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पद्म विभूषण के असली हकदार: पत्थरों में जान डाल देते हैं सुदर्शन साहू, हुए सम्मानित

ओड़िशा के जाने माने मूर्तिकार सुदर्शन साहू (Sudarshan Sahoo) का 11 मार्च 1939 को पुरी में हुआ था। बताया जाता है कि वह शुरू से ही अपने पैतृक घर में पत्थर और लकड़ी से पारंपरिक मूर्तियों की कला का अभ्यास किया करते थे।

Chitra Singh
Published on: 26 Jan 2021 8:54 PM GMT
पद्म विभूषण के असली हकदार: पत्थरों में जान डाल देते हैं सुदर्शन साहू, हुए सम्मानित
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पद्म विभूषण के असली हकदार: पत्थरों में जान डाल देते हैं सुदर्शन साहू, हुए सम्मानित

ओड़िशा: कहते हैं कि उनके हाथों में कुछ तो ऐसा जादू था जो बेजान पत्थरों की बनी मूर्तियां भी बौल उठती हैं। पौराणिक कथाओं को सजीवता प्रदान करने की कला अगर किसी में है, तो वो है ओड़िशा के जाने माने मूर्तिकार सुदर्शन साहू (Sudarshan Sahoo) में। जी हां, वे सुदर्शन साहू (Sudarshan Sahoo), जिनकी गिनती ओड़िशा के विश्वकर्मा कहे जाने वाले मूर्तिकारों में की जाती हैं। बता दें कि पत्थरों पर नक्काशी में महारत हासिल करने वाले सुदर्शन साहू (Sudarshan Sahoo) को भारत सरकार ने 25 जनवरी 2021 को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया हैं।

कौन है सुदर्शन साहू

ओड़िशा के जाने माने मूर्तिकार सुदर्शन साहू (Sudarshan Sahoo) का जन्म 11 मार्च 1939 को पुरी में हुआ था। बताया जाता है कि वह शुरू से ही अपने पैतृक घर में पत्थर और लकड़ी से पारंपरिक मूर्तियों की कला का अभ्यास किया करते थे। जब उनके कला की चर्चा विश्व स्तर तक होने लगी तो उन्होंने अपनी कला से जुड़े एक नया संस्था खोलने की सोची। वे चाहते थे कि काबिल कलाकारों की सुविधाओं के लिए एक उचित कार्यशाला खोला जाए ताकि पर्यटक यहां आए और पारंपरिक विरासत और भारतीय कला में निरंतर विकास को देख सकें व मूर्तियों को महसूस कर सकें। साहू ने अपने सपने को साकार करते हुए पुरी में सन् 1977 में क्राफ्ट म्यूजियम (Craft Museum) स्थापित किया।

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सुदर्शन आर्ट एंड क्राफ्ट्स विलेज

जब सुदर्शन साहू (Sudarshan Sahoo) ने 1991 में भुवनेश्वर में ओडिशा सरकार की मदद से सुदर्शन आर्ट एंड क्राफ्ट्स विलेज की स्थापना की, तब उन्होंने उन तमाम मूर्तिकारों को बढ़ावा दिया, जो उनकी तरह श्रेष्ठ मूर्तिकार बनाना चाहते थें। बता दें कि साहू की ये संस्था राज्य का एक प्रशिक्षण और रचनात्मक केंद्र है जहां कलाकार अपनी कला के द्वारा पत्थर, लकड़ी और फाइबर ग्लास की बनी पारंपरिक मूर्तियों को गढ़ते हैं।

Sudarshan Sahoo

बड़ें-बड़ें पुरस्कारों से नवाजे गए साहू

रेत की पत्थरों को पौरोणिक कथाओं की मूर्तियों में बदलने की कला में महारत हासिल करने वाले सुदर्शन साहू (Sudarshan Sahoo) को भारत सरकार ने कई पुरस्कारों से सम्मानित कियाहैं। जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष 1981 में सुदर्शन साहू (Sudarshan Sahoo) को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वहीं 1988 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा था। इसके अलावा सुदर्शन साहू (Sudarshan Sahoo) को 2003 में शिल्प गुरु पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। तमाम बड़ें-बड़ें पुरस्कारों से नवाजे जा चुके साहू को साल 2012 में ओडिशा ललित कला अकादमी ने धर्मपद पुरस्कार से सम्मानित किया था। वहीं 25 जनवरी 2021 को भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में उन्हें पद्म विभूषण अवॉर्ड से नवाजा है।

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