TRENDING TAGS :
सिंधिया का दबदबा: विस्तार में शिवराज को मिली शिकस्त, देखें दिगज्जों की लिस्ट
शिवराज मंत्रिमंडल में शपथ 28 मंत्रियों ने शपथ लिया। जिसमें सिंधिया खेमे के 9 विधायक शामिल हैं। जबकि कांग्रेस के तीन ऐसे बागियों को मंत्री बनाया गया है जिन्होंने कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने के चलते बगावत कर बीजेपी का दामन थामा था।
भोपाल: मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को राजनीतिक पटखनी देने के बाद भारतीय जनता पार्टी के शिवराज सिंह चौहान ने अपनी सरकार बनायी। तब से 72 दिनों के बाद आज गुरुवार को शिवराज कैबिनेट का विस्तार हुआ। मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों का अच्छा खासा बोलबाला है।
सिंधिया खेमे के 9 विधायक शामिल
शिवराज मंत्रिमंडल में शपथ 28 मंत्रियों ने शपथ लिया।जिसमें सिंधिया खेमे के 9 विधायक शामिल हैं। जबकि कांग्रेस के तीन ऐसे बागियों को मंत्री बनाया गया है जिन्होंने कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने के चलते बगावत कर बीजेपी का दामन थामा था। हालांकि, ये तीनों भी सिंधिया की अगुवाई में ही बीजेपी में शामिल हुए थे।
1- महेंद्र सिंह सिसोदिया
महेंद्र सिंह सिसोदिया का जन्म 30 अगस्त 1962 को मध्य प्रदेश के गुना में हुआ और उनके पिता का नाम राजेन्द्र सिंह है। सिसोदिया को राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया लेकर आए हैं। सिसोदिया साल 2013 में गुना जिले के बमोरी विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने और 2018 में दूसरी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए।
इसके बाद दिसंबर 2018 में कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री बने, लेकिन सिंधिया के साल मार्च 2020 में कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद से उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया है। वो अपने इलाके में 'संजू भैया' के नाम से जाने जाते हैं।
2-प्रभुराम चौधरी
प्रभुराम चौधरी का जन्म 15 जुलाई 1958 को मध्य प्रदेश के रायसेन जिला के ग्राम माला में हुआ और उनके पिता का नाम बालमुकन्द चौधरी है। प्रभुराम चौधरी ने एमबीबीएस की शिक्षा प्राप्त की है और उन्होंने कांग्रेस से राजनीति में कदम रखा। प्रभुराम चौधरी साल 1985 में पहली बार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस संगठन में अहम जिम्मेदारी निभाई।
ये भी देखें: सावधान: 69 हजार शिक्षक भर्ती मामलें में आया नाय मोड़, अब होगा ये फैसला
डॉ. चौधरी साल 1994 में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति एवं जनजाति प्रभाग के संयोजक और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य चुने गए। साल 2008 में दूसरी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए और 2018 में सांची विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार विधायक बने। कमलनाथ सरकार में 2018 में कैबिनेट मंत्री बने, लेकिन सिंधिया के साथ उन्होंने मार्च में कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया।
3-प्रद्युम्न सिंह तोमर
प्रद्युम्न सिंह तोमर का जन्म 1 जनवरी, 1968 को ग्राम नावी तहसील अम्बाह जिला मुरैना में हुआ और उनके पिता का नाम हाकिम सिंह तोमर है। प्रद्युम्न तोमर ने राजनीति की शुरूआत वर्ष 1984 से की और 2008 में कांग्रेस से पहली बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए।
वह मध्य प्रदेश में यूथ कांग्रेस के उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। 2018 में वो दूसरी बार विधायक चुने गए और कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री बने, लेकिन सिंधिया के साथ उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है।
3-इमरती देवी
इमरती देवी का जन्म 14 अप्रैल 1975 को जिला दतिया के ग्राम चरबरा में हुआ। वह 1997-2000 तक जिला युवा कांग्रेस कमेटी ग्वालियर की वरिष्ठ उपाध्यक्ष सहित तमाम पदों पर रही हैं। 2008 में इमरती देवी पहली बार विधायक चुनी गईं।
इसके बाद 2013 में दूसरी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुईं और वर्ष 2018 में तीसरी बार ग्वालियर की डबरा सीट से विधायक चुनकर कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उन्होंने कांग्रेस और मंत्री पद छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है।
