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कहानी फिल्मी है दोस्त! बेटियों ने चाय बागान से पकड़ी फ्रांस की राह
हम आपसे सवाल करें कि चाय बागान से क्या मिलता है, तो सजह तौर पर आपको कहोगे चाय। लेकिन हम कहेंगे कि सिर्फ चाय नहीं बल्कि प्रतिभा भी निकलती है। जी हां! ये कर दिखाया है सरस्वतीपुर के एक चाय बागान में काम करने वालों की बेटियों ने। आज ये बेटियां रग्बी खेल रही हैं और देश का नाम दुनिया में रौशन कर रही हैं।
सिलीगुड़ी : हम आपसे सवाल करें कि चाय बागान से क्या मिलता है, तो सजह तौर पर आपको कहोगे चाय। लेकिन हम कहेंगे कि सिर्फ चाय नहीं बल्कि प्रतिभा भी निकलती है। जी हां! ये कर दिखाया है सरस्वतीपुर के एक चाय बागान में काम करने वालों की बेटियों ने। आज ये बेटियां रग्बी खेल रही हैं और देश का नाम दुनिया में रौशन कर रही हैं।
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कहानी फिल्मी है
फादर जॉर्ज मैथ्यू सरस्वतीपुर चर्च में प्रार्थना कराने आए थे। यहां उनकी मुलाकात संध्या राय, रुश्मिता उरांव, आशा उरांव, सुमन उरांव, स्वप्ना उरांव, चंदा उरांव, रीमा उरांव, पूनम उरांव और लक्ष्मी उरांव से हुई। फादर को लगा की ये लड़कियां प्रतिभाशाली हैं और इनकी प्रतिभा को तराशने की जरुरत है। उन्होंने कोलकाता में ‘जंगल क्रोज’ नामक संस्था चलाने वाले ब्रिटिश हाई कमीशन में उच्चायुक्त रहे अपने मित्र पॉल वाल्स को इन लडकियों के बारे में बताया। पॉल ने फादर जॉर्ज के कहने पर लड़कियों को रग्बी सिखाने के लिए कोच रोशन खाखा को नियुक्त किया।
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इसके बाद 2013 में लड़कियों ने चाय बागान के मैदान में खेलना शुरू किया। आज ये नौ लड़कियां रग्बी की नेशनल टीम में खेल रही हैं। इनमें से तीन पिछले साल फ्रांस में आयोजित यूथ ओलंपिक में भी खेल चुकी हैं। यूथ ओलंपिक के लिए भारत की जो टीम थी, उसकी कप्तान इनमें से ही एक संध्या राय थी।
आपको बता दें, संध्या, सुमन, स्वप्ना व चंदा को ‘जंगल क्रोज’ ने स्कॉलरशिप दी है। ताकि वो कोलकाता में रह कर पढ़ सकें और अपनी जिंदगी की दिशा दे सकें।