सरकार का ऐलान: मारे गए आतंकियों के साथ होगा ऐसा, पुलिस खुद करेगी ये काम

 कोरोना वायरस महामारी के चलते बीते कई दिनों से जम्मू-कश्मीर में मुठभेड़ जारी है। ऐसे में बड़ी खबर आ रही है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फैसला किया है कि मारे गए आतंकियों के शव को परिवारवालों को नहीं दिए जाएंगे।

Vidushi Mishra
Published on: 25 April 2020 7:40 AM GMT
सरकार का ऐलान: मारे गए आतंकियों के साथ होगा ऐसा, पुलिस खुद करेगी ये काम
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सरकार का ऐलान: मारे गए आतंकियों के साथ होगा ऐसा, पुलिस खुद करेगी ये काम

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के चलते बीते कई दिनों से जम्मू-कश्मीर में मुठभेड़ जारी है। ऐसे में बड़ी खबर आ रही है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फैसला किया है कि मारे गए आतंकियों के शव को परिवारवालों को नहीं दिए जाएंगे। सूत्रों से जानकारी मिली है कि ऐसा इसलिए किया गया है कि क्योंकि इनके अंतिम संस्कार में भारी संख्या में लोग पहुंच रहे थे। जबकि देश में इन दिनों महामारी के चलते भीड़ जमा होने पर मनाही है। ऐसे में अब खुद पुलिस के अधिकारी शवों को दफना रहे हैं।

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अंतिम संस्कार मजिस्ट्रेट की देखरेख में

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शवों का अंतिम संस्कार मजिस्ट्रेट की देखरेख में स्थानीय प्रशासन की तरफ से किया जा रहा है।

इसी संबंध में जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक आला अधिकारी ने कहा, 'परिवारवालों की मौजूदगी में सारे धार्मिक रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है। साथ ही डीएनए के सैंपल भी सुरक्षित रखे जाते हैं।'

4 जिहादियों को सरकारी कब्रिस्तान में दफनाया

वहीं पुलिस अधिकारी ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु का हवाला देते हुए कहा कि वो कानूनी तौर पर परिवारवालों को बॉडी देने के लिए बाध्य नहीं हैं। जैसा कि अफजल गुरु को फांसी देने के बाद दिल्ली के तिहाड़ जेल में दफना दिया गया था।

स्थानीय पुलिस ने कहा कि कश्मीर-क्षेत्र के अल-कायदा अंसार ग़वातुल हिंद से जुड़े चार जिहादियों को 22 अप्रैल को एक सरकारी कब्रिस्तान में दफनाया गया।

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इन दस्तावेजों में साफ तौर से लिखा है कि शोपियां जिले के तारिक अहमद भट और पुलवामा के रहने वाले बशारत शाह और वकील अहमद डार के परिवारवालों ने अंतिम संस्कार में भाग लिया।

लेकिन उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के मारे गए जिहादी उज़ैर अहमद भट का परिवार अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका।

बड़ी तादात में जिहादी इकठ्ठा

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ऐसे में कश्मीर सरकार चौकन्ना हो गई है। असल में इसी महीने सोपोर में जैश-ए-मुहम्मद के आतंकवादी सज्जाद नवाब के अंतिम संस्कार में सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंच गए थे।

इसके साथ ही कुलगाम के अरवानी में हिजबुल मुजाहिदीन के मोहम्मद अशरफ मलिक को दफनाने के लिए भी भारी भीड़ उमड़ी थी। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद ये ही पहला मौका था जब इतनी बड़ी तादात में जिहादी इकठ्ठा जमा हुए थे।

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Vidushi Mishra

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