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आंदोलन में शामिल चीन-पाकः इस मंत्री का दावा, किसानों के अड़ जाने से बढ़ा टकराव

कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क पर उतरे किसानों को मनाने की केंद्र सरकार की सारी कोशिशें अभी तक नाकाम साबित हुई हैं। किसान संगठनों ने केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को भेजे गए नए प्रस्तावों को भी पूरी तरह खारिज कर दिया है और आंदोलन की नई रूपरेखा का एलान कर दिया है।

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Published on: 10 Dec 2020 3:46 AM GMT
आंदोलन में शामिल चीन-पाकः इस मंत्री का दावा, किसानों के अड़ जाने से बढ़ा टकराव
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आंदोलन में शामिल चीन-पाकः इस मंत्री का दावा, किसानों के अड़ जाने से बढ़ा टकराव

नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क पर उतरे किसानों को मनाने की केंद्र सरकार की सारी कोशिशें अभी तक नाकाम साबित हुई हैं। किसान संगठनों ने केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को भेजे गए नए प्रस्तावों को भी पूरी तरह खारिज कर दिया है और आंदोलन की नई रूपरेखा का एलान कर दिया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि तीनों कानूनों को निरस्त करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

किसान संगठनों ने आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया है। इससे केंद्र सरकार और किसानों के बीच टकराव और बढ़ गया है। इस बीच केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने किसान आंदोलन के पीछे चीन और पाकिस्तान का हाथ बताया है।

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लिखित प्रस्ताव में सरकार ने कही थीं ये बातें

किसान नेताओं और अमित शाह की बैठक के बाद बुधवार को केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के बाद सरकार को आंदोलन खत्म होने की उम्मीद थी मगर किसान संगठनों ने प्रस्ताव पर चर्चा के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में आंदोलन और तेज करने का एलान कर दिया।

सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में किसानों को एमएसपी पर लिखित आश्वासन के साथ ही मंडियों से बाहर काम करने वाले व्यवसायियों के पंजीकरण और उन पर कर व उपकर लगाने का प्रस्ताव दिया गया था मगर किसानों ने इसे ठुकरा दिया। सरकार के लिखित प्रस्ताव में एमएसपी की गारंटी समेत मंडी को लेकर वादे भी किए गए थे।

Amit Shah

कृषि मंत्रालय की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में यह भी कहा गया था कि कृषि कानूनों को लेकर किसानों की जो भी आपत्तियां हैं, सरकार खुले दिल से उन पर विचार करने को तैयार है।

चर्चा के बाद सरकार का प्रस्ताव खारिज

प्रस्ताव में किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील के साथ ही उनकी चिंताओं का समाधान करने की बात कही गई थी। सरकार की ओर से मिले प्रस्तावों पर किसान नेताओं ने व्यापक चर्चा की और उसके बाद उसे पूरी तरह खारिज कर दिया। किसान संगठनों ने अगले चरण के आंदोलन की रूपरेखा भी तैयार कर ली है और प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाकायदा इसका एलान भी कर दिया गया।

आंदोलन और तेज करने का एलान

किसान नेताओं ने 14 दिसंबर को देश भर में धरना प्रदर्शन करने के साथ ही रिलायंस के उत्पादों का बहिष्कार करने की भी घोषणा की है। उन्होंने 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा हाईवे को भी रोकने का एलान किया है।

14 दिसंबर को देशव्यापी धरना प्रदर्शन के साथ ही भाजपा के कार्यालय व हर जिला मुख्यालय का घेराव भी होगा। 12 दिसंबर को सभी टोल प्लाजा फ्री करने और दिल्ली व आसपास के राज्यों से दिल्ली चलो की हुंकार भरने की भी घोषणा की गई है। किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि कृषि कानूनों के वापस होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

सरकार फिर प्रस्ताव भेजेगी तो करेंगे विचार

क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव में कुछ भी नया नहीं था। इसलिए हमें आंदोलन तेज करने का फैसला करना पड़ा। किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा कि सरकार ने जो प्रस्ताव भेजा था उसमें वही पुरानी बातें थीं। सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्तावों में वही चीजें थीं जो कृषि मंत्री ने किसानों से बातचीत के दौरान कही थीं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की ओर से कोई और नया प्रस्ताव भेजा जाता है तो किसान उस पर विचार करने के लिए तैयार हैं।

kisan andola on tikari border

आंदोलन खत्म होने के आसार नहीं

केंद्र सरकार और किसान संगठनों के रवैये से टकराव और बढ़ता नजर आ रहा है। एक ओर सरकार कृषि कानूनों को वापस न लेने पर अड़ी है तो दूसरी और किसान कृषि कानून को रद्द किए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं। दोनों पक्षों के अपने-अपने रुख पर आने जाने से आंदोलन खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं।

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केंद्रीय मंत्री ने चीन व पाक का हाथ बताया

उधर केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने बुधवार को दावा किया कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के पीछे पाकिस्तान और चीन का हाथ है। उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी को लेकर भी पहले मुस्लिमों को गुमराह किया गया मगर गुमराह करने वालों की साजिशें कामयाब नहीं हो पाईं। अब किसानों को गुमराह किया जा रहा है कि नए कानूनों के कारण उनका नुकसान होगा।

पीएम का फैसला किसानों के खिलाफ नहीं

उन्होंने कहा कि सही बात तो यह है कि यह किसानों का आंदोलन ही नहीं है बल्कि इसके पीछे चीन और पाकिस्तान जैसी ताकतें काम कर रही हैं। हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया कि वह किस आधार पर यह दावा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी किसानों के प्रधानमंत्री हैं। इसलिए वे कोई भी फैसला किसानों के खिलाफ नहीं ले सकते।

अंशुमान तिवारी

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