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यहां बंदरों को मारने की मंजूरी, मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना

इस विषय में जानकारी देते हुए डीएफओ मंडी एसएस कश्यप ने बताया कि हिमाचल में 91 तहसीलों में रसीस मकाक बंदरों को पीड़क जंतु घोषित किया गया है।

Aradhya Tripathi
Published on: 29 May 2020 11:15 AM GMT
यहां बंदरों को मारने की मंजूरी, मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना
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वैसे तो पूरा देश इस समय कोरोना वायरस से जूझ रहा है। लेकिन हिमाचल में इस समय एक और संकट भी है जो लोगों को परेशान कर रहा है। हिमाचल प्रदेश में पैदावार पर रीसस मकाक प्रजाती के बंदर एक संकट बन कर टूट रहे हैं। ऐसे में इन बंदरों से हिमाचल प्रदेश के किसान काफी परेशान व त्रस्त हो गए हैं। जिसके चलते केंद्र सरकार ने अब इन बंदरों को मारने की इजाजत दी है। लेकिन सरकार ने कहा कि इन बंदरों को उसी समय मारा जा सकेगा जब वो किसी की निजी भूमि पर होंगे। यानी कि बंदरों को तब नहीं मारा जाएगा जब वो किसी सरकारी भूमि पर हों।

91 तहसीलों में किसानों-बागवानों को मिली राहत

केंद्र सरकार ने प्रदेश की 91 तहसीलों में बंदरों को मारने की मंजूरी दी है। जिसके चलते मंडी जिला की 10 तहसीलों समेत प्रदेश की 91 तहसीलों के किसानों-बागवानों को राहत मिली है। गौरतलब है कि ये मंजूरी पहले से ही थी जिसे केंद्र सरकार ने एक साल के लिए आगे बढ़ा दिया है। बंदर मारने के तुरंत बाद नजदीक के वन अधिकारी-कर्मचारी को इसकी जानकारी उपलब्ध करवानी होगी।

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यह अनुमति एक वर्ष तक के लिए रहेगी। इस संबंध में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी है। हिमाचल सरकार ने वनों से बाहर के क्षेत्रों में रीसस मकाक (मकाका मुलाटा) बंदरों की अत्यधिक संख्या के कारण बड़े पैमाने पर खेती के विनाश होने सहित जीवन व संपत्ति की हानि की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी थी। उसके आधार पर केंद्रीय मंत्रालय ने यह अधिसूचना जारी की है।

निजी भूमि में ही बंदरों को मारने की मंजूरी

इस विषय में जानकारी देते हुए डीएफओ मंडी एसएस कश्यप ने बताया कि हिमाचल में 91 तहसीलों में रसीस मकाक बंदरों को पीड़क जंतु घोषित किया गया है। इनमें मंडी जिला की 10 तहसीलें भी शामिल हैं। इनमें मंडी, चच्योट, थुनाग, करसोग, जोगिंद्रनगर, पधर, लड़भड़ोल, सरकाघाट, धर्मपुर और सुंदरनगर को शामिल किया गया है। इन 10 तहसीलों में निजी भूमि में नुकसान करने पर रीसस मकाक बंदरों को मारा जा सकता है।

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उसके तुरंत बाद इस बारे में नजदीक के वन अधिकारी-कर्मचारी को जानकारी उपलब्ध करवानी होगी। डीएफओ एसएस कश्यप ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि रसीस मकाक बंदरों को सरकारी व वन भूमि में मारने की अनुमति नहीं होगी। उम्मीद है कि इससे बंदरों से परेशान इन किसानों को कुछ राहत अवश्य मिलेगी।

Aradhya Tripathi

Aradhya Tripathi

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