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Manipur Violence: पूर्व आर्मी चीफ नरवणे ने चीन पर जताया शक, कहा- मणिपुर हिंसा में विदेशी एजेंसियों हाथ संभव
Manipur Violence News: पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतई समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई से राज्य में जातीय हिंसा भड़की थी। हिंसा की आग में अब तक करीब 160 लोगों की जान जा चुकी है।
MM Naravane on Manipur Violence: मणिपुर हिंसा पर देश की संसद से सड़क तक बवाल मचा है। संसद के मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session 2023) में इस मुद्दे पर 'संग्राम' जारी है। इस बीच, पूर्व सेना प्रमुख जनरल (रिटा) एमएम नरवणे ने मणिपुर हिंसा में विदेशी ताकतों का हाथ होने का शक जाहिर किया है। नरवणे ने शुक्रवार (28 जुलाई) को कहा कि, 'मणिपुर हिंसा में विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि, बीते कुछ समय में सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े कुछ पूर्व अधिकारी भी इस और इशारा दे चुके हैं।
रिटायर्ड जनरल एमएम नरवणे (MM Naravane) ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे राज्यों में अस्थिरता राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अच्छी नहीं है। उन्होंने मणिपुर में विद्रोही संगठनों को चीन से मिल रही मदद का भी जिक्र किया। पूर्व आर्मी चीफ ने ये बातें दिल्ली में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 'राष्ट्रीय सुरक्षा परिप्रेक्ष्य' विषय पर आयोजित एक चर्चा के दौरान कही। मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए मणिपुर हिंसा के संदर्भ में नरवणे ये बातें कह रहे थे।
'चीन वर्षों से विद्रोही संगठनों की मदद कर रहा'
पूर्व आर्मी चीफ एमएम नरवणे ने मणिपुर के ताजा हालात पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, 'मुझे यकीन है कि जो लोग सत्ता में काबिज हैं और जो भी कार्रवाई होनी चाहिए उसके लिए जिम्मेदार हैं, वे अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहे हैं। नरवणे ने आगे कहा, मैं कहता हूं कि विदेशी एजेंसियों (Foreign Agencies) के हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता। वे निश्चित रूप से इस हिंसा में शामिल हैं। उन्होंने पड़ोसी मुल्क चीन पर आरोप लगाया। बोले, चीन कई सालों से इन विद्रोही संगठनों की मदद कर रहा है। अब भी ऐसा करना जारी रखेगा।' नरवणे की इस बात में भविष्य को लेकर चेतावनी भी है।
नशा तस्करी पर ये बोले पूर्व आर्मी चीफ
मणिपुर हिंसा में मादक पदार्थों की तस्करी (Drug Trafficking) से जुड़ा एक सावल पूर्व आर्मी चीफ से पूछा गया। जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि, नशीली दवाओं की तस्करी आज की बात नहीं है। यह बहुत लंबे समय से जारी है। बरामद की गई नशीली दवाओं की मात्रा पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है। हम 'गोल्डन ट्राइएंगल' अर्थात वह क्षेत्र जहां थाईलैंड (Thailand), म्यांमार (Myanmar) और लाओस (Laos) की सीमाएं मिलती हैं, से थोड़ी ही दूर हैं। म्यांमार हमेशा ही अव्यवस्था और सैन्य शासन की स्थिति में रहता है। इसलिए इस क्षेत्र में नशीली दवाओं की तस्करी हमेशा से होती रही है।