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विधायकों की बड़ी गलती: खट्टर सरकार का समर्थन पड़ेगा भारी, किसानों का ऐसा रुख

किसान प्रतिनिधियों का हरियाणा राजनीति को लेकर कहना है कि खट्टर सरकार को समर्थन देकर विधायकों ने यह साबित कर दिया है कि उनकी सोच किसान विरोधी है।

Shivani
Published on: 11 March 2021 9:52 PM IST
विधायकों की बड़ी गलती: खट्टर सरकार का समर्थन पड़ेगा भारी, किसानों का ऐसा रुख
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रामकृष्ण वाजपेयी

चडीगढ़- हरियाणा की खट्टर सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने वाले विधायकों के खिलाफ किसानों ने जिस तरह से उग्र तेवर दिखाये हैं, उससे लगता है कि आने वाले चुनावों में इन विधायकों को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। लेकिन मूल बात यह है कि पिछले चुनावों में जाटों के कारण ही भाजपा को हरियाणा में जोड़ तोड़ कर सरकार बनानी पड़ी थी। यही वजह है कि हरियाणा सरकार या भाजपा जाट फैक्टर को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं है। मुसीबत जननायक जनता पार्टी के विधायकों की हो सकती है लेकिन उसके नेता दुष्यंत चौटाला इस समय मंत्रिमंडल में ढेर सारे मलाईदार विभाग लेकर मस्त हैं।

हरियाणा में विधायकों पर भड़के किसान

अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद राज्य में किसान संगठनों ने अलग अलग जगहों पर विधायकों के पुतले जलाकर रोष प्रकट किया। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों ने उपमुख्यमंत्री, बिजली मंत्री व सिरसा के विधायक का पुतला फूंका। इसके अलावा किसानों ने भूमणशाह चौक व हिसारिया बाजार स्थित विधायक कार्यालयों के आगे पुतले फूंके।

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खट्टर सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों को भारी पड़ेगा अगला चुनाव

किसान प्रतिनिधियों का कहना है कि आजादी के बाद पहली बार किसानों ने नेताओं से आंदोलन में समर्थन मांगा था। लेकिन खट्टर सरकार को समर्थन देकर इन विधायकों ने यह साबित कर दिया है कि इनकी सोच किसान विरोधी है। किसान ऐसे नेताओं का बहिष्कार जारी रखेंगे और उनके कार्यक्रमों का बहिष्कार किया जाएगा।

Manohar Lal Khattar, farmer

सरकार का सहयोग करने वाले विधायकों का होगा बहिष्कार

किसान संघर्ष समिति हरियाणा के संयोजक मनदीप नथवान ने भी कहा कि अविश्वास प्रस्ताव में सरकार का सहयोग करने वाले विधायकों का चेहरा सबके सामने आ गया है। उन्होंने कहा कि जिन विधायकों ने सरकार का समर्थन किया उन विधायकों का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा और उन विधायकों को गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा।

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हरियाणा विधानसभा चुनाव में जाट फैक्टर की ताकत

लोकसभा चुनावों में भाजपा को हरियाणा से भी जमकर वोट मिले थे लेकिन हरियाणा विधानसभा चुनाव में जाट फैक्टर ने अपनी ताकत दिखा दी थी। उस समय जाटों की बारी थी और उन्होंने साफ कर दिया कि उन्हें मोदी तो बहुत पसंद हैं, लेकिन मनोहर लाल खट्टर के वह खिलाफ थे। अब किसान आंदोलन में चूंकि जाटों की बहुलता है इसलिए भाजपा इसे तवज्जो नहीं दे रही है। यही हाल पंजाब का भी है पंजाब मे भाजपा जाटों के विरोध के कारण ही हाशिये पर पहुंच चुकी है।

Dushyant Chautala

जाट भाजपा के खिलाफ क्यों

हरियाणा की आबादी में जाट वोट बैंक की हिस्सेदारी 20-25 फीसदी है। जिसके चलते वह एक ताकत हैं। सवाल ये है कि जाट भाजपा के खिलाफ क्यों हैं तो इसके मूल में यह वजह है कि 2015 में जाटों ने आरक्षण की मांग की थी, जिसे मनोहर लाल खट्टर और भाजपा के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया था। इसी का नतीजा हरियाणा विधानसभा चुनाव में देखने को मिला और इस समय जाटों में कृषि कानूनों को लेकर गुस्सा भड़का हुआ है। मनोहर लाल खट्टर जाट नहीं हैं। इसलिए वह निशाने पर अधिक हैं।

वैसे किसानों की नाराजगी से भाजपा को ज्यादा नुकसान नहीं है लेकिन दुष्यंत चौटाला को इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं क्यों कि उनकी पार्टी जाट बेल्ट का प्रतिनिधित्व करती है।



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