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थमी कोरोना की लहरः घटने लगे केस, ठीक होने वाले बढ़ें
देश के जिन पांच राज्यों में कोरोना के सबसे ज्यादा केस थे वहां अब अब नए मामले घट रहे हैं। ये ट्रेंड सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश में दिखाई दे रहा है
लखनऊ: देश के जिन पांच राज्यों में कोरोना के सबसे ज्यादा केस थे वहां अब अब नए मामले घट रहे हैं। ये ट्रेंड सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश में दिखाई दे रहा है जहाँ बीते दो हफ़्तों में एक्टिव मामलों की संख्या करीब 30 फीसदी तक नीचे आयी है। 10 सितम्बर तक आंध्र प्रदेश में रोजाना 10 हजार से ज्यादा नए केस आ रहे थे लेकिन अब ये रफ़्तार सुस्त पड़ी है और नए संक्रमणों की तादाद 8 हजार प्रतिदिन से कम हुई है। इसके विपरीत बीते कुछ दिनों में रिकवरी की संख्या 10 हजार से ज्यादा रही है। महाराष्ट्र में एक्टिव ममलों की संख्या बीते एक हफ्ते में करीब दस फीसदी कम हुई है। तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में भी नए मामलों में गिरावट का ट्रेंड देखा जा रहा है।
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ठीक होने वालों की तादाद बढ़ी
देश में कोरोना से रिकवर होने वालों की संख्या बहुत तेजी से बड़ी है। देश में 17 सितम्बर को एक्टिव केस 10.17 लाख थे जो 24 सितम्बर को 9.66 लाख ही रह गए। इसी ट्रेंड के अनुरूप महाराष्ट्र भी चल रहा है। बीते दिनों में नए मामलों की संख्या से ज्यादा रिकवरी की संख्या रही है। महामारी की शुरुआत से पहली बार ये आंकड़ा देखा गया है।
टेस्टिंग की संख्या कम हुई
नए मामलों की संख्या कम होने के पीछे टेस्टिंग में थोड़ी कमी होना भी है। 24 सितम्बर को खत्म हुए सप्ताह में रोजाना होने वाले टेस्टों की औसत संख्या इस महीने की शुरुआत में रही संख्या से थोड़ा कम देखी गयी है। बीते एक हफ्ते में प्रतिदिन औसतन 9.81 लाख सैंपल टेस्ट किये गए जबकि दस दिन पहले ये औसत 10.94 लाख का था। प्रतिदिन नए संक्रमण पता लगने की संख्या बीते दो हफ़्तों से 90 हजार से ज्यादा की रही लेकिन अब ये संख्या 75 हजार से 98 हजार के बीच रह रही है।
corona-testing (social media)
रिकवरी बढ़ी
24 सितम्बर को समाप्त हुए सप्ताह में कोरोना से रिकवर होने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी पाई गयी है। नए मामलों की तुलना में रिकवरी का ज्यादा होना एक सुखद संकेत है। अगर ये ढर्रा बरक़रार रहता है तो महामारी से जंग में इसे बड़ी सफलता माना जाएगा।
भारत के लोगों में इम्यूनिटी ज्यादा
एक रिसर्च से पता चला है कि भारत में लोगों की सेल्फ इम्युनिटी से कोरोना हार रहा है। बीएचयू में जन्तु विज्ञान के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने दुनिया के अलग-अलग देशों के इंसानों के जीनोम के अध्ययन से पाया है कि भारत में हर्ड इम्युनिटी से ज्यादा कोरोना प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही लोगों के जीन में मौजूद है। यह क्षमता लोगों के शरीर की कोशिकाओं में मौजूद एक्स क्रोमोसोम के जीन एसीई-2 रिसेप्टर से मिलती है। इसी वजह से जीन पर चल रहे म्यूटेशन कोरोनावायरस को कोशिका में प्रवेश से रोक देते हैं।
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भारत के लोगों का जीनोम बहुत अच्छी तरह से बना हुआ है। यहां लोगों के जीनोम में इतने यूनीक टाइप के म्यूटेशन हैं, जिसकी वजह से देश में मृत्युदर और रिकवरी रेट सबसे ज्यादा है।कोरोनावायरस सबसे पहले हमारे जीन में मौजूद एसीई-2 रिसेप्टर पर अटैक करता है। 60% भारतीयों में ये जीन बहुत मजबूत है। इसके चलते इसका यहां इतना ज्यादा असर नहीं हो रहा है, जबकि यूरोपीय और अमेरिकी लोगों में ये जीन सिर्फ 7% से 14% ही पाया जाता है। इसके चलते कोरोना का असर पश्चिमी देशों में ज्यादा रहा है। वहां मृत्युदर भी बहुत ज्यादा है।
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