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मोदी सरकार को नहीं मिल रही राहत, सुस्ती की राह पर अर्थव्यवस्था
नईदिल्ली। मोदी सरकार को चालु वित्त वर्ष में अभी कोई सुखद संदेश मिलने की गुंजाइश नहीं दिख रही है। अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती से फिलहाल कोई राहत मिलने के संकेत नही मिल रहे हैं। इस वर्ष की सकल घरेलु उत्पाद का विकास दर 5 फीसद तक रहने का अनुमान है। वहीं, इस वित्त वर्ष की जीवीए 4.9 फीसद रहने का अनुमान है। ये आंकड़ा सरकारी आंकड़ों में लगया गया है। इससे पिछले वित्त वर्ष में 2018-19 में आर्थिक वृद्धि दर 6.8 फीसद रही थी।
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अर्थव्यवस्था सुस्ती की राह पर
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने मंगलवार को राष्ट्रीय आय का पहला अग्रिम अनुमान जारी किया। इसमें कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट की प्रमुख वजह विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घटना है। जीडीपी आकलन के आंकड़े ऐसे वक्त में जारी किए गए हैं, जब भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी सुस्ती देखी जा रही है।
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विनिर्माण क्षेत्र का वृद्धी दर घटा
चालू वित्त वर्ष में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 2% पर आने का अनुमान है। इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 6.2% रही थी। अग्रिम अनुमान के अनुसार कृषि, निर्माण और बिजली, गैस और जलापूर्ति जैसे क्षेत्रों की वृद्धि दर भी नीचे आएगी। वहीं खनन, लोक प्रशासन और रक्षा जैसे क्षेत्रों की वृद्धि दर में मामूली सुधार का अनुमान है।
जीडीपी का बुरा हाल
जून तथा सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रमशः 5% तथा 4.5% की दर से आगे बढ़ी है, जो साढ़े छह वर्षों का निचला स्तर है। जीडीपी विकास दर के आंकड़ों में लगातार आ रही गिरावट से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को 2019-20 के लिए विकास दर अनुमान को 7.4% से घटाकर 5% करने को मजबूर होना पड़ा था।
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वित्त मंत्री पेश करेंगे बजट
केंद्र सरकार आगामी वर्ष के लिए 1 फरवरी को आम बजट पेश करेगी जिसमें पुरे देस को निगाह रहेगी। सरकार महंगाई व अन्य सेक्टरों के सेहत को सुधार करने के लिए क्या योजना लाती है। वित्त वर्ष 2019-20 के विकास दर का दूसरा अनुमान बजट के बाद जारी किया जाएगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत सुधरने का नाम नहीं ले रही है। दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में ग्रोथ रेट गिरकर 4.5 फीसदी पर पहुंच गया। तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) को लेकर जापान की वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी नोमुरा का मानना है कि विकास की रफ्तार और धीमी होगी और यह घटकर 4.3 फीसदी पर पहुंच सकती है।