमारी सीमा में अतिक्रमण करने के लिए कर रहा है। भारत पर चौतरफा दबाव बनाने की रणनीति के तहत चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश से सटे इलाकों में लंबे अरसे से निर्माण कार्य किया जा रहा है। हाल में उसने अरुणाचल के पांच युवकों का भी अपहरण कर लिया था। दुर्गम इलाके का फायदा हटा कर चीनी गतिविधयां लगातार तेज हो रही हैं। इसलिए भारत को भी जवाबी रणनीति बना कर ठोस कार्रवाई करनी होगी।
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