सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रूख: कृषि क़ानून होल्ड करे सरकार, नहीं तो हम कर देंगे

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि आंदोलन में किसानों की जान जा रही है, ऐसे में सरकार अभी इन कानूनों पर रोक लगाएगी या फिर अदालत ही आदेश जारी करे।

Shivani Awasthi
Published on: 11 Jan 2021 6:00 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रूख: कृषि क़ानून होल्ड करे सरकार, नहीं तो हम कर देंगे
X

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि आंदोलन में किसानों की जान जा रही है, ऐसे में सरकार अभी इन कानूनों पर रोक लगाएगी या फिर अदालत ही आदेश जारी करे। कृषि कानूनों की वैधता को एक किसान संगठन और वकील एमएल शर्मा ने चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार को कृषि से संबंधित विषयों पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। साथ ही कानून को निरस्त करने की मांग की गयी है।

कृषि कानूनों और बॉर्डर पर आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

दरअसल, मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान संगठनों के आंदोलन के लगभग 50 दिन हो गए हैं। किसानों और सरकार के बीच इस मसले पर अब तक सहमति नहीं बनी, हालाँकि नौवे स्तर की वार्ता 15 जनवरी को होनी है।

सुप्रीम कोर्ट में कल फिर होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने अब सरकार और पक्षकारों से कुछ नाम देने को कहा है। ताकि कमेटी में उन्हें शामिल किया जा सके। हमारे लिए लोगों का हित जरूरी है, अब कमेटी ही बताएगी कि कानून लोगों के हित में हैं या नहीं। अब इस मामले को कल फिर सुना जाएगा, कमेटी को लेकर भी कल ही निर्णय हो सकता है।

सरकार ने कहा - कमेटी के सामने आने का भरोसा दें किसान

-अदालत में सरकार की ओर से कहा गया कि अदालत सरकार के हाथ बांध रही है, हमें ये भरोसा मिलना चाहिए कि किसान कमेटी के सामने बातचीत करने आएंगे। किसान संगठन की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि हमारे 400 संगठन हैं, ऐसे में कमेटी के सामने जाना है या नहीं हमें ये फैसला करना होगा।

-जिसपर अदालत ने कहा कि ऐसा माहौल ना बनाएं कि आप सरकार के पास जाएंगे और कमेटी के पास नहीं। सरकार की ओर से कहा गया है कि किसानों को कमेटी में आने का भरोसा देना चाहिए।

-हालांकि, किसान महापंचायत की ओर से कहा गया कि उन्हें दिल्ली नहीं आने दिया जा रहा है। वो कमेटी के सुझाव का स्वागत करते हैं और प्रदर्शन को शांतिपूर्ण ढंग से ही जारी रखेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रदर्शन जैसे चल रहा है, चलता रहे। हम बस ये अपील करेंगे कि सड़क की जगह किसी और स्थान पर बैठें।

-अगर किसी की जान जाती है या संपत्ति को नुकसान होता है, तो जिम्मेदारी कौन लेगा? चीफ जस्टिस ने किसान संगठन के वकील से कहा कि आप प्रदर्शन में बैठे बुजुर्गों और महिलाओं को मेरा संदेश हैं, और कहें कि चीफ जस्टिस चाहते हैं कि आप घर चले जाएं।

हम किसी को आंदोलन करने से नहीं रोक सकते: सुप्रीम कोर्ट

-अदालत में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हम आंदोलन को खत्म नहीं करना चाह रहे हैं, आप इसे जारी रख सकते हैं। हम ये जानना चाहते हैं कि अगर कानून रुक जाता है, तो क्या आप आंदोलन की जगह बदलेंगे जबतक रिपोर्ट ना आए? अगर कुछ भी गलत होता है, तो हम सभी उसके जिम्मेदार होंगे।

-अगर किसान विरोध कर रहे हैं, तो हम चाहते हैं कि कमेटी उसका समाधान करे। हम किसी का खून अपने हाथ पर नहीं लेना चाहते हैं। लेकिन हम किसी को भी प्रदर्शन करने से मना नहीं कर सकते हैं। हम ये आलोचना अपने सिर नहीं ले सकते हैं कि हम किसी के पक्ष में हैं और दूसरे के विरोध में।

-सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि इस तरह से किसी कानून पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। इसपर अदालत ने कहा कि हम सरकार के रवैये से खफा हैं और हम इस कानून को रोकने की हालत में हैं। अदालत ने कहा कि अब किसान अपनी समस्या कमेटी को ही बताएंगे।

ये भी पढ़ेंः डरे नहीं… बर्ड फ्लू का है इलाज, यहां जानें टेस्ट से लेकर ट्रीटमेंट के बारें में सबकुछ

