जिसे मनमोहन सिंह नहीं बना पाए विदेश सचिव, मोदी ने उसे सीधे बना दिया विदेश मंत्री

मोदी मंत्रिमंडल में मंत्रालयों का बंटवारा हो गया है। पूर्व नौकरशाह एस. जयशंकर को विदेश मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है। लेकिन शायद यह बात नहीं जानते होंगे कि यूपीए सरकार में एस जयशंकर को विदेश सचिव बनाया जाना था, लेकिन नहीं बनाया गया।

Dharmendra kumar
Published on: 31 May 2019 11:45 AM GMT
जिसे मनमोहन सिंह नहीं बना पाए विदेश सचिव, मोदी ने उसे सीधे बना दिया विदेश मंत्री
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नई दिल्ली: मोदी मंत्रिमंडल में मंत्रालयों का बंटवारा हो गया है। पूर्व नौकरशाह एस. जयशंकर को विदेश मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है। लेकिन शायद यह बात नहीं जानते होंगे कि यूपीए सरकार में एस जयशंकर को विदेश सचिव बनाया जाना था, लेकिन नहीं बनाया गया।

यूपीए 2 के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आईएफएस अधिकारी एस. जयशंकर को विदेश सचिव बनाना चाहते थे, लेकिन वरिष्ठता क्रम में सुजाता सिंह के ऊपर होने की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाए। हालांकि उस समय ऐसी खबरें भी आईं थीं कि तत्कालीन यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के दखल से भी जयशंकर को नजरअंदाज किया गया।

गुरुवार को जयशंकर जब कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ले रहे थे, उस समय मंच के सामने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे। मोदी ने जयशंकर को सीधे विदेश मंत्रालय की कमान सौंपी है।

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बता दें कि मोदी सरकार 2.0 की कैबिनेट में कई पुराने मंत्रियों को जगह मिली है और कुछ नए चेहरों को भी शामिल किया गया है। कैबिनेट मंत्री बनाए गए पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर की चर्चा खूब हो रही है।

दरअसल, जयशंकर को प्रधानमंत्री की कैबिनेट में जगह मिलना एक चौंकाने वाला फैसला है। पीएम ने एस. जयशंकर को अपने पहले कार्यकाल में विदेश सचिव बनाया था। एस. जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव के तौर पर काम कर चुके हैं।

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इस बार सुषमा स्वराज सरकार में शामिल नहीं हैं और ऐसे में जयशंकर को देश का नया विदेश मंत्री बनाया गया है। अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर के बीच दोनों देशों में भारत के राजदूत रहे जयशंकर का कैबिनेट मंत्री बनाया जाना उन पर पीएम के भरोसे को भी जाहिर करता है।

यूपीए-2 के कार्यकाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 2013 में ही जयशंकर को विदेश सचिव बनाना चाहते थे। उस समय सूत्रों के हवाले से ऐसा कहा गया था कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जयशंकर पर सुजाता सिंह को तवज्जो दी थी।

कुछ लोगों का मानना है कि सुजाता के पिता और पूर्व आईबी चीफ टीवी राजेश्वर से गांधी परिवार की निकटता के चलते जयशंकर विदेश सचिव की रेस से बाहर हो गए थे।

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बताते हैं कि गांधी परिवार के राजेश्वर से अच्छे संबंध थे। दरअसल, 2006 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को शिवशंकर मेनन को विदेश सचिव बनाने को लेकर एक तरह के वर्चुअल रिवॉल्ट का सामना करना पड़ा था और संभवत: सात साल बाद वह नहीं चाहते थे कि दोबारा उन पर सुजाता सिंह की वरिष्ठता को नजरअंदाज करने के आरोप लगें। उन्होंने जयशंकर को अमेरिका में राजदूत बनाकर भेजा। यह दायित्व संभालने के बाद जयशंकर वापस देश लौटे और विदेश सचिव बने।

अमेरिका के साथ परमाणु समझौता हो या चीन के साथ डोकलाम विवाद दोनों ही बड़े मामलों को जयशंकर ने बेहतर तरीके से सुलझाया था।

Dharmendra kumar

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