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Delhi Services Bill: अब केजरीवाल सरकार के बुरे दिन शुरू, राज्यसभा में भी झटका लगना तय, इन दो दलों ने आसान कर दी केंद्र की राह
Delhi Services Bill: दिल्ली सेवा विधेयक पर लोकसभा की मुहर के बाद अब सोमवार को यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में भी इस विधेयक का पारित होना तय माना जा रहा है।
Delhi Services Bill: दिल्ली सेवा बिल लोकसभा में पारित होने के बाद अब राज्यसभा में भी आम आदमी पार्टी को झटका लगना तय माना जा रहा है। दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े मौजूदा अध्यादेश की जगह इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया गया था जिसे गुरुवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान सरकार और विपक्ष के बीच जमकर वार और पलटवार का दौर चला।
दिल्ली सेवा विधेयक पर लोकसभा की मुहर के बाद अब सोमवार को यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में भी इस विधेयक का पारित होना तय माना जा रहा है। विपक्षी दलों ने राज्यसभा में इस विधेयक के खिलाफ एकजुटता दिखाई है मगर बीजू जनता दल और वाईएसआरसीपी का समर्थन मिलने के बाद इस बिल को पारित कराने में केंद्र सरकार की राह आसान हो गई है। बहुजन समाज पार्टी ने भी पलटी मारते हुए इस बिल पर वोटिंग के दौरान सदन का बायकॉट करने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में आम आदमी पार्टी की सारी रणनीति विफल साबित होती दिख रही है।
अमित शाह का विपक्ष पर जोरदार हमला
दिल्ली सेवा बिल लोकसभा में एक अगस्त को पेश किया गया था और गुरुवार को इस बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार अपने पाप छिपाने के लिए अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है। शाह ने कहा कि दिल्ली को राज्य स्तर का दर्जा देने के मुद्दे पर संविधान सभा में चर्चा के दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद, भीमराव अंबेडकर और राजा जी ने तीखा विरोध दर्ज कराया था।
शाह ने कहा कि दिल्ली सेवा बिल पारित होते ही अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया को छोड़ देंगे। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि केंद्र सरकार के पास केंद्र शासित प्रदेशों के बारे में कानून बनाने की शक्ति है। दिल्ली के केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण केंद्र के पास दिल्ली के संबंध में कानून बनाने का पूरा अधिकार है। उन्होंने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि विपक्षी दलों को देश और लोकतंत्र की कोई चिंता नहीं है।
केजरीवाल ने भाजपा को घेरा
लोकसभा में दिल्ली सेवा बिल पारित होने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस की ओर से सरकार पर तीखा हमला किया गया। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भाजपा की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का फर्क है। भाजपा की ओर से हमेशा यह वादा किया गया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने भी दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने का वादा किया था मगर आज भाजपा के लोग अपने उस वादे को भूल गए।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोगों को भाजपा पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि उन्होंने दिल्ली के लोगों की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है। कांग्रेस ने भी केंद्र सरकार पर लोकतांत्रिक विरासत और संघवाद की भावना पर हमला करने का आरोप लगाया। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि शक्तियों के संवैधानिक बंटवारे में खुलेआम तोड़फोड़ की जा रही है।
राज्यसभा में भी फेल होगी विपक्ष की रणनीति
लोकसभा में इस विधेयक के पारित होने के बाद अब राज्यसभा में भी विपक्ष की रणनीति विफल साबित होती दिख रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कोशिशों के बाद विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया इस बिल के खिलाफ पूरी तरह एकजुट दिख रहा है मगर बीजू जनता दल और वाईएसआरसीपी की ओर से केंद्र सरकार का समर्थन किए जाने के बाद विपक्ष की रणनीति पूरी तरह फेल साबित होती दिख रही है।
इस तरह आसान हो गई केंद्र की राह
राज्यसभा में 238 सांसद हैं और बसपा ने इस बिल पर वोटिंग के दौरान सदन का बायकॉट करने का ऐलान कर दिया है। ऐसी स्थिति में सदन में 237 सांसद होंगे और बहुमत के लिए 119 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। राज्यसभा में भाजपा के पास 92 सांसदों की ताकत है जिनमें 5 मनोनीत सांसद हैं। सहयोगी दलों को मिलाकर एनडीए की ताकत 103 सांसदों की है। भाजपा के पास दो निर्दलीय सांसदों का भी समर्थन है।
राज्यसभा में नौ-नौ सांसदों की ताकत वाले बीजू जनता दल और वाईएसआरसीपी ने भी दिल्ली सेवा बिल के मुद्दे पर भाजपा को समर्थन दे दिया है। एक सांसद वाली पार्टी टीडीपी भी सरकार के साथ खड़ी है। ऐसी स्थिति में राज्यसभा में भाजपा के लिए बहुमत की राह काफी आसान हो गई है। आप को भी इस बात का एहसास हो गया है कि यह बिल अब राज्यसभा में भी आसानी से पारित हो जाएगा और यही कारण है कि पार्टी की ओर से बीजू जनता दल और वाईएसआरसीपी के रवैए पर सवाल उठाए गए हैं।