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Delhi Ordinance Bill: राज्यसभा में मोदी सरकार की बड़ी जीत, पास हुआ दिल्ली सेवा बिल, पक्ष में 131 तो विरोध में पड़े 102 वोट
Delhi Services Bill: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक-2023 लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका था। आज ये राज्यसभा में भी पास हो गया। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A ने इसका जोरदार विरोध किया, बावजूद ये बहुमत से पास हो गया।
Delhi Service Bill Passed Rajya Sabha: दिल्ली सेवा बिल सोमवार (07 अगस्त) को राज्यसभा से भी पास हो गया। सदन में चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के अलावा विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के सभी घटक दलों ने बिल का जोरदार विरोध किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने राज्यसभा में इस बिल को पेश किया। बीजू जनता दल (BJD) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) ने भी बिल का समर्थन किया। वोटिंग के दौरान बिल के पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट पड़े।
राज्यसभा (Rajya Sabha) में विपक्ष के सभी संशोधन प्रस्ताव गिर गए थे। बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) के बीच तीखी नोंक-झोंक देखने को मिली। अमित शाह ने साफ शब्दों में कहा, 'इस बिल का उद्देश्य दिल्ली में भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन सुनिश्चित करना है। उन्होंने आश्वस्त किया कि, बिल के एक भी प्रावधान से, पहले जो व्यवस्था थी, उस व्यवस्था में एक इंच मात्र भी परिवर्तन नहीं हो रहा है।'
अमित शाह- ये विधेयक व्यवस्था ठीक करने लिए
संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा (Rajya Sabha) में केंद्र की ओर से लाए गए दिल्ली अध्यादेश (Delhi Ordinance) से जुड़े बिल पर चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों की ओर से लगाए गए आरोपों का केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने जवाब दिया। गृह मंत्री ने कहा, 'ये विधेयक व्यवस्था ठीक करने लिए लाया गया है। उन्होंने कहा, यहां की सरकार को सीमित अधिकार दिए गए हैं।'
'ये केंद्र शासित प्रदेश है, जिसे सीमित अधिकार प्राप्त है'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'दिल्ली कई मायनों में अलग है। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है। दिल्ली की कानून-व्यवस्था दुरुस्त करने की कोशिश है। अपने संबोधन में शाह ने कहा, 'जो लोग नगर निगम का चुनाव जीत कर संसद के अधिकारों की मांग करते हैं, उन्हें दिल्ली के सीमित अधिकार वाले कैरेक्टर को भी समझना चाहिए।' उनका निशाना आम आदमी पार्टी की तरफ था। आगे कहा, 'ये केंद्र शासित प्रदेश है, जिसे सीमित अधिकार प्राप्त हैं। देश का प्रधानमंत्री बनने के लिए लोकसभा का चुनाव लड़ना पड़ता है। दिल्ली की विधानसभा का नहीं।'
शाह ने बताया क्यों लाया गया बिल?
