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सरकार का बड़ा कदम: किसानों को मनाने की कवायद तेज, आज फिर होगी वार्ता

किसान संगठनों की ओर से इन कृषि कानूनों को वापस लेने के अल्टीमेटम के बीच गुरुवार को सरकार और संगठन के नेताओं के बीच एक और दौर की वार्ता होगी। सरकार और किसान संगठनों के बीच एक दिसंबर को भी बातचीत हुई थी मगर इस बातचीत का कोई खास नतीजा नहीं निकल सका था।

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Published on: 3 Dec 2020 8:39 AM IST
सरकार का बड़ा कदम: किसानों को मनाने की कवायद तेज, आज फिर होगी वार्ता
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सरकार का बड़ा कदम: किसानों को मनाने की कवायद तेज, आज फिर होगी वार्ता

नई दिल्ली: केंद्र सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए आज एक बार फिर पहल करेगी। किसान संगठनों की ओर से इन कृषि कानूनों को वापस लेने के अल्टीमेटम के बीच गुरुवार को सरकार और संगठन के नेताओं के बीच एक और दौर की वार्ता होगी। अब हर किसी की नजर इस वार्ता से निकलने वाले नतीजों पर टिकी है।

सरकार और किसान संगठनों के बीच एक दिसंबर को भी बातचीत हुई थी मगर इस बातचीत का कोई खास नतीजा नहीं निकल सका था। दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की भी बैठक होनी है। इस बैठक में भी मुख्य रूप से हुए किसान आंदोलन पर ही चर्चा होगी।

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किसान नेताओं के कड़े तेवर, विशेष सत्र की मांग

कृषि कानूनों को निरस्त करने के मुद्दे पर किसान संगठन तनिक भी झुकने को तैयार नहीं है। सरकार के साथ गुरुवार को होने वाली बातचीत से पहले किसान नेताओं ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।

farmer protest फोटो- सोशल मीडिया

संयुक्त किसान मोर्चा कोऑर्डिनेशन कमेटी की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि इस आंदोलन को लेकर किसान पूरी तरह एकजुट हैं और किसानों की एकता को तोड़ने की कोई भी कोशिश कामयाब नहीं हो पाएगी। इसके साथ सरकार को यह भी चेतावनी दी गई है कि कानून वापस नहीं लिया गया तो दिल्ली के सभी रास्ते बंद कर दिए जाएंगे।

अमित शाह ने की लंबी बैठक

किसान आंदोलन को समाप्त कराने के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह सक्रिय हो गई है और शीर्ष स्तर पर लगातार मंथन का दौर जारी है। किसान संगठनों से बातचीत से पहले बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक की और इसमें किसान संगठनों की नाराजगी दूर करने के उपायों पर लंबी चर्चा की गई।

फोटो- सोशल मीडिया

पीयूष गोयल और तोमर किसान नेताओं के साथ एक दिसंबर को हुई बातचीत में भी शामिल थे और ये दोनों मंत्री किसान आंदोलन समाप्त कराने के लिए सबसे सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

किसानों को मंजूर नहीं सरकार का प्रस्ताव

मंगलवार को भी बैठक के दौरान सरकार की ओर से कृषि कानूनों को लेकर समिति के गठन का प्रस्ताव रखा गया था। सरकार का कहना था कि इस समिति में किसान संगठनों के पांच प्रतिनिधि, कृषि विशेषज्ञ व कृषि मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे। सरकार का कहना था कि यह समिति किसानों की चिंताएं दूर करने के उपायों पर चर्चा करेगी मगर किसान संगठनों ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

किसानों ने फिर बातचीत का प्रस्ताव स्वीकारा

किसान संगठनों की दलील थी कि बैठक में दूसरे किसान संगठनों के प्रतिनिधि नहीं शामिल हुए हैं और उनसे चर्चा के बगैर कोई फैसला नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही उनका यह भी कहना था कि सरकार मामले को लटकाने की कोशिश कर रही है। इस पर सरकार की ओर से सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को 3 दिसंबर को बातचीत का न्योता दिया गया जिसे किसान संगठनों ने स्वीकार कर लिया है।

फोटो- सोशल मीडिया

सरकार की ओर से फायदे गिनाने की तैयारी

सरकार व किसान संगठनों के बीच गुरुवार को दोपहर बारह बजे चौथे दौर की बैठक होगी। माना जा रहा है कि इस बैठक में सरकार की ओर से एक बार फिर आंदोलनरत किसान नेताओं को मनाने की कवायद की जाएगी। सरकार की ओर से किसान नेताओं को नए कानून के फायदे गिनाने की तैयारी की गई है। सरकार व किसान नेताओं के अपने-अपने रुख पर मजबूती के साथ डटे रहने के कारण अभी तक आंदोलन को समाप्त कराने की सारी कोशिशें नाकाम साबित हुई हैंड।

दिल्ली के सभी रास्ते बंद करने की चेतावनी

इस बीच किसान संगठनों ने कहा है कि नए कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए। उन्होंने मांगें पूरी न होने पर दिल्ली के बाकी सभी रास्ते भी जाम करने की चेतावनी दी है। किसान संगठनों ने कहा कि 5 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन होगा और सोमवार को खिलाड़ी सम्मान व पुरस्कार लौटाएंगे। सैनिकों ने भी अपने पुरस्कार वापस करने का फैसला किया है।

ट्रांसपोर्ट यूनियन का भी मिला समर्थन

कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों को उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश आदि राज्यों के किसान संगठनों का समर्थन भी मिलना शुरू हो गया है। ट्रांसपोर्ट क्षेत्र की सबसे बड़ी यूनियन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) ने भी किसानों की मांगों को जायज ठहराया है।

delhi police फोटो- सोशल मीडिया

एआईएमटीसी के अध्यक्ष कुलतार सिंह अटवाल ने कहा कि कृषि कानून के खिलाफ किसानों का विरोध जायज है और इस भीषण ठंड में भी किसान सड़कों पर डटे हुए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने किसानों की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया तो यूनियन आठ दिसंबर से उत्तर भारत में चक्काजाम कर देगी।

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अमित शाह से आज मिलेंगे कैप्टन

इस बीच कृषि कानून और किसान आंदोलन के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की भी गुरुवार को मुलाकात होगी। कृषि कानूनों का सबसे ज्यादा विरोध पंजाब के किसानों की ओर से किया जा रहा है और पंजाब के किसान संगठन ही आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं।

ऐसे में कैप्टन और केंद्रीय गृह मंत्री की इस मुलाकात को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जानकारों के मुताबिक इस मुलाकात के दौरान नए कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों की नाराजगी पर ही मुख्य रूप से चर्चा होगी।

अंशुमान तिवारी



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