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सुप्रीम कोर्ट में सड़क जाम पर फंसी सरकार, क्या खोलेगी किसानों के लिए नया रास्ता

SC ने बुधवार को किसान आंदोलन मामले में सुनवाई के दौरान जिस तरह का रुख दिखाया है उससे समझा जा रहा है कि किसानों की समस्या समाधान के लिए SC सर्वदलीय कमेटी की तर्ज पर किसान संगठनों और सरकार की एक कमेटी तैयार कर सकती है जो उचित समाधान तलाशने की कोशिश करे।

Newstrack
Published on: 16 Dec 2020 4:08 PM IST
सुप्रीम कोर्ट में सड़क जाम पर फंसी सरकार, क्या खोलेगी किसानों के लिए नया रास्ता
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केंद्र सरकार की तरफ से एडवोकेट हरीश साल्वे ने कोर्ट के अंदर पक्ष रखा। हरीश साल्वे ने कहा कि इस प्रदर्शन के कारण दिल्लीवासी प्रभावित हुए हैं।

अखिलेश तिवारी

लखनऊ: 21 दिन से आंदोलन कर रहे किसानों को SC में घेरने की कोशिशें फेल होती दिखाई दे रही हैं। सड़क जाम के बहाने शाहीन बाग का आरोप लगाने वालों को सुप्रीम कोर्ट में शर्मिंदा होना पड़ा है जब कोर्ट ने पूछा कि किसानों का रास्ता किसने रोका है। अब सुप्रीम कोर्ट ने समस्या समाधान के लिए राष्ट्रीय स्तर की कमेटी का सुझाव दिया है। ऐसे में केंद्र सरकार के सामने अभी मौका है कि वह आंदोलित किसानों के लिए सुलह-समझौते का नया रास्ता खोलकर अपनी राजनीतिक सर्वोच्चता को बरकरार रखे।

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SC ने बुधवार को किसान आंदोलन मामले में सुनवाई के दौरान जिस तरह का रुख दिखाया है

SC ने बुधवार को किसान आंदोलन मामले में सुनवाई के दौरान जिस तरह का रुख दिखाया है उससे समझा जा रहा है कि किसानों की समस्या समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट सर्वदलीय कमेटी की तर्ज पर किसान संगठनों और सरकार की एक कमेटी तैयार कर सकती है जो उचित समाधान तलाशने की कोशिश करे। किसानों और सरकार के बीच बन चुके गतिरोध को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की यह पहल अच्छी मानी जा सकती है लेकिन लोकतंत्र और निर्वाचित सरकार के नजरिये से इसे अच्छा कतई नहीं माना जाएगा। मौजूदा समस्या की वजह केंद्र की मोदी सरकार का वह कानून है जो देश के किसानों को भरोसे में लिए बगैर लाया गया है।

farmer farmer (PC: Social Media)

ऐसे में लोकतांत्रिक तरीका यही है कि सरकार ही समस्या का समाधान करे और आंदोलित किसानों को भरोसा दिलाए कि वह उनके हित में नया कानून लाने या मौजूदा में संशोधन करने के लिए तैयार है। शिवसेना ने राजनीतिक हल भी सुझाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे बढक़र जिम्मेदारी लें। उनकी छवि ऐसी है कि अगर वह किसानों के बीच जाकर कहें कि सरकार उनकी मांगों के अनुरूप कानून में संशोधन करने को तैयार है तो बहुत मुमकिन है कि किसान अपना आंदोलन स्थगित कर घर लौट जाएंगे। तब जीत किसानों और मोदी सरकार दोनों की होगी।

सड़क घेरने के मुद्दे पर कोर्ट में फंसी सरकार

किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताने की कोशिश की है कि किसानों ने जबरन सडक़ पर कब्जा कर रखा है। इससे लोगों का सडक़ पर आने -जाने के अधिकार व स्वतंत्रता का हनन हो रहा है। इस पर अदालत ने पूछा कि सडक़ पर अवरोध किसने लगाए हैं, तब पक्षकारों को यह बताना पड़ा कि यह सब दिल्ली पुलिस ने किया है। सडक़ पर किसानों को आगे बढऩे से रोका गया है। इस पर अदालत ने कहा कि अगर किसानों को आगे जाने दिया जाए तो वह सड़क पर नहीं बैठेंगे। अदालत के इस रुख से उन लोगों को खासी निराशा हुई जो किसान आंदोलन को शाहीन बाग करार देने पर आमादा दिख रहे थे।

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कमेटी पूरे मामले में विचार कर अपनी राय से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराएगी

अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, हरियाणा व पंजाब सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कमेटी गठित करने का संकेत दिया है। कमेटी में किसान संगठन, केंद्र सरकार व राज्य सरकार के प्रतिनिधि, अधिकारी व अन्य संबंधित लोग होंगे। कोर्ट ने सभी किसान संगठनों की भी लिस्ट मांगी है जिससे उन्हें कमेटी में मौका दिया जा सके। माना जा रहा है कि कमेटी पूरे मामले में विचार कर अपनी राय से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराएगी जिसके बाद अदालत का फैसला आ सकता है लेकिन इससे पहले अगर केंद्र सरकार पहल करते हुए मामला निपटा लेती है तो जनता से जुड़े मामलों में राजनीतिक सत्ता की सर्वोच्चता बरकरार रहेगी और देश के नागरिकों का भरोसा बना रहेगा कि चुनी हुई सरकारें ही उनका भला कर सकती हैं।

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