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खालिस्तानियों और वामपंथियों वाले बयानों पर सियासत गरमाई, पढ़ें किसने क्या कहा?
अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि किसान संगठनों को खालिस्तानियों और राजनीतिक दलों की संज्ञा देकर आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आन्दोलन आज 17वें दिन भी जारी है। किसानों से सरकार की अब तक की सभी बातचीत बेनतीजा रही है।
विपक्षी दलों के समर्थन मिलने के बाद से किसान आन्दोलन को लेकर सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी अब शुरू हो चुका है।
किसान आंदोलन में वामपंथियों और माओवादियों की घुसपैठ के बयानों पर राजनीति गरमाने लगी है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आंदोलन के माओवादियों और वामपंथियों के हाथों में चले जाने की बात कही थी।
किसान आन्दोलन (फोटो: सोशल मीडिया)
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पीयूष गोयल के बयान के बाद अकाली दल ने उस पर क्या कहा?
इस पर किसान संगठनों ने कहा कि अगर ऐसा है तो केंद्र उन लोगों को सलाखों के पीछे डाल दे। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी की पूर्व सहयोगी और पंजाब के प्रमुख राजनीतिक दल शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का बयान भी अब सामने आया है।
पार्टी के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि किसान संगठनों को खालिस्तानियों और राजनीतिक दलों की संज्ञा देकर आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। अगर कोई केंद्र से असहमत है तो वे उन्हें देशद्रोही कहते हैं।
अकाली दल के प्रमुख ने ये भी कहा कि यह बेहद ही अफसोसजनक है। ऐसे बयान देने वाले मंत्रियों को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। हम केंद्र के इस रवैये और ऐसे बयानों की निंदा करते हैं।
केंद्र किसानों की बात सुनने के बजाय उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रहा है। जब किसान कृषि कानून नहीं चाहते तो केंद्र क्यों नहीं मान रहा। मेरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध है कि वे किसानों की बात सुनें।
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किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कही ये बात
बता दें कि इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि अगर खुफिया एजेंसियों को लगता है कि कोई प्रतिबंधित लोग हमारे बीच घूम रहे हैं, तो उन्हें सलाखों के पीछे डाल दें। हमें ऐसा कोई व्यक्ति यहां नहीं मिला है।
किसान आन्दोलन (फोटो: सोशल मीडिया)
केन्द्रीय मंत्री तोमर ने क्या कहा?
वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसान आंदोलन के गलत दिशा में जाने से चिंतित है। किसानों को समझना चाहिए कि उनके आंदोलन से लोगों को परेशानी हो रही है।
किसान आंदोलन में वामपंथियों की घुसपैठ पर तोमर ने कहा कि वे किसान संगठनों से मिले लेकिन उनमें कुछ वामपंथी भी थे। ये उन्हें बाद में पता चला। इनमें उगराहां हैं, हन्नान मुल्ला हैं।
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