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बंद हुई ट्रेन तेजस: लेकिन आपके लिए खुशखबरी, निजी ट्रेनों पर अब हो रहा काम
तेजस निजी क्षेत्र की पहली ट्रेन थी जिसे पिछले साल 4 अक्टूबर को लखनऊ से दिल्ली के बीच शुरू किया गया था। इसके बाद अहमदाबाद-मुंबई तेजस एक्सप्रेस को 19 जनवरी 2020 को शुरू किया गया।
लखनऊ: भारतीय रेलवे ने देश की पहली प्राइवेट सेक्टर की ट्रेन 'तेजस' का ऑपरेशन फिलहाल बंद कर दिया है। इसकी वजह ट्रेन चलाने में आईआरसीटीसी को हो रहा भारी भरकम घाटा है। लॉकडाउन के चलते अन्य ट्रेनों की तरह तेजस ट्रेन भी बंद रही लेकिन जब शुरू हुई तो उसके सवारियां ही नहीं मिल पा रहीं थीं। लेकिन इस झटके के बावजूद देश में निजी ट्रेनें चलाने की योजना पर कोई ब्रेक नहीं लगा है। रेल मंत्रालय ने कहा है कि ट्रेनें चलाने के लिए उसे 16 कंपनियों से 120 आवेदन मिले थे जिनमें से 102 आवेदनों को योग्य पाया गया। इन कंपनियों में लार्सन एंड टुब्रो, जीएमआर, वेलस्पन शामिल हैं। पहले चरण में कुल 151 ट्रेनों का ऑपरेशन होना है।
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तेजस पहली निजी ट्रेन
तेजस निजी क्षेत्र की पहली ट्रेन थी जिसे पिछले साल 4 अक्टूबर को लखनऊ से दिल्ली के बीच शुरू किया गया था। इसके बाद अहमदाबाद-मुंबई तेजस एक्सप्रेस को 19 जनवरी 2020 को शुरू किया गया। दोनों ही तेजस ट्रेनों को आईआरसीटीसी ने शुरू किया था। तीसरी प्राइवेट ट्रेन काशी महाकाल एक्सप्रेस है, जो इंदौर और वाराणसी के बीच चलाई जानी है लेकिन अभी इसकी सेवा शुरू नहीं हुई है।
लखनऊ दिल्ली और अहमदाबाद मुंबई तेजस ट्रेनों का चलना मार्च में कोविड-19 के कारण देश भर में हुए लॉकडाउन के बाद बंद कर दिया गया था। 17 अक्टूबर से इनका ऑपरेशन दोबारा शुरू किया गया दोनों ही ट्रेनों में यात्रियों की संख्या औसत से भी कम रही जिसकी वजह से आईआरसीटीसी ने इसके परिचालन को फिलहाल बंद रखने का फैसला किया है।
वैसे, आईआरसीटीसी ने कहा है कि दोनों ट्रेनों को अस्थाई तौर पर बंद किया गया है और दिसंबर में एक बार फिर इसकी समीक्षा की जाएगी। अगर स्थितियां ठीक रहीं तो ट्रेन का संचालन दोबारा शुरू किया जा सकता है। 18 कोच वाली तेजस एक्सप्रेस में एग्जीक्यूटिव क्लास की 56 सीटों पर पिछले डेढ़ महीने में औसतन बीस से भी कम सीटें और चेयरकार की 78 सीटों पर भी 40 से कम सीटें बुक हो रही थीं। पूरी ट्रेन में लगभग 800 सीटों पर आधी सीटें भी नहीं भर पा रही थीं जिसकी वजह से ट्रेन का संचालन बंद करना पड़ रहा है।
रोजाना लाखों का नुकसान
आरसीटीसी भारतीय रेलवे को रोजाना 13 लाख रुपये का भुगतान कर रही थी और इसके चलते तेजस ट्रेन के हर फेरे में उसे छह लाख रुपये से ज्यादा का नुकसान हो रहा था। यात्रियों की संख्या बढ़ाने के लिए ट्रेन का किराया भी कम कर दिया गया लेकिन यात्रियों को यह ट्रेन लुभाने में नाकाम रही। हालांकि आईआरसीटीसी ने तेजस ट्रेन में काम करने वाले अस्थाई कर्मचारियों को अभी हटाया नहीं है जिससे उम्मीद है कि शायद आने वाले दिनों में इसका परिचालन फिर से शुरू किया जा सकेगा।
तेजस देश की पहली ऐसी ट्रेन थी, जिसमें एयर होस्टेस की तर्ज पर यात्रियों की सुविधा के लिए ट्रेन होस्टेस की व्यवस्था की गई थी। इन महिला कर्मचारियों की नियुक्ति ठेके पर की गई थी और यह सुविधा प्राइवेट एजेंसियां दे रही थीं। ऐसी सुविधाओं के लिए इस ट्रेन का किराया भी अन्य ट्रेनों की तुलना में काफी ज्यादा रखा गया था।
train (Photo by social media)
