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बिल्ली पर हजारों खर्च करने वाली गौहर जान, इनका भारतीय इतिहास में हैं बड़ा नाम
कहते है कि गौहर जान जैसी नखरेली गायिका मन कब, कैसा और किस चीज का हो, किसी को नहीं। लोग बताते थे कि उन्हें अपनी पालतू बिल्ली के शादी में 1200 रुपए खर्च किए थे। ये भी सुनने में आता है कि जब उनकी उसी पालतू बिल्ली ने बच्चे दिए थे, तो उन्हें 20,000 रुपए खर्च करके पार्टी दी थी।
लखनऊ: सजी हुई महफिल, बेनजीर बाई ऊपर से नीचे तक लक-दक गहन कपड़ों में सजी हुई है। बेनजीर बाई कौन, उस समय के बॉम्बे की जानी-मानी तवायफ। एक बड़ी भीड़ के सामने उन्होंने अपनी कला दिखाई। उनके लाखों दीवाने थे। बेनजीर का नाच खत्म हुआ और सामने एक बहुत ही जानी-मानी तवायफ बैठी हुई थी। बेनजीर जाकर उनके आगे झुक गई, उन्हें लगा कि उन्हें शाबाशी मिलेगी। बेनजीर के सामने जो बैठी थी, वो कोई आम तवायफ नहीं थी, बल्कि पूरे देश और दुनिया में उनके गाने का डंका बजता था। वह बेनजीर के सामने आकर बोली, " बेनजीर तुम्हारे गहनें बिस्तर चमकते होंगे, महफिल में तो सिर्फ हुनर ही चमकेगा।" बेनजीर बाई शर्म से पानी-पानी हो गई।
भारत की इतिहास पहली ग्रामोफोन गर्ल
मुंबई आकर बेनजीर अपने सारे गहने अपने गुरु को दे दी और बदले में अपना हुनर तराशने की मांग रखी। गंभीरता से कत्थक सीखने के बाद उन्होंने वापस उन्ही मशहूर गायिका के सामने अपना नाच पेश किया। इस बार वे बेनजीर के पास आई और बोली, "अल्लाह तुम्हें सलामत रखें, तुम्हारी हीरे अब चमक रहे हैं।" यह जानी-मानी तवायफ थी गौहर जान। भारत की इतिहास पहली ग्रामोफोन गर्ल। 600 से भी ज्यादा रिकॉर्ड्स उन्होंने रिकॉर्ड किए। वह गायिका जो किसी की महफिल में चली जाए तो उसकी इज्जत चार गुनी हो जाए।
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आजमगढ़ की जन्मी गौहर
बड़ी मलका जान की बेटी, भारत में पली-बड़ी विक्टोरिया हेमिंस की इकलौती संतान। गौहर का जन्म 26 जून 1873 में यूपी के आजमगढ़ में हुआ था। उनके जन्म का नाम एंजेलीना योवार्ड था। एंजेलीना के जन्म के 6 साल बाद ही उनके मां-बाप अलग हो गए। कहा जाता है कि विक्टोरिया हेमिंग्स का विलियम के दोस्त खुर्शीद के साथ चक्कर चल रहा था। इसी कारण वो और विलियम अगल हो गए। विक्टोरिया ने इस्लामम अपना लिया और अपना नाम मलका जान रख लिया। उनकी बेटी एंजेलीना भी मुस्लिम हो गई ओर उसका नाम गौहर जान रखा गया। उसे कोई-कोई गौरा भी बुलाया करता था। मलका जान ने अपनी बेटी को भी नृत्य करना और गाना सिखाया था।
गौहर की पहली प्रस्तुति और फीस
1887 में गौहर जान ने अपनी पहली प्रस्तुती दी। मंच पर पहली बार दरभंगा के महाराज के सामने उतरी। मात्र 14 साल की उम्र की गौहर जान की नाच से महाराजा इतने प्रभावित हुए कि उन्हें अपने दरबार में रख लिया। गौहर ख्याल, ध्रुपद और ठुमरी भी बैहद ही खुबसूरत गाती थी। उनका ख्याल गाना तो इतना कमाल का था कि भारतखंडे घराने ने उन्हें देश की सबसे बेहतरीन ख्याल गायिका घोषित कर दिया। अपने कत्थक के मनमोहक नृत्य और गायिकी से समा बांध देने वाली गौहर जान के लाखों दीवाने थे। गौहर को किसी भी समारोह में बोलना हो तो उस समय उनकी फीस हजार से तीन हजार रुपए थी। जो शायद आज लाखों रुपए के बराबर होगी।
हिन्दुस्तानी गानों को तीन मिनट में गाया
साल 1902 में ग्रामोफोन कंपनी ने भारत में अपना बिजनेस करनी की सोची, इसके लिए गौहर जान से बात की गई। 1902 से लेकर 1920 तक गौहर ने 600 से अधिक रिकॉर्डिंग्स की। इक रिकॉर्डिंग के उन्हें 3000 रुपए मिलते थे। उन्हें करीब 10 भाषाओं में अपने गाने रिकॉर्ड किए। गौहर जाने के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने हिन्दुस्तानी गानों के लंबे-लंबे फॉर्मेट को महज तीन मिनट में गाने का ट्रेंड शुरू किया, जो ग्रामोफोन कंपनियों ने अपना स्टेडर्ड बना रखा था। यही वजह थी कि हिन्दुस्तानी म्यूजिक ना केवल देश में बल्कि विदेशों में भी फैल गया। उसी के साथ ही गौहर जान का नाम हर के जुबान पर छा गया। उनकी रिकॉर्डिग की एक खास बात हुआ करती थी, वे अपनी रिकॉर्डिंग खत्म करते वक्त कहा करती थी, “ माइ नेम इज गौहर जान”।
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बिल्ली लिए खर्च किए हजारों रुपए
कहते है कि गौहर जान जैसी नखरेली गायिका मन कब, कैसा और किस चीज का हो, किसी को नहीं। लोग बताते थे कि उन्हें अपनी पालतू बिल्ली के शादी में 1200 रुपए खर्च किए थे। ये भी सुनने में आता है कि जब उनकी उसी पालतू बिल्ली ने बच्चे दिए थे, तो उन्हें 20,000 रुपए खर्च करके पार्टी दी थी। ततिया में जब उन्हें अपनी प्रस्तुति देने के लिए बुलाया गया था, तब उन्होंने अपने लोगों के लिए यात्रा करने के लिए पूरी ट्रेन बुक कर ली थी।
आखिरी दिनों में अकेली रह गई गौहर
अपनी जीवन के आखिरी दिनों में गौहर जान अकेली रह गई, जो मैसूर के राजा कृष्णाराज वाडियार चतुर्थ के बुलाने पर उनके दरबार में चली गई। वहां 1928 में वो शाही गायिका बनीं, लेकिन इसके कुछ ही समय बाद 1930 में उनकी मौत हो गई। वैसे तो गौहर के गाए गए गानों के रिकॉर्ड्स शायद अब रिकॉर्ड्स रूमों में ना मिलें। उनकी आवाज जिस किसी के घर में गुंजेगी, वो घर खुशकिस्मत होगा। ऐसे घर सालों साल खोती हुई आवाजों को संभालते आए है और आगे बी संभालते आएगें।
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