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कोरोना संकट काल में बढ़ा काढ़े का कारोबार, इम्युनिटी बढ़ाने में ऐसे कर रहा मदद

प्रसिद्ध वैद्य कृष्ण लाल शर्मा ने यहां पर इसकी शुरुआत की थी जब उन्होंने 70 साल पहले उमा आयुर्वेद के नाम से फैक्ट्री खोली।

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Published on: 18 July 2020 3:27 PM GMT
कोरोना संकट काल में बढ़ा काढ़े का कारोबार, इम्युनिटी बढ़ाने में ऐसे कर रहा मदद
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अंशुमान तिवारी

लखनऊ: देश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच काढ़ा के कारोबार को पंख लग गए हैं। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में आयुर्वेदिक दवा का कारोबार करने वाली फैक्ट्रियों में काढ़े का उत्पादन काफी तेजी से हो रहा है। हालत यह है कि एक दर्जन फैक्ट्रियों में 90 फीसदी उत्पादन सिर्फ का काढ़े का ही हो रहा है। देश के विभिन्न प्रदेशों में हाथरस से प्रतिदिन 1000 किलोग्राम काढ़े की सप्लाई की जा रही है।

अवसर भुनाने में जुटीं फैक्ट्रियां

दरअसल देश में कोरोना के संक्रमण के बाद काढ़े की मांग काफी बढ़ गई है। देश के विभिन्न प्रदेशों में इसकी जबर्दस्त मांग है। यही कारण है कि हाथरस की एक दर्जन से अधिक फैक्ट्रियां इस अवसर को भुनाने में लगी हुई हैं। हाथरस में आयुर्वेदिक दवाओं का कारोबार काफी लंबे समय से किया जा रहा है। प्रसिद्ध वैद्य कृष्ण लाल शर्मा ने यहां पर इसकी शुरुआत की थी जब उन्होंने 70 साल पहले उमा आयुर्वेद के नाम से फैक्ट्री खोली। फैक्ट्री में काढ़े के साथ ही अन्य औषधियों का भी उत्पादन किया जाता था। इसके कुछ समय बाद नगला कचौरा में जीवन आयुर्वेद और राज आयुर्वेदिक फार्मेसी की शुरुआत हुई।

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इसके बाद तो हाथरस में आयुर्वेदिक औषधियों के उत्पादन को पंख लग गए और हाथरस, सासनी, कचौरा और सलेमपुर में एक दर्जन से अधिक फैक्ट्रियां आयुर्वेदिक दवाओं का कारोबार करने लगीं। पिछले कुछ समय से और आयुर्वेदिक दवाओं का बाजार ठंडा पड़ा हुआ था और बाजार में मांग न होने का कारण कारोबारियों में काफी निराशा दिख रही थी। पचास करोड़ वार्षिक के टर्नओवर वाले इस कारोबार में काढ़ा का हिस्सा सिर्फ 10 फीसदी ही था मगर अब स्थितियां पूरी तरह बदल गई हैं। देश में कोरोना का संक्रमण फैलने के बाद काढ़े की मांग में काफी तेजी दर्ज की गई है। इसी कारण सभी फैक्ट्रियों में काढ़े का उत्पादन बढ़ा दिया गया है।

आयुर्वेदिक दवाओं से हो रहा खूब फायदा

लॉकडाउन के दौरान आयुर्वेदिक दवाओं के कारोबार में बीस करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई। इसमें भी सबसे ज्यादा मांग काढ़े की ही की जा रही है। कुल उत्पादन में करीब 90 फ़ीसदी काढ़े की ही हिस्सेदारी है। काढ़े की बढ़ती मांग के कारण लोगों को रोजगार भी मिल गया है। विभिन्न फैक्ट्रियों के काम में बढ़ोतरी के साथ शरीर में 3000 लोगों को कोरोना के संकट काल में भी रोजगार मिल गया है। यहां से काढ़े और आयुर्वेदिक दवाओं की सप्लाई मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक आदि राज्यों को भी जाती है। काढ़ा बनाने में गिलोय, तुलसी, दालचीनी, मुलेठी, कालीमिर्च और अश्वगंधा आदि का इस्तेमाल किया जा रहा है। काढ़े का सेवन करने से इम्युनिटी में बढ़ोतरी हो रही है जिससे कोरोना से जंग लड़ने में मदद मिल रही है।

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यहां से औषधियों एवं काढ़े की सप्लाई विदेशों तक में की जा रही है। आयुर्वेद औषधियों के कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन से लोगों को काफी फायदा हो रहा है। उमा आयुर्वेद के निदेशक उमाशंकर शर्मा का कहना है कि औषधीय उत्पादों की कई प्रदेशों में सप्लाई की जा रही है। उनका कहना है कि हमारे उत्पाद इम्युनिटी को बढ़ावा देने में असरदार साबित हो रहे हैं। राज आयुर्वेद फार्मेसी के देवेंद्र राघव का कहना है कि मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक औषधियों की बड़े पैमाने पर सप्लाई की जा रही है।

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