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हुक्के पानी तक पहुंचा किसान आंदोलन, खापों का फैसला डाल रहा नई जान

उत्तर प्रदेश व हरियाणा में आंदोलन का समर्थन न करने वालों का हुक्का पानी बंद करने का फैसला भी रंग लाता दिख रहा है। खापों के आंदोलन से जुड़ने के पीछे खास बात यह है कि संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत है और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत।

Dharmendra kumar
Published on: 30 Jan 2021 6:00 PM GMT
हुक्के पानी तक पहुंचा किसान आंदोलन, खापों का फैसला डाल रहा नई जान
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किसान आंदोलन: किसानों के साथ खड़ी हुई इन 11 वकीलों की टीम, लड़ाई होगी तेज

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: दिल्ली की सीमा पर कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन जो कि गणतंत्र दिवस हिंसा के बाद लगभग समाप्त हो चला था। अपने उत्तरार्द्ध में ज्यादा तेजी से गति पकड़ता दिख रहा है। दिल्ली का गाजीपुर बार्डर अब इसका केंद्र बन रहा है। मुजफ्फरनगर की महापंचायत के बाद खाप पंचायतों के आंदोलन को समर्थन में तेजी आई है।

उत्तर प्रदेश व हरियाणा में आंदोलन का समर्थन न करने वालों का हुक्का पानी बंद करने का फैसला भी रंग लाता दिख रहा है। खापों के आंदोलन से जुड़ने के पीछे संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत हैं। नरेश टिकैत बालियान खाप के अध्यक्ष भी हैं। इसी तरह से करीब 18 खाप हैं जो उनके आह्वान पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को खड़ा कर सकती हैं।

पंचायत चुनाव में बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ा कर सकता है किसान आंदोलन

यदि किसान आंदोलन का जल्द ही कोई हल नहीं निकला तो उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव भी भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी करेंगे। यानी आंदोलन अब उत्तर प्रदेश की राजनीति पर केंद्रित हो गया है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी किसानों के समर्थन में लामबंद हो चुकी हैं।

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आने वाले दिनों में किसान आंदोलन का पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश की पंचायत चुनाव की सियासत पर असर पड़ना लाजमी हो गया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को हालांकि एक साल बाकी है। लेकिन राजनीतिक दलों ने किसान आंदोलन को लेकर एक तरह से अपने चुनाव प्रचार का शंखनाद कर दिया है।

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देखने की बात यह है कि पंचायत चुनाव का मुख्य वोटर गांव का किसान है और बात यह भी सही है कि पंचायत चुनाव के परिणाम बहुत कुछ विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि भी तैयार करते हैं। ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन हालात से अंजान हैं या बात की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं। किसानों से वार्ता का रुख जाहिर कर एक तरह से उन्होंने किसानों से एक मौका मांगा है।

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किसानों को इन नेताओं का समर्थन

राहुल और प्रियंका गांधी के साथ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजित सिंह, जयंत चौधरी, भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद सभी किसानों के साथ आ खड़े हुए हैं। भाजपा के रणनीतिकारों के माथे पर शिकन लाने के लिए ये स्थितियां पर्याप्त हैं।

किसान आंदोलन को खापों का समर्थन, किसानों का गांव गांव से आंदोलन के लिए कूच ये साबित करता है कि सरकार को अब और देर न करते हुए किसानों को संतुष्ट कर सम्मान के साथ दिल्ली से विदा कर देना चाहिए। वरना ये तो मान कर चला जा रहा है कि किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं और उनकी मांगें माने जाने तक यह लड़ाई जारी रहेगी।

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