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'शराब घोटाले में फायदा पहुंचाने के लिए ली घूस, षड्यंत्र रचने में सिसोदिया की अहम भूमिका', कोर्ट में ED की दलील
Delhi Liquor Policy Case: प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को पिछले महीने की 9 तारीख को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। मनीष पहले से सीबीआई के एक अन्य मामले में जेल में बंद थे।
Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली के कथित आबकारी घोटाले (Delhi excise policy case) से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में बुधवार (12 अप्रैल) को एक विशेष अदालत में पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की जमानत याचिका पर बहस हुई। आबकारी घोटाला मामले में सिसोदिया को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अरेस्ट किया है। जांच एजेंसी की दलील पूरी हो चुकी है। जिसके बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 अप्रैल की तारीख मुक़र्रर की है। अगली सुनवाई में मनीष सिसोदिया के वकील ईडी की दलील पर अपना पक्ष रखेंगे।
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प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत में कहा कि, षड्यंत्र रचने, नियम बनाने और उसे लागू कराने में मनीष सिसोदिया की अहम भूमिका रही है। ED ये भी ने कहा कि, 'वह जीओएम के मुखिया थे। उन्हें न सिर्फ कैबिनेट के बारे में सभी जानकारी थी, बल्कि पॉलिसी के बदलाव में भी वे मुख्य भूमिका में थे। प्रवर्तन निदेशालय ने ये भी कहा कि, पॉलिसी में फायदा पहुंचाने के बदले घूस ली गई।'
ED ने कहा- कोई भी पॉलिसी छुपकर नहीं बनाई जाती
ईडी ने कोर्ट को बताया, 'एक शख्स को सिर्फ दो रिटेल लाइसेंस (Retail License) मिल सकता था। इसके लिए लॉटरी सिस्टम को अपनाया जाना था। सभी ज़ोन में 27 दुकानें थीं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालत को ये भी बताया कि, नियमों में बदलाव के बारे में जीओम या एक्सपर्ट कमेटी को जानकारी नहीं थी। अगर, तय प्रक्रिया के तहत बदलाव हुए होते तो इसके बारे में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) या एक्सपर्ट कमेटी को जानकारी अवश्य होती। ED ने ये भी कहा कि, कोई भी पॉलिसी छुपकर नहीं बनाई जाती। दिन के उजाले में सबकी जानकारी में नीतियां बनाई जाती हैं।'
एलजी के नियंत्रण पर ED की दलील
ED जब कोर्ट में दलील पेश कर रही थी तब सिसोदिया के वकील ने इसका विरोध किया। जिस पर ईडी के वकील ने दलील दी कि, 'आरोप लगाया गया, जिन अधिकारियों के बयानों पर भरोसा किया गया वो सीधे उप राज्यपाल (एलजी) के नियंत्रण में हैं। जबकि, उन अधिकारियों की एसीआर जो संबंधित मंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा किए जाते हैं और उन्हें 10 में 10 मार्क्स इन्ही मंत्री और सीएम द्वारा दिया गया है। ईडी ने ये भी कहा, एक्सपर्ट कमेटी की सलाह मानी गई, तो उसके अनुसार सरकारी दुकानों को ज़्यादा लाभ पहुंचता।'
होलसेल लाइसेंस पर कोई चर्चा नहीं हुई
ईडी ने ये भी कहा कि, 'होलसेल लाइसेंस प्राइवेट पार्टी को देने को लेकर 'ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स' में कोई चर्चा नहीं हुई थी। 9 फरवरी 2021 और उसके बाद हुई GOM बैठक में 5 प्रतिशत से 12 फीसदी प्रॉफिट मार्जिन बढ़ाने (Profit Margin) तथा बड़ी कंपनियों को होल सेल लाइसेंस देने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी।' ED ने कहा, कोई भी पॉलिसी टेलीपैथिकली नहीं बनाई जाती है। यानी सिर्फ दिमाग में कोई पॉलिसी नहीं बनती। लाइसेंस फीस बढ़ने से प्रॉफिट मार्जिन बढ़ेगा। इसका कोई लॉजिक समझ नहीं आता है।'