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अजीत पवार को हमने नहीं दी थी कोई क्लीन चिट: देवेंद्र फडणवीस
फडणवीस ने कहा कि 2018 में एसीबी के महानिदेशक (डीजी) द्वारा दायर की गई चीजों को नकारने के लिए हलफनामे में कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किए गए हैं। न ही कोई दस्तावेज दिया गया है।
मयंक शर्मा
नागपुर: जिन अजीत पवार के साथ मिलकर महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस ने ढाई दिनों की सरकार बनाई थी, आज उन्हीं के खिलाफ वे उग्र नजर आये। उनके समय में अजीत पवार को एसीबी द्वारा दी गई क्लीन चिट को जब अब मौजूदा सरकार ने आगे बढ़ाया है तो वे इसके खिलाफ हो गए हैं। उन्होंने आज विधान सभा में यह भी कहा कि हमने उन्हें अपनी 80 घंटे की सरकार दौरान कोई क्लीन चिट नहीं दी थी।
सिंचाई घोटाले पर एक बार फिर खिलाफ हुए फडणवीस
सिंचाई घोटाले में ACB द्वारा दायर हलफनामे पर देवेंद्र फडणवीस आज नागपुर में मीडिया से भी रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि यह हलफनामे के सारांश मात्र है और इस हलफनामे के साथ कोई भी सहायक सबूत नहीं प्रस्तुत किये गए हैं। उन्होंने कहा कि ईडी (वीआईडीसी) किसी भी विभाग के सचिव के समान्तर नहीं होता। इस मामले में अकेले अधिकारियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
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इस बीच ऐसे कयास भी लगाए जा रहे हैं कि 23 दिसंबर को होने वाले कैबिनेट विस्तार में अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री की शपथ दिलाई जा सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हम आज दाखिल किए गए हलफनामे को स्वीकार नहीं करते हैं। यह मंत्रियों और अधिकारियों को बचाने की कोशिश है। अजीत पवार पर हमलावर होते हुए फडणवीस ने कहा कि इस क्लीन चिट के जरिए चिट मंत्री को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
हलफनामे में प्रमाण नहीं
फडणवीस ने कहा कि 2018 में एसीबी के महानिदेशक (डीजी) द्वारा दायर की गई चीजों को नकारने के लिए हलफनामे में कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किए गए हैं। न ही कोई दस्तावेज दिया गया है। इसलिए हम इस हलफनामे को नहीं मानते हैं और मुझे लगता है कि कोर्ट भी इसे स्वीकार नहीं करेगा। हम भी इस संबंध में हस्तक्षेप करने की योजना बना रहे हैं।
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पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि क्लीन चिट देने की कोशिश एक सुनियोजित योजना लगती है। 27 तारीख को एक हलफनामा दाखिल किया गया था और अब सरकार उन्हें पूरी तरह से क्लीन चिट दे रही है।
26 नवंबर को हमने इस्तीफा दिया, 27 नवंबर को यह हलफनामा दायर किया गया
उनका कहना था कि डीजी ने आज साफ कहा है कि हमने 27 तारीख को यह हलफनामा तैयार किया जो जूनियर स्तर के अधिकारियों द्वारा दिया गया था और आज यह महानिदेशक द्वारा प्रस्तुत किया गया। मैंने 26 नवंबर को इस्तीफा दिया जबकि यह हलफनामा 27 नवंबर को दायर किया गया था। मुद्दे को विधानसभा में उठाने जाने पर फडणवीस ने कहा कि विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने के लिए हमारे पास सीमाएं हैं, लेकिन हम इसके खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे।
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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि अगर कोई सचिव हस्ताक्षर करता है तो उसके बाद मंत्री द्वारा हस्ताक्षरित किया जाता है, तो सारा दोष सिर्फ सचिवालय पर नहीं डाला जा सकता। यह इस तरह के निविदाओं के मामले में हो सकता है, लेकिन अगर यह कई निविदाओं में हुआ है तो इसका मतलब है कि एक पैटर्न था और इसकी जांच करने की आवश्यकता है।