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पांच राज्यों के चुनावः बंगाल में बदलाव कर आयोग ने दिये सख्ती के संकेत
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। इन सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल मई के आखीर से लेकर जून के पहले सप्ताह तक खत्म हो जाएगा।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। इन सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल मई के आखीर से लेकर जून के पहले सप्ताह तक खत्म हो जाएगा। ऐसे में 15 फरवरी तक चुनाव की तारीखों का एलान हो जाने की संभावना जताई जा रही है। चुनाव आयोग भी इन राज्यों की व्यवस्था का आकलन करने में जुट गया है। वर्तमान समय में प.बंगाल में शांतिपूर्ण चुनाव कराना सबसे बड़ी चुनौती है। भाजपा ने हिंसा की आशंका से अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की मांग की है। आयोग की टीम तमिलनाडु, केरल व पुडुचेरी के दौरे पर है।
कोरोना महामारी का कहर हालांकि काफी हद तक सीमित हो चुका है। और बिहार विधानसभा के चुनाव आयोग ने तब सफलतापूर्वक संपन्न कराए थे जब कोरोना अपने पीक पर था। इसलिए इस बार भी संभावना यही है कि आयोग पांच में दो से लेकर आठ चरण तक में चुनाव संपन्न करा सकता है। पश्चिम बंगाल में शांतिपूर्ण मतदान के लिए छह से आठ चरण में तो असम, तमिलनाडु और केरल में दो से तीन चरण में चुनाव कराए जा सकते हैं। पुडुचेरी में एक ही चरण में चुनाव होने की संभावना है।
इन राज्यों में खत्म हो रहा सरकार का कार्यकाल
तमिलनाडु में 24 मई, पश्चिम बंगाल में 30 मई, असम में 31 मई, पुडुचेरी में 8 जून और केरल में 1 जून 2021 को सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है। प. बंगाल में लगातार हो रही चुनावी हिंसा में दर्जन भर से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले हो चुके हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के काफिले पर भी बंगाल में हमला हुआ था। 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में हिंसा का जो सिलसिला जारी है उसमें कुछ बातें बिल्कुल साफ़ हैं। इस बार संघर्ष के ज़्यादातर मामलों में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और उनको चुनौती दे रही भाजपा के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच झड़प हो रही है। ऐसे में प. बंगाल में शांतिपूर्ण चुनाव सबसे बड़ी चुनौती है।
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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की तारीखों को घोषित करने से पहले आयोग को राज्य में बोर्ड परीक्षा को भी देखना होगा। क्योंकि वहां बोर्ड परीक्षाओं के दौरान पर सुरक्षा बलों की जरूरत पड़ती है। वैसे चुनाव आयोग ने बंगाल विधानसभा चुनाव कार्यक्रम जारी करने से पहले राज्य चुनाव आयोग में तीन बड़े बदलाव करके ममता बनर्जी को झटका दे दिया है। ये बदलाव हैं लगभग एक दशक से काम संभालने वाले एडिशनल सीईओ, ज्वाइंट सीईओ और डिप्टी सीईओ की जगह नये लोगों की तैनाती। इसके तहत आदिवासी विकास परिषद के संयुक्त सचिव विजित धर अब एडिशनल सीईओ का पद संभालेंगे। वहीं अरिंदम नियोगी को ज्वाइंट सीईओ का पद दिया गया है।
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इसके अलावा डिप्टी सीईओ पद पर सौरव बारीक लाया गया है। इससे एडिशनल सीईओ के पद से शैबाल बर्मन को हटा दिया गया था। 2011 विधानसभा चुनाव, 2014 लोकसभा चुनाव, 2016 विधानसभा चुनाव के साथ-साथ 2019 लोकसभा चुनाव में शैबाल बर्मन अहम भूमिकाओं में थे। ज्वाइंट सीईओ अनामिका मजूमदार को भी हटा दिया गया है। अनामिका मजूमदार 2012 से इस पद पर थीं जबकि डिप्टी सीईओ अमित ज्योति भट्टाचार्य 2013 से इस पद पर थे उनको भी हटा दिया गया है।
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अन्य राज्यों में भी आयोग फेरबदल कर सकता है
कुल मिलाकर चुनाव आयोग के सख्त कदम इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि चुनाव के दौरान किसी भी गड़बड़ी के लिए आयोग कोई लूपहोल नहीं छोड़ना चाहता। सूत्रों का कहना है कि अन्य राज्यों में भी आयोग फेरबदल कर सकता है। वैसे तमिलनाडु में 234, पश्चिम बंगाल में 294, असम में 126, पुडुचेरी में 30 और केरल में 140 सीटों पर चुनाव होने हैं। आयोग का क्लीयरेंस मिलते हैं चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
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