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रक्षा उद्योग में 'आत्मनिर्भर' बनेगा भारत, अगले पांच साल के लिए नये लक्ष्य निर्धारित
भारत ने विश्व गुरु बनने की दिशा में तेजी के साथ कदम आगे बढ़ा दिया है। रक्षा मंत्रालय की तरफ से 'आत्मनिर्भरत भारत' पैकेज के तहत रक्षा क्षेत्र, एयरोस्पेस और नेवल शिपबिल्डिंग सेक्टर में कई महत्वपूर्ण ऐलान किये गये हैं।
नई दिल्ली: भारत ने विश्व गुरु बनने की दिशा में तेजी के साथ कदम आगे बढ़ा दिया है। रक्षा मंत्रालय की तरफ से 'आत्मनिर्भरत भारत' पैकेज के तहत रक्षा क्षेत्र, एयरोस्पेस और नेवल शिपबिल्डिंग सेक्टर में कई महत्वपूर्ण ऐलान किये गये हैं।
सरकार ने देश में रक्षा विनिर्माण से 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का लक्ष्य रखा है। इस तरह भारत जल्द ही रक्षा क्षेत्र के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो जाएगा।
सरकार का ऐसा सोचना है कि कोविड-19 के चलते कई चुनौतियों से जूझ रही पूरी अर्थव्यवस्था में फिर से जान फूंकने की जरूरत है। रक्षा मंत्रालय ने देश में रक्षा विनिर्माण के लिए ‘रक्षा उत्पादन एवं निर्यात संवर्द्धन नीति 2020’ का मसौदा रखा है।
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अगले पांच साल के लिए नये लक्ष्य निर्धारित
तय किये गए नये लक्ष्य के अनुसार एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 35 हजार करोड़ रुपये के निर्यात सहित 1,75,000 करोड़ रुपये का कारोबार 2025 तक हासिल करना है। इसके आलावा गुणवत्ता वाले उत्पादों के साथ सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एयरोस्पेस और नौसेना जहाज निर्माण उद्योग सहित एक गतिशील, मजबूत और प्रतिस्पर्धी रक्षा उद्योग विकसित करने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मसौदे में कहा गया है कि घरेलू रक्षा उत्पादन बढ़ने से दूसरे देशों में निर्यात को बढ़ावा मिलने के साथ ही वैश्विक स्तर पर भारत हथियारों के दामों की प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकेगा।
सरकार ने नए मसौदे में दूसरे देशों से हथियारों का आयात करने के बजाय घरेलू डिजाइन और विकास के माध्यम से 'मेक इन इंडिया' पहल को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
मालूम हो कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई सुधारों की घोषणा की थी। इसमें स्वदेश निर्मित सैन्य उत्पादों की खरीद के लिए अलग से बजटीय आवंटन भी शामिल था। साथ ही रक्षा क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर चौहत्तर प्रतिशत भी किया गया।
अधिकारियों का कहना है कि नई नीति का लक्ष्य एक गतिशील, वृद्धिपरक और प्रतिस्पर्धी रक्षा उद्योग को विकसित करना है। इसमें लड़ाकू विमानों के विनिर्माण से लेकर जंगी जहाज बनाना भी शामिल है जो देश के सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हो।
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130 अरब डॉलर खर्च करने का अनुमान
अगले पांच साल में भारतीय रक्षा बलों के सैन्य उत्पादों पर करीब 130 अरब डॉलर खर्च करने का अनुमान है। रक्षा उत्पादन एवं निर्यात सवंर्द्धन नीति के मसौदे में आयात पर निर्भरता कम करने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को आगे बढ़ाते हुए घरेलू स्तर पर उत्पादों को डिजाइन और विकसित करने की रुपरेखा भी पेश की गयी है।
सीतारमण ने सालाना आधार पर ऐसे हथियारों की प्रतिबंधित सूची बनाने की भी घोषणा की थी जिनके आयात की अनुमति नहीं होगी। भारत वैश्विक रक्षा उत्पाद कंपनियों के लिए पसंदीदा बाजार है, क्योंकि पिछले आठ साल से भारत दुनिया के तीन सबसे बड़े रक्षा उत्पाद आयातकों में बना हुआ है।
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