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ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का रास्ता साफ, जानिए इसकी खास बातें
कोरोना के फ्रंट पर नए साल के पहले दिन अच्छी खबर आई है कि देशवासियों को वैक्सीन अब मिलने वाली है। भारत सरकार की केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के विशेषज्ञों की कमेटी ने ऑक्सफ़ोर्ड - आस्ट्रा जेनेका की वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है।
लखनऊ: कोरोना के फ्रंट पर नए साल के पहले दिन अच्छी खबर आई है कि देशवासियों को वैक्सीन अब मिलने वाली है। भारत सरकार की केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के विशेषज्ञों की कमेटी ने ऑक्सफ़ोर्ड - आस्ट्रा जेनेका की वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है। अब वैक्सीन को अब ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के पास भेजा जाएगा।
पुणे में हो रहा प्रोडक्शन
ऑक्सफोर्ड की इस वैक्सीन का प्रोडक्शन भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने किया है जो दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी है। ब्रिटेन की मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी ऑथोरिटी ने ऑक्सफोर्ड के टीके को 30 दिसंबर को मंजूरी दी थी। भारत में वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद उम्मीद लगाई जा रही है कि सरकार जल्द ही टीकाकरण अभियान भी शुरू कर सकती है।
इन कम्पनियों ने लगाई है अर्जी
देश में इमरजेंसी अप्रूवल के लिए तीन कंपनियों ने आवेदन किया था। ये कंपनियां- फाइजर, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक हैं।कमेटी ने भारत बायोटेक के टीके 'कोवैक्सीन' के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी देने की उसकी अर्जी पर विचार करना भी शुरू कर दिया है, लेकिन इस मामले में अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।
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सीरम इंस्टिट्यूट ने ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी के लिए छह दिसंबर को भारत के औषध महानियंत्रक (डीसीजीआई) को आवेदन किया था, वहीं हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने सात दिसंबर को देश में विकसित कोवैक्सीन टीके की मंजूरी के लिए अर्जी दाखिल की थी। फाइजर कंपनी ने अपने टीके को नियामक मंजूरी देने के लिए चार दिसंबर को आवेदन किया था।
खास बातें
- सीरम में पिछले 8-9 महीने से वैक्सीन बनाने का काम चल रहा है। अब लॉन्च से पहले अंतिम रूप दिया जा रहा है। इतना स्टॉक तैयार है कि पूरे देश की जरूरत को पूरा कर सकते हैं।
- सीरम इंस्टीट्यूट में जो वैक्सीन की बोतल बन रही है, उसमें 10 डोज दी जा सकती हैं। जिसे एक बार खोलने के बाद 4-5 घंटे के भीतर इस्तेमाल की जा सकती है।
- हर वैक्सीन में कुछ ना कुछ साइड इफेक्ट होते हैं, लेकिन कोरोना की वैक्सीन में अभी तक जान का खतरा कोई सामने नहीं आया है।एक बार वैक्सीन लग जाए तो शुरू के सात दिन में इफेक्ट दिखना शुरू हो जाते हैं, अभी तक के सारे ट्रायल में कोई दिक्कत नहीं आई है।
इंस्टीट्यूट का दावा
- सीरम इंस्टीट्यूट का दावा है कि उनकी वैक्सीन से 2 से 8 डिग्री के तापमान में रखा जा सकता है। अगर फ्रिज के बाहर वैक्सीन को रखा गया तो 10 दिन तक कुछ खराबी नहीं होगी, लेकिन फिर भी इसे 2 से 8 डिग्री तक में ही रखा जाना चाहिए।
- सीरम इंस्टीट्यूट के पास 5 करोड़ डोज तैयार हैं। अगर दो महीने के बाद दूसरी डोज ली जाती है, तो काफी अच्छा सफलता मिलेगी। सीरम इंस्टीट्यूट का कहना है कि लोगों को ध्यान रखना होगा कि उन्हें दो डोज लेनी हैं। सिर्फ एक डोज से वैसी प्रोटेक्शन नहीं मिलेगी, जैसा पूरा डोज मिलने से मिलेगी। ऐसे में अगर वैक्सीन का फायदा लंबे वक्त तक लेना है, तो लोगों को दोनों ही डोज लेनी होंगी।
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- सीरम इंस्टीट्यूट का कहना है कि ऐसी कोई वजह नहीं है कि वैक्सीन नए स्ट्रेन पर काम नहीं करेगी। हालांकि, अगले कुछ दिनों में ये साफ हो जाएगा कि वैक्सीन नए स्ट्रेन पर कितना कारगर है।
- सीरम इंस्टीट्यूट भारत सरकार को एक डोज 200 रुपये में देगी यानी दो डोज की वैक्सीन 400 रुपये में दी जाएगी। लेकिन ये दाम सिर्फ सरकार के लिए है, अगर कोई प्राइवेट कंपनी वैक्सीन की डोज खरीदती है तो 1 हजार रुपये एक डोज के लिए देने होंगे। मार्च या अप्रैल तक प्राइवेट रूप से वैक्सीन मिलना शुरू हो जाएगी लेकिन ये वैक्सीन आपको किसी डॉक्टर के पास ही मिलेगी, जो उसकी सलाह अनुसार ही दी जाएगी।
नीलमणि लाल