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दिल्ली सरकार का प्रदर्शन कई पैमानों पर खरा नहीं उतरता: सर्वेक्षण
‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) ने लोकसभा चुनाव से पहले अक्टूबर से दिसंबर 2018 के बीच तीन चीजों की पहचान करने के लिए मतदाता सर्वेक्षण किया गया है, जिनमें शासन के विशेष मुद्दों पर मतदाताओं की प्राथमिकता, इन मुद्दों पर सरकार के प्रदर्शन पर मतदाताओं की रेटिंग तथा मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक शामिल हैं।
नयी दिल्ली: दिल्ली में यातायात जाम, प्रदूषण और रोजगार के बेहतर मौके देने पर ‘सरकार’ का प्रदर्शन औसत से नीचे है। एक एनजीओ ने अपने सर्वेक्षण में यह बात कही है।
‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) ने लोकसभा चुनाव से पहले अक्टूबर से दिसंबर 2018 के बीच तीन चीजों की पहचान करने के लिए मतदाता सर्वेक्षण किया गया है, जिनमें शासन के विशेष मुद्दों पर मतदाताओं की प्राथमिकता, इन मुद्दों पर सरकार के प्रदर्शन पर मतदाताओं की रेटिंग तथा मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक शामिल हैं।
इस सर्वेक्षण में राष्ट्रीय राजधानी की सभी सात लोकसभा सीटों पर करीब 3,500 लोगों से बात की गई।
एनजीओ के एक प्रतिनिधि के मुताबिक, सर्वेक्षण के लिए शामिल किए गए सवाल ‘किसी खास सरकार से संबंधित’ नहीं थे।
मतदाताओं की तीन शीर्ष प्राथमिकताओं में ‘सरकार’ का प्रदर्शन ‘औसत से कम’ है। इन तीन शीर्ष प्राथमिकताओं में यातायात जाम (पांच के पैमाने पर 2.27 रेटिंग मिली), पानी और वायु प्रदूषण (2.29) और रोजगार के बेहतर मौके (2.29) शामिल हैं।
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सर्वेक्षण के मुताबिक, शहरी दिल्ली में महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा (1.85) और ध्वनि प्रदूषण पर ‘सरकार’ का प्रदर्शन खराब रहा।
बहरहाल, पेय जल और परिवहन सुविधाएं मुहैया कराने पर ‘सरकार’ को तीन से ज्यादा रेटिंग मिली है।
वहीं ग्रामीण मतदाताओं की प्राथमिकताओं में कृषि उपज का अधिक मूल्य मिलना, रोजगार के बेहतर मौके, कृषि के लिए बिजली देना हैं। इन पर भी ‘सरकार’ का प्रदर्शन औसत से कम है।
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सर्वेक्षण में बताया गया है कि चुनाव में किसी उम्मीदवार को वोट देने के सवाल पर 84 फीसदी लोगों ने कहा कि मतदान करने में उनकी अपनी राय अहमियत रखती है, जबकि सात प्रतिशत ने कहा कि उनके परिवार की राय मायने रखती है, वहीं पांच प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी पत्नी या पति की राय मतदान को लेकर मायने रखती है।
(भाषा)