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1857 की निशानी: अवध स्थित 'मूसाबाग का किला'

1857 के स्वतंत्रता संग्राम का गवाह रहे अवध का यह मशहूर, ऐतिहासिक व आखिरी मूसाबाग का किला अब अपने अस्तित्व की आखिरी सांसे ले रहा है।

Vidushi Mishra
Published on: 20 April 2019 4:20 PM IST
1857 की निशानी: अवध स्थित मूसाबाग का किला
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लखनऊ:1857 के स्वतंत्रता संग्राम का गवाह रहे अवध का यह मशहूर, ऐतिहासिक व आखिरी मूसाबाग का किला अब अपने अस्तित्व की आखिरी सांसे ले रहा है।

विरासतों को संजोकर इन्हें प्रेरणा स्रोत के रूप में रखा जाये,

क्योंकि जिस समाज का इतिहास नहीं होता, वह समाज कभी शासक नहीं बन पाता,

क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है, और प्रेरणा से जागृति आती है,

जागृति से सोच बनती है, और सोच से ताकत बनती हैं,

ताकत से शक्ति बनती हैं, और शक्ति से ही शासक बनता हैं।

उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले मे दुबग्गा रोड स्थित मूसाबाग का यह किला जो सन् 1775-1797 तक लखनऊ के नवाब आसफुद्दौला के दौर में 284 एकड़ क्षेत्रफल में तैयार गया था। आज इसके खण्डहरनुमा अवशेष ही शेष हैं।

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उस समय इस खूबसूरत इमारत मे चमक लाने के लिये चूने का इस्तेमाल किया जाता था। जैसा कि कुछ इतिहासकारों ने बताया है कि चार खम्भों पर खड़ी चौमंजिला आयताकार इमारत की घूमावदार सीढ़ियों से आसपास का नजारा बेहद शानदार होता था।

लेकिन ये नजारा ज्यादा दिन के लिये नहीं रह सका। क्योंकि फिर आया गया था, जंग ए आजादी का दौर। और 1857 में यह शानदार इमारत अवध की फौजों का आखिरी पड़ाव बन गयी।

अवध के इस आखिरी किले में बेगम हजरत महल, शहजादे बिरजिस कादिर और अवध के तमाम सूरमाओं ने जंगे आजादी की आखिरी लड़ाई यहीं से लड़ी थी। इस जंग में अंग्रेज कैप्टन वेल्स मार दिये गये, जिनकी कब्र आज भी मूसाबाग के निकट स्थित है।

21 मार्च 1858 को अंग्रेजो की तोपों से यह इमारत नेस्त ओ नाबूद होकर खण्डहर बन गई। और तब से ही इस इमारत के दिन रोशन नहीं हुए।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इस खण्डहर को संरक्षित रखने का जिम्मा तो उठाया गया, पर विभाग द्वारा कोई भी कार्य इन अवशेषों के संरक्षण के लिए नहीं किया गया।

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मूसाबाग के खण्डहर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का बोर्ड तो बहुत ही तहजीब से लगा हुआ है, परन्तु अगर उसी तहजीब के साथ इमारत के संरक्षण का कार्य किया जाता तो आज इस किले के अवशेष खण्डहर में तब्दील हो कर मिट्टी में न रुल रहे होते।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के डिप्टी सुप्रीटेंडेट 'मनोज सिंह' का कहना है, कि हमें उत्तर प्रदेश के 22 जिलों को देखना होता है। हम जरूरी स्मारकों को वरीयता में देखते हैं। मूसाबाग के इस ऐतिहासिक किले के संरक्षण के लिए उन्होंने बजट न पास होने की बात कही।



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Vidushi Mishra

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