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किसान आंदोलन में वार्ता का नया दौर, कभी भी आमने सामने हो सकती है बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी उनका धन्यवाद दिया। टिकैत ने कहा कि वो पीएम मोदी का धन्यवाद करते हैं, क्योंकि उन्होंने किसानों को संज्ञान में लिया।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसान सरकार से एक कॉल की दूरी पर हैं, वो कभी भी बात कर सकते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से सर्वदलीय बैठक में किसानों को दिये गए वार्ता के संकेत को जिस तरह से भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने हाथों हाथ लिया है तो उससे एक बात तय हो गई कि बातचीत के दरवाजे खुले हैं और दोनो पक्षों में इस मसले को सुलझाने की इच्छा शक्ति है।
राकेश टिकैत ने भी कहा कि प्रधानमंत्री जल्द बातचीत कराएं। शनिवार को बजट सत्र से पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंदोलनकारी किसानों के प्रति नरम रुख रखते हुए कहा कि किसानों का मसला बातचीत से ही दूर होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को दिया गया सरकार का प्रस्ताव आज भी कायम है।
पीएम मोदी यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि किसान नेताओं संग पिछली चर्चा में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि वे किसानों से केवल एक फोन कॉल की दूरी पर हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि सरकार विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के मामलों को वार्ता के जरिए सुलझाने की लगातार कोशिश कर रही है।
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बातचीत को तैयार है सरकार
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी कहा कि सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है। जोशी ने कहा, "22-23 जनवरी को हमारे कृषि मंत्री नरेद्र सिंह तोमर ने जो ऑफर दिया था, 'हम डिस्कशन के लिए तैयार हैं। अगर आप डिस्कशन को तैयार हैं तो मैं एक फोन कॉल पर उपलब्ध हूं।' जो किसान नेताओं से कहा गया था, वह अब भी बरकरार है। सरकार बातचीत को तैयार है। ये प्रधानमंत्री जी ने दोहराया।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी उनका धन्यवाद किया। टिकैत ने कहा कि वो पीएम मोदी का धन्यवाद करते हैं, क्योंकि उन्होंने किसानों को संज्ञान में लिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार और किसानों के बीच प्रधानमंत्री संवाद करवाएं।
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''न सरकार का सिर झुकने देंगे न किसान की पगड़ी''
राकेश टिकैत ने कहा कि मेरे जो आंसू निकले, वह किसान के आंसू थे। उन्होंने कहा कि न सरकार का सिर झुकने देंगे और न किसान की पगड़ी झुकने देंगे। हमारे लोगों पर अगर पत्थर चलेंगे तो किसान भी वहीं है और ट्रैक्टर भी वहीं हैं।
किसान नेता शिव कुमार कक्काजी ने भी कहा कि हम जरूर बात करेंगे। अगर वो एक कॉल की दूरी पर हैं तो हम तो रिंग की दूरी पर हैं। वो जिस दिन घंटी कर देंगे हम उस दिन पहुंच जाएंगे। बातचीत से ही हल निकलना चाहिए। उससे हम पीछे नहीं हो रहे हैं। बातचीत करने से कभी हमने गुरेज नहीं किया है।
प्रधानमंत्री और किसान नेताओं की बातचीत के बाद सारी बात इस पर अटक गई लगती है कि काल पहले कौन करता है। यदि इस बात को मुद्दा न बनाया जाए तो बातचीत का प्लेटफार्म एक बार फिर बन सकता है। असली मुद्दा किसानों की समस्या का है वह सुलझना चाहिए।
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किसान नेताओं ने आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को ‘सदभावना दिवस’ के रूप में मनाया। विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर उन्होंने एक दिन का उपवास भी रखा। गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद प्रदर्शन स्थलों पर प्रदर्शनकारियों की संख्या कम होने लगी थी। एक बार फिर बढ़नी शुरू हो गई है। समाधान तक पहुंचने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों को कानूनों को रद्द करने की अपनी अड़ियल मांग में कुछ संशोधन करना होगा। सरकार को भी कुछ झुक कर समाधान का रास्ता निकालना होगा। तभी बातचीत के अपने मुकाम तक पहुंचने की उम्मीद की जा सकती है।
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