Delhi G-20 Summit 2023: अफ्रीकन यूनियन के साथ जी-20 बनेगा जी-21, पढ़ें ये रिपोर्ट

Delhi G-20 Summit 2023: अफ्रीकन यूनियन (एयू) के जी 20 का सदस्य बनने की संभावना है। इस संगठन के वर्तमान अध्यक्ष भारत चाहता है कि अफ्रीकन यूनियन भी सदस्य बन जाये।

Neel Mani Lal
Published on: 5 Sep 2023 4:06 AM GMT
Delhi G-20 Summit 2023: अफ्रीकन यूनियन के साथ जी-20 बनेगा जी-21, पढ़ें ये रिपोर्ट
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Delhi G-20 Summit 2023 (Social Media)

Delhi G-20 Summit 2023: जी 20 में एक महत्वपूर्ण बदलाव होने की उम्मीद है जिसके बाद यह संगठन जी 21 हो जाएगा। दरअसल, अफ्रीकन यूनियन (एयू) के जी 20 का सदस्य बनने की संभावना है। इस संगठन के वर्तमान अध्यक्ष भारत चाहता है कि अफ्रीकन यूनियन भी सदस्य बन जाये। 9-10 सितंबर के शिखर सम्मेलन से पहले अफ्रीकन यूनियन को शामिल करने का प्रस्ताव है। एयू के शामिल होने से यह ब्लॉक जी 21 बन जाएगा।

भारत का सपोर्ट

एयू के समावेश का समर्थन करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि , "ग्रह के भविष्य के लिए कोई भी योजना सभी आवाजों के प्रतिनिधित्व और मान्यता के बिना सफल नहीं हो सकती है। जी20 के भीतर भी अफ्रीका हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। जी20 की अध्यक्षता के दौरान हमने जो पहला काम किया, वह था 'वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ' शिखर सम्मेलन आयोजित करना, जिसमें अफ्रीका की उत्साहपूर्ण भागीदारी थी।'' उन्होंने कहा कि "विशुद्ध उपयोगितावादी विश्वदृष्टि से बाहर आने और सर्व जन हिताय, सर्व जन सुखाय मॉडल को अपनाने की जरूरत है।"

अफ्रीकन यूनियन

अफ्रीकन यूनियन में 55 सदस्य देश हैं। यह संगठन एक तरह से पूरे महाद्वीप का प्रतिनिधित्व करता है। हालाँकि, एयू में हर कोई उन्हें जी 20 में लाने के लिए भारत के दबाव से उत्साहित नहीं है। जानकारों का कहना है कि अफ्रीका एक बड़ा महाद्वीप है और इसकी चुनौतियाँ, अर्थव्यवस्था और समुदाय बहुत विविध हैं। उस संदर्भ में कई सदस्य देशों को लगता है कि जी20 में इस समावेशन का कोई मतलब नहीं होगा। ग्लोबल साउथ की आवाज़ जरूर सुनी जानी चाहिए लेकिन जी20 में शामिल होने से चिंताओं को दूर करने में मदद नहीं मिलेगी।
कई समस्याएं

अफ्रीका में फिलवक्त कई समस्याएं चल रही हैं।सूडान गृहयुद्ध में फंसा हुआ है जिससे 48 लाख लोग विस्थापित हो गए हैं। रवांडा में कई विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया है। मोरक्को और अल्जीरिया क्षेत्रीय विवादों में उलझे हुए हैं। घाना, तंज़ानिया आदि में चीन बहुत पैर फैला रहा है। जानकारों का कहना है कि एयू राजनीतिक रूप से एकजुट इकाई नहीं है। ऐसे मुद्दे हैं जिनका सामना देश स्वयं और एक-दूसरे के साथ कर रहे हैं। इसके अलावा, आठ क्षेत्रीय आर्थिक समितियाँ हैं जो अलग-अलग संरचनाओं के साथ व्यक्तिगत रूप से विकसित हुई हैं। फिर भी कुछ अफ़्रीकी देशों ने दो एयू देशों को शामिल करने पर ज़ोर दिया है जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हैं। ये हैं - सोमालीलैंड और सहराउई अरब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक। अब देखने वाली बात होगी कि अंतिम निर्णय क्या होता है।

Neel Mani Lal

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