4-राज्यवर्धन सिंह
राज्यवर्धन सिंह मध्य प्रदेश के धार इलाके की बदनावार विधानसभा सीट से विधायक हैं। राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव को ज्योतिरादित्य सिंधिया का करीबी माना जाता है और उनके पिता प्रेम सिंह भी माधवराव सिंधिया के करीबी रहे थे। राज्यवर्धन सिंह साल 1990 में लुफ्तांसा में मार्केटिंग मैनेजर की नौकरी करते थे।
1998 में उनके पिता को कांग्रेस पार्टी ने विधायकी का टिकट देने से मना कर दिया था, इसी के बाद राज्यवर्धन सिंह ने नौकरी छोड़कर सियासत में कदम रखा और निर्दलीय चुनाव लड़ा था। साल 2018 में राज्यवर्धन बदनावर सीट से तीसरी बार विधायक चुने गए, उन्हें कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में मंत्री पद मिलने की उम्मीद थी, लेकिन मंत्री पद के लिए उनके नाम की अनदेखी की गई। इसी के चलते राज्यवर्धन सिंह ने सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया।
5-ओपीएस भदौरिया
ओपीएस भदौरिया मध्य प्रदेश की मेहगांव विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। उन्होंने अपना सियासी सफर छात्र राजनीति से शुरू किया। पहले एनएसयूआई में रहे और बाद में कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली। भदौरिया ने पहली बार 2013 के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई थी, लेकिन तब भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी थी और 1273 वोटों से हार गए थे। वह 2018 में विधायक बनने में सफल रहे, लेकिन इसके बाद उन्होंने सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है।
6-गिरिराज दंडोतिया
गिरिराज दंडोतिया सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। 2008 में अपना पहला चुनाव हारने के बाद दंडोतिया 2018 के चुनावों में उसी भाजपा उम्मीदवार को 18,477 वोटों से हराकर पहली बार विधायक बने थे। उन्होंने अपनी इस जीत का श्रेय सिंधिया को दिया था। इसी का नतीजा था कि उन्होंने सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया।
7-ब्रजेन्द्र सिंह यादव
ब्रजेन्द्र सिंह यादव मंत्री बनाए गए हैं। मुंगोली विधानसभा सीट से ब्रजेन्द्र सिंह पहली बार फरवरी 2018 के उपचुनाव में विधायक चुने गए थे। इसके बाद दिसंबर 2018 को विधानसभा चुनावों में वह फिर से उसी मुंगोली सीट से विधायक चुने गए, लेकिन मार्च 2019 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया।
8-सुरेश धाकड़
सुरेश धाकड़ ने सरपंच का चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 2018 में अपने पहले चुनावों में 7,918 वोटों के अंतर से जीत हासिल कर वह विधायक बने। सुरेश धाकड़ शिवपुरी जिले की पोहरी सीट से विधायक चुने गए थे, लेकिन मार्च 2019 में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया।
9-हरदीप सिंह डांग
हरदीप सिंह डांग मध्य प्रदेश के मंदसौर के सुवासरा से विधान सभा सीट से विधायक थे। 2018 के चुनावों में हरदीप मंदसौर जिले से 350 वोटों के अतंर से जीतने वाले कांग्रेस उम्मीदवार थे, इस सीट से वो दूसरी बार विधायक चुने गए थे। वह कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने के चलते नाराज थे और उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया है।
ये भी देखें: महंगा हुआ टमाटर: 100 के पार जा सकती हैं कीमत, हालत हुई खराब
10-बिसाहूलाल सिंह
बिसाहूलाल सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। कांग्रेस का आदिवासी चेहरा माने जाते थे, लेकिन कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने के चलते उन्होंने बगावत की राह पकड़ी और कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा है। 2018 में बिसाहूलाल सिंह पांचवीं बार विधायक चुने गए थे।
11-ऐंदल सिंह कंसाना
ऐंदल सिंह कंसाना मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की सुमावली विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। वो चार बार इस सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन 2018 में कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने के चलते नाराज थे और वह सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामकर शिवराज कैबिनेट का हिस्सा बने हैं।