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51 बार कांपी धरती: सबसे ज्यादा खतरा दिल्ली वालों को, ये भयानक भूकंप के संकेत

एक तरफ कोरोना महामारी से दुनिया पर कहर बरस रहा था, वहीं दिल्ली पर कोरोना के साथ भूकंपों के झटकों ने भी तबाही मचाई है। कोरोना के डर से घरों में रह रहे लोगों को ताबड़तोड़ झटकों की वजह से घरों से भागना पड़ता।

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Published on: 25 Dec 2020 10:20 AM GMT
51 बार कांपी धरती: सबसे ज्यादा खतरा दिल्ली वालों को, ये भयानक भूकंप के संकेत
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राजधानी दिल्ली में चाहे रात हो चाहे तड़के सुबह हर समय भूकंप का खौफ बना ही रहता। क्रिसमस के मौके पर भूकंप के झटकों ने पीछा नहीं छोड़ा।

नई दिल्ली। महामुसीबतों वाला ये साल दिल्लीवालों के लिए बहुत भयानक रहा। जहां एक तरफ कोरोना महामारी से दुनिया पर कहर बरस रहा था, वहीं दिल्ली पर कोरोना के साथ भूकंपों के झटकों ने भी तबाही मचाई है। कोरोना के डर से घरों में रह रहे लोगों को ताबड़तोड़ झटकों की वजह से घरों से भागना पड़ता था। चाहे रात हो चाहे तड़के सुबह हर समय भूकंप का खौफ बना ही रहता। क्रिसमस के मौके पर भूकंप के झटकों ने पीछा नहीं छोड़ा। नांगलोई में सुबह लगभग 5 बजे भूकंप के ताबड़तोड़ झटके महससू किए गए। झटकों से लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है।

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किसी बड़े खतरे का संकेत

हाल ही में राजधानी दिल्ली में 17 दिसंबर को भूकंप आया था। जिसने कड़ाके की ठंड और कोरोना के फैलते संक्रमण में लोगों को खौफ में डाल दिया। एक तरफ दिल्ली वासी ठंड से तो कांप ही रहे थे, दूसरी तरफ भूकंप के झटकों ने भी कांपने पर मजबूर कर दिया।

बीते करीब एक साल में दिल्‍ली-एनसीआर में कम तीव्रता के तमाम भूकंप आए हैं। जिससे लोगों के मन में तबाही का मंजर नजर आने लगा था। आखिर ऐसा क्‍यों हो रहा है और क्‍या ये किसी बड़े खतरे का संकेत हैं जिससे लोगों में दहशत बनी हुई है। तो चलिए जानते है विशेषज्ञों के जानते हैं।

ऐसे में नेशनल सेंटर फॉर सीस्‍मोलॉजी (NCS) की वेबसाइट पर मौजूद रिकॉर्ड के अनुसार, दिल्‍ली या उसके 200 किलोमीटर के दायरे में इस साल कुल 51 छोटे-मध्‍यम तीव्रता के भूकंप आए हैं। जिनमें से कुछ का केंद्र दिल्‍ली, कुछ का उत्‍तराखंड और अधिकतर का हरियाणा में रहा है।

earthquake फोटो-सोशल मीडिया

साथ ही इस साल 2020 में यलो कैटेगरी 4 से ज्‍यादा तीव्रता वाले कुल तीन भूकंप आए जिनमें से एक 29 मई (तीव्रता 4.5, केंद्र रोहतक), दूसरा 3 जुलाई (तीव्रता 4.7, केंद्र गुरुग्राम से थोड़ा दूर) और तीसरा 17 दिसंबर (तीव्रता 4.2, केंद्र रेवाड़ी) को आया।

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छोटे भूकंपों की वजह

दरअसल साढ़े 5 करोड़ से ज्‍यादा साल गुजर चुके हैं पर अभी भी भारतीय प्‍लेट के खिसकने का सिलसिला जारी है। ऐसे में यह एशियाई प्‍लेट की तरफ 5-6 सेंटीमीटर प्रति वर्ष की गति से बढ़ रही है। साथ ही हिमालय के नीचे की क्रस्‍ट भी बेहद तनाव ग्रस्त है। यदि उन्‍हें शिफ्ट होने की जगह मिली तो वे या तो खिसकेंगे या टूट जाएंगे। इस की वजह से टेंशन धीमे-धीमे रिलीज होने को भी कुछ विशेषज्ञ इसे छोटे भूकंपों की वजह बता रहे हैं।

वहीं लगभग 3-4 महीनों में 20 से ज्‍यादा बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। इस बारे में केंद्रीय पृथ्वी एवं विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक, ये झटके रिक्टर स्केल पर बहुत हल्के थे। पर भूकंप पर शोध करने वाले इन हल्के भूकंप को बड़े खतरे का अंदेशा में जता रहे हैं। जोकि तबाही का मंजर भी बन सकते हैं।

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