Maharashtra Crisis: महाराष्ट्र में अब विभागों के बंटवारे को लेकर घमासन, अजित पवार को वित्त मंत्रालय न देने पर अड़ा शिंदे

Maharashtra Political Crisis: एनसीपी में टूट के बाद अब सरकार में मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है। एनसीपी के खिलाफ शुरू से ही मुखर रहे शिंदे गुट में अजित पवार कैंप को लेकर बेचैनी है।

Krishna Chaudhary
Published on: 13 July 2023 10:23 AM GMT
Maharashtra Crisis: महाराष्ट्र में अब विभागों के बंटवारे को लेकर घमासन, अजित पवार को वित्त मंत्रालय न देने पर अड़ा शिंदे
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Maharashtra Political Crisis (Photo: Social Media)

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र की राजनीति में उठापटक जारी है। एनसीपी में टूट के बाद अब सरकार में मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है। एनसीपी के खिलाफ शुरू से ही मुखर रहे शिंदे गुट में अजित पवार कैंप को लेकर बेचैनी है। पवार को जिस तरह का ट्रीटमेंट बीजेपी की ओर से मिल रहा है, उससे शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना कैंप के विधायकों में भारी नाराजगी है। इस बीच डिप्टी सीएम अजित पवार को वित्त मंत्रालय मिलने की अटकलों ने शिंदे कैप में खलबली मचा दी है।

खबरों के मुताबिक, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनकी पार्टी के नेता अजित पवार को वित्त मंत्रालय देने के सख्त खिलाफ हैं। उनके समर्थक विधायकों का कहना है कि उन्हें भले कोई और विभाग दे दिया जाए लेकिन वित्त विभाग न सौंपा जाए। शिंदे गुट ने यह संदेश बीजेपी आलाकमान को पहुंचा दिया है। वहीं, बीजेपी शिवसेना को मनाने में जुटी हुई है।

अजित पवार को वित्त मंत्रालय देने के खिलाफ क्यों है शिंदे गुट

उपमुख्यमंत्री अजित पवार पिछली महाविका अघाड़ी सरकार में भी वित्त मंत्री थे। इस दौरान शिवसेना के विधायकों ने उन पर आरोप लगाया था कि वे केवल एनसीपी के विधायकों के इलाके में फंड जारी कर रहे हैं। शिवसेना विधायकों के इलाकों में विकास योजनाएं धन की कमी के कारण ठप पड़ी हैं, जिसके कारण उन्हें लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है। तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे द्वारा इस ओर उदासीन रवैया अपनाने के कारण ही ज्यादातर उनके विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बीजेपी के साथ चले गए थे।

ऐसे में अगर वही अजित पवार फिर से वित्त मंत्री बनते हैं तब उनके लिए घूम फिरकर वही स्थिति आ जाएगी, जो महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान थी। शिंदे कैंप के विधायकों को लगता है कि अजित पवार फिर से फंड जारी करने में आनाकानी करेंगे। विधानसभा चुनाव में अब महज साल भर से थोड़ा ही अधिक वक्त रह गया है। ऐसे में इस दौरान उन्होंने क्षेत्र में काम नहीं किया तो उनके लिए मुश्किल हो जाएगा।

वित्त मंत्रालय ही चाहते हैं अजित पवार

शिंदे गुट के तीखे विरोध के बावजूद उपमुख्यमंत्री अजित पवार वित्त मंत्रालय ही चाहते हैं। पवार ने बीते दिनों मुंबई स्थित सीएम आवास वर्षा पर हुई बैठक में कहा था कि वे पूर्व में भी कई बार यह विभाग संभाल चुके है, इसलिए उनके पास इसे चलाने का व्यापक अनुभव है। इस बैठक में सीएम शिंदे के अलावा डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस भी शामिल थे। बताया जाता है कि पवार को गृह और शहरी विकास जैसे भारी भरकम मंत्रालय भी ऑफर किए गए थे। लेकिन वे वित्त मंत्रालय पर अड़ गए थे। दरअसल, सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी अजित पवार चुनावी साल में इस मंत्रालय की अहमियत बखूबी समझते हैं, इसलिए वे किसी भी कीमत पर इसे हासिल करना चाहते हैं।

18 जुलाई को पीएम मोदी से मिलेंगे एनसीपी नेता

डिप्टी सीएम अजित पवार और सीनियर एनसीपी लीडर प्रफुल्ल पटेल बुधवार को दिल्ली पहुंचे थे। गुरूवार को उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। पटेल ने कहा कि 18 जुलाई को एनडीए नेताओं की बैठक बुलाई गई है, इसमें एनसीपी भी शामिल होगी। इस दौरान वे और अजित पवार प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे।
केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने की अटकलों पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने सरकार से केंद्र में कोई मंत्रीपद नहीं मांगा है। इस दौरान महाराष्ट्र में विभागों के बंटवारे को लेकर मचे घमासान पर प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि सत्ताधारी गठबंधन में कोई फूट नहीं है। थोड़ी बहुत दिक्कतें तो आएंगी ही लेकिन एक-दो दिनों में विभागों का बंटवारा हो जाएगा। पटेल ने कहा कि बंटवारा हो चुका है बस अब महज ऐलान करना बाकी है।

एनसीपी के 9 विधायक बने हैं मंत्री

महाराष्ट्र की राजनीति में 2 जुलाई को बड़ा भूचाल लाते हुए शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने बगावत कर दी थी। उन्होंने उसी दिन राजभवन जाकर राज्यपाल को शिंद-बीजेपी सरकार को एनसीपी का समर्थन पत्र सौंपा। अजित पवार समेत एनसीपी के 9 विधायकों ने उसी दिन मंत्री पद की शपथ भी ले ली थी। उनका दावा है कि उनके पास 40 विधायकों का समर्थन है, इसलिए असली एनसीपी उन्हीं का गुट है।

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