गृह मंत्री शाह ने कहा, 'मैं जो बिल लेकर आज सदन में उपस्थित हुआ हूं, वो महामहिम राष्ट्रपति जी के 19 मई, 2023 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सेवाओं के प्रशासन तथा प्रबंधन से जुड़े अध्यादेश, जो उन्होंने प्रख्यापित किया था। उस ऑर्डिनेंस से बनी हुई व्यवस्था की जगह विधि द्वारा बनी हुई व्यवस्था को प्रस्थापित करने के लिए बिल लाया हूं। यही इसका मूल उद्देश्य है। उन्होंने आगे कहा, 'मैं सारी बातों का विस्तार से जवाब दूंगा कि, बिल क्यों लाना पड़ा? अध्यादेश लाने की जल्दी क्या थी? ये बिल कैसे संविधान सम्मत है? ये बिल कैसे सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को किसी भी एंगल से, किसी भी तरह से उल्लंघन नहीं करता है? इन सारी चीजों का मैं जरूर जवाब दूंगा।'
अमित शाह ने कहा, 'आज जो बिल लेकर मैं इस महान सदन के सामने उपस्थित हुआ हूं, उस पर चर्चा में अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) से लेकर रामदास आठवले जी तक करीब 34 सम्माननीय सदस्यों ने अपने-अपने विचार रखे। इस चर्चा के दौरान सभी ने अपनी-अपनी समझ के हिसाब से पक्ष और विपक्ष में विचार पेश किये। माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से पूरे सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं, कि बिल का उद्देश्य केवल और केवल दिल्ली में सुचारू रूप से भ्रष्टाचार विहीन और लोकाभिमुख शासन हो, वो है।'
अमित शाह ने कहा, 'मैं जब पंचायत का चुनाव लड़ता हूं और पार्लियामेंट के अधिकारों की मांग करता हूं, तो ये संवैधानिक रूप से पूरे नहीं हो सकते। हम जब चुनाव लड़ते हैं दिल्ली के MLA का या मुख्यमंत्री की दावेदारी करते हैं, तब हमें मालूम होना चाहिए केंद्र शासित प्रदेश के बारे में। उन्होंने कहा, सपना तो मुझे कोई भी आ सकता है। मगर, चुनाव मैं जो लड़ता हूं, इसके हिसाब से भी हो सकता है। स्वप्न पूरे हो सकते हैं। अगर, देश का प्रधानमंत्री बनना है तो संसद का चुनाव लड़ना पड़ता है। दिल्ली के MLA का चुनाव नहीं लड़ना पड़ता है।'
अमित शाह ने बहस के दौरान कांग्रेस को इमरजेंसी के दौर की याद दिलाई। हमलावर रुख अख्तियार करते हुए अमित शाह ने कहा कि, 'ये बिल किसी प्रधानमंत्री को बचाने के लिए नहीं है। हंगामे के बीच शाह ने कहा कि, 'कांग्रेस को लोकतंत्र पर बोलने का हक नहीं है। AAP की गोद में बैठी कांग्रेस यह बिल पहले लेकर आई थी। शाह ने आगे कहा, 'इस देश के पूर्व प्रधानमंत्री की सदस्यता बचाने के लिए ये बिल नहीं लाए हैं। शाह ने ये भी कहा, जब इस बिल पर चर्चा कर रहे थे, तो मुझे लोकतंत्र समझा रहे थे। अब मैं उनको समझा रहा हूं कि 'डेमोक्रेसी' क्या है? इमरजेंसी में तीन लाख से ज्यादा पॉलिटिकल पार्टियों के नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। सारे अखबारों को सेंसर में डाल दिया गया था।'
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, 'कई बार केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी। दिल्ली में बीजेपी की सरकार थी। कई बार जब ऐसा हुआ जब केंद्र में बीजेपी की सरकार थी तो दिल्ली में कांग्रेस की। मगर, उस समय ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर किसी प्रकार का झगड़ा नहीं हुआ। उस समय इसी व्यवस्था से फैसले लिए गए। किसी मुख्यमंत्री को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई। फिर आंदोलन से एक पार्टी बनी। सरकार में आई। उसे दिक्कतें ही दिक्कतें हैं'।
गृह मंत्री शाह ने कहा, 'जिस विजिलेंस को निशाना बनाया गया, उसी विजिलेंस के पास मुख्यमंत्री के बंगले की फाइल थी। इस फाइल में 6 गुना ज्यादा खर्च हुआ दिखाया गया है। इनके पास इंटेलिजेंस यूनिट (Intelligence Unit) नहीं है, लेकिन उन्होंने फीडबैक यूनिट बनाया। जिसकी जांच और जानकारी इकट्ठा करने इसकी जांच भी विजिलेंस के पास है। अगर, ये ना करते तो सारे घोटालों की फाइल को गुम करने का विजिलेंस जांच करना पड़ता। इसलिए आधी रात को जो फाइल इधर-उधर करने की कोशिश हुई। ये भी इमरजेंसी थी। अमित शाह ने कहा कि, इसीलिए ऑर्डिनेंस लाना पड़ा जो कि संविधान सम्मत है। इसमें गैर संवैधानिक क्या है?'