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नए कृषि कानूनः जानिए उन राज्यों की रिपोर्ट, जहां पहले से खत्म है एपीएमसी

देश में कृषि बिल को लेकर किसानों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया है। किसान कृषि बिल के विरोध में अलग-अलग जगह पर आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन को चार महीना पूरा हो गया है। लेकिन किसान...

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Published on: 11 March 2021 5:49 PM IST
नए कृषि कानूनः जानिए उन राज्यों की रिपोर्ट, जहां पहले से खत्म है एपीएमसी
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नए कृषि कानूनः जानिए उन राज्यों की रिपोर्ट

नई दिल्लीः देश में कृषि बिल को लेकर किसानों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया है। किसान कृषि बिल के विरोध में अलग-अलग जगह पर आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन को चार महीना पूरा हो गया है। लेकिन किसान अपने जिद्द पर अड़े हुए हैं। आप को बता दें कि देश में 4 ऐसे राज्य है जहां पर एपीएमसी होने के बाद यह किसान अपनी फसल को कहीं भी बेच सकते हैं।

इसमें महाराष्ट्र, कनार्टक, दिल्ली और बिहार शामिल हैं। सबसे अहम बात यह है कि बिहार में साल 2006 में ही APMC खत्म हो गया था। फिर भी यहां के किसानों ने सरकार के बनाएं गये कृषि बिल के खिलाफ आंदोलन करते हुए दिख रहे है।

2003 में अटल सरकार ने कृषि कानून पर लिया था यह फैसलाः

साल 2003 में अटल सरकार ने कृषि कानून में सुधार लाने के लिए अहम फैसला लिया था। इस कानून के लिए अटल ने राज्यों से निवेदन किया और 2003 में मॉडल APMC एक्ट बनाया । इसमें कहा गया था कि आप अपना APMC इस तरह से डिजाइन करो और किसानों को छूट दो।आगे ये भी कहा गया कि कम से कम फल और सब्जियों को APMC से मुक्त कर देना चाहिए, ताकि किसानों को आजादी मिलना जाए और किसान कहीं भी आजाद होकर अपनी सब्जियों और फलों को बेच सके । साल 2015-16 आते ही करीब 15 राज्यों ने अटली की बात मान लिया।

आइए देखते हैं कौन-कौन सा है राज्यः

बता दें कि दिल्ली में सब्जियों और फलों को APMC नहीं लगता। यहां पर सभी सब्जियां और फल एपीएमसी मुक्त कर दिया और किसान सीधे मंडी में जाकर बेच सकता था। वहीं कर्नाटक के बाजार में छोटे पैमाने पर किसान सीधे उपभोक्ताओं को सब्जियां और फलों को बेच सकते।

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जबकी महाराष्ट्र में विलास राव देशमुख की सरकार ने APMC के समांतर प्राइवेट मार्किट लाइसेंस निकाला। उसके लिए कुछ शर्ते थी और हर साल राज्य सरकार से इसका लाइसेंस रिन्यूक कराना पड़ता है।

बिहार में नही हैं APMC

आप को बताते चले कि बिहार राज्य में 2006 में ही APMC को खत्मस कर दिया था यहां पर इसके खिलाफ कोई क्रांति भी नहीं हुई। सबसे दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश किसानों को APMC का मतलब भी पता नहीं है।इसके साथ ही अगर यह कहा जाए कि देश में बहुत से किसानों को MSP का मतलब भी नहीं पता है।

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