शुरू से ही था विरोध
तेजस ट्रेन को जब शुरू किया गया तो इसका काफी विरोध किया गया और आशंका जताई गई कि अब रेलवे के संसाधनों को फायदा कमाने के लिए निजी क्षेत्रों को सौंप दिया जा रहा है। इसी साल जुलाई में भारतीय रेलवे ने सौ से ज्यादा रूटों पर ट्रेन चलाने के लिए निजी कंपनियों से आवेदन मांगे थे। इन रेलगाड़ियों को अप्रैल 2003 में शुरू किए जाने का प्रस्ताव है। रेलवे के कर्मचारी इस योजना का पहले ही विरोध कर रहे थे, अब उन्हें अपनी बात साबित करने का भी मौका मिल गया है।
हालांकि आईआरसीटीसी के अधिकारियों की दलील है कि लॉकडाउन के बाद से ही शताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों की भी हालत खराब है। जहां तक तेजस का सवाल है तो लॉकडाउन से पहले भी वह कभी पूरी तरह से भरकर नहीं चली है। एक तो लखनऊ तक आन-जाने वालों के लिए पहले से ही शताब्दी जैसी अच्छी और कई सामान्य ट्रेनें भी उपलब्ध हैं, दूसरे महज छह सौ किलोमीटर की दूरी के लिए सड़क मार्ग भी काफी सुगम है। तेजस ट्रेन के किराये से भी कम किराये पर हवाई जहाज की सुविधा भी दिल्ली से लखनऊ के लिए आमतौर पर मिल जाती है। तेजस का किराया जितना है, उससे कम में हवाई जहाज की सुविधा है तो कोई क्यों ट्रेन पर बैठेगा?
निजी ट्रेन चलाने के लिए 102 आवेदन को योग्य पाया गया
तेजस बंद हो गयी लेकिन निजी ट्रेनें चलाने की योजना जारी है। ट्रेनें चलाने के लिए रेलवे के प्रारम्भिक चरण में लार्सन एंड टुब्रो, जीएमआर और वेलस्पन समेत 16 कंपनियों के आवेदन प्रस्ताव योग्य पाए गए हैं। इस कड़ी में कुल 151 ट्रेनों का परिचालन 12 क्लस्टर्स में किया जाना है। रेल मंत्रालय का कहना है कि उसे कुल 16 कंपनियों से 120 आवदेन प्राप्त हुए थे।
भारतीय रेलवे निजी ट्रेनें चलाने से 30 हजार करोड़ रुपये का निजी निवेश आने की उम्मीद है। इसके लिए निजी क्षेत्र की इकाइयों को दो चरण वाली प्रतिस्पर्धात्मक और पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसमें पात्रता आवेदन (आरएफक्यू) और आवेदन प्रस्ताव (आरएफपी) की प्रक्रिया शामिल है। सरकार ने 12 क्लस्टर के लिए आरएफक्यू एक जुलाई 2020 को जारी किया था। इसके तहत मिले आवेदन सात अक्टूबर 2020 की तय तिथि को जांच के लिए खोले गए थे।
इन कंपनियों को पाया गया योग्य
योग्य पायी गयी कंपनियों में अरविंद एविएशन, भेल, कंस्ट्रक्शंस वाई ऑक्जिलर डी फेरोकैरीज, क्यूब हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर, गेटवे रेल फ्रेट लिमिटेड, जीएमआर हाईवेज लिमिटेड, आईआरसीटीसी, आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स और मालेमपति पावर प्राइवेट लिमिटेड इत्यादि का नाम शामिल हैं। ज्यादातर फर्मों ने दिल्ली और मुंबई क्लस्टर में सबसे अधिक रुचि दिखाई है।
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19 फर्मों में से दो को मुंबई और दिल्ली क्लस्टर के लिए योग्य पाया गया है, चंडीगढ़ और चेन्नई क्लस्टर में पांच योग्य आवेदक सामने आए। इलाहाबाद, जयपुर और सिकंदराबाद के लिए नौ-नौ पात्र आवेदक थे। हावड़ा, बेंगलुरु और पटना क्लस्टर में आठ-आठ पात्र आवेदक थे। भारतीय रेलवे फिलहाल 12 ट्रेनों के साथ मार्च 2023 तक निजी ट्रेन परिचालन शुरू करने की तैयारी में तेजी से आगे बढ़ रहा है। रेलवे वर्ष 2027 तक ऐसी 151 निजी सेवाओं को लाने की योजना पर काम कर रहा है। ये कुल ट्रेनों का पांच फीसदी होगा।
रिपोर्ट- नीलमणि लाल
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