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये नहीं कह कह हैं कि हम किसी भी कानून को तोड़ने वाले को प्रोटेक्ट करेंगे, कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कानून के हिसाब से कारवाई होनी चाहिए। हम तो बस हिंसा होने से रोकना चाहते हैं। कोर्ट में AG ने कहा कि किसान 26 जनवरी को राजपथ पर ट्रैक्टर मार्च करेंगे, इसका इरादा रिपब्लिक डे परेड में व्याधान डालना है। किसानों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि ऐसा नहीं होगा, राजपथ पर कोई ट्रैक्टर नहीं चलेगा

kisan andolan sc

सरकार को अदालत से लगी फटकार, कहा- सरकार की ये दलील नहीं चलेगी

-चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार की ये दलील नहीं चलेगी कि इसे किसी और सरकार ने शुरू किया था। आप किस तरह हल निकाल रहे हैं? सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि 41 किसान संगठन कानून वापसी की मांग कर रहे हैं, वरना आंदोलन जारी करने को कह रहे हैं।

-चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे पास ऐसी एक भी दलील नहीं आई जिसमें इस कानून की तारीफ हुई हो। अदालत ने कहा कि हम किसान मामले के एक्सपर्ट नहीं हैं, लेकिन क्या आप इन कानूनों को रोकेंगे या हम कदम उठाएं। हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं, लोग मर रहे हैं और ठंड में बैठे हैं। वहां खाने, पानी का कौन ख्याल रख रहा है?

-सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि हमें नहीं पता कि महिलाओं और बुजुर्गों को वहां क्यों रोका जा रहा है, इतनी ठंड में ऐसा क्यों हो रहा है। हम एक्सपर्ट कमेटी बनाना चाहते हैं, तबतक सरकार इन कानूनों को रोके वरना हम एक्शन लेंगे।

ये भी पढ़ेंः शक्तिशाली टैंक तैनात: चीन-पाकिस्तान का होगा सर्वनाश, आ गया K-9 वर्ज

-चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कानून वापसी की बात नहीं कर रहे हैं, हम ये पूछ रहे हैं कि आप इसे कैसे संभाल रहे हैं। हम ये नहीं सुनना चाहते हैं कि ये मामला कोर्ट में ही हल हो या नहीं हो।

-हम बस यही चाहते हैं कि क्या आप इस मामले को बातचीत से सुलझा सकते हैं। अगर आप चाहते तो कह सकते थे कि मुद्दा सुलझने तक इस कानून को लागू नहीं करेंगे। अदालत ने कहा कि हमें पता नहीं कि आप समस्या का हिस्सा हैं या समाधान का हिस्सा हैं।

किसान आंदोलन पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- हम बहुत निराश

सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो गई है। सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि दोनों पक्षों में हाल ही में मुलाकात हुई, जिसमें तय हुआ है कि चर्चा चलती रहेगी।

हालांकि, चीफ जस्टिस ने इसपर नाराजगी व्यक्त की। चीफ जस्टिस ने कहा कि जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है, हम उससे खुश नहीं हैं। हमें नहीं पता कि आपने कानून पास करने से पहले क्या किया। पिछली सुनवाई में भी बातचीत के बारे में कहा गया, क्या हो रहा है?

ये भी पढ़ेंः करनाल में किसानों का बवाल: 71 लोगों पर FIR दर्ज, CM खट्टर को रद्द करनी पड़ी रैली

किसानों की मांग- रद्द हो कृषि कानून, वरना आंदोलन रहेगा जारी

बता दें कि किसानों और सरकार के बीच पिछली बैठक बेनतीजा होने के बाद सरकार ने कहा था कि अब मामले को सुप्रीम कोर्ट ही संभाले तो बेहतर है। लेकिन इस प्रकरण में किसान संगठनों का कहना था कि इस विवाद में अदालत का रोल नहीं है, वो अपना आंदोलन जारी रखेंगे।वहीं पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने कहा था कि वह किसान आंदोलन को समाप्त करने और कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगा।

farmer protest

15 जनवरी को किसानों और सरकार के बीच बैठक :

कृषि कानूनों पर लगातार सरकार और किसान नेताओं के बीच वार्ता चल रही है, हालाँकि अब तक की सभी वार्ता बेनतीजा निकली। वहीं फिर से सरकार के साथ किसान नेताओं की वार्ता के लिए 15 जनवरी की तारीख तय हुई है। किसान संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि 15 जनवरी की मीटिंग में तीनों कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर गारंटी की मांग को ही रखा जाएगा। उन्होंने कड़ा संदेश देते हुए कहा कि फैसला अब गर्मियों में जाकर होगा। किसानों के लिए कूलर के ऑर्डर दे दिए गए हैं। आंदोलन अब 2024 तक चलेगा।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

Next Story