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गुरु गोबिंद सिंह जयंती: जानें इन ख़ास गुरुद्वारों के बारे में, एक बार जरूर टेकें माथा

इस गुरुद्वारे के बारे में ये कहा जाता है कि गुरु हर गोविंद सिंह जी की बारात यहीं से होकर गुजरी थी और इस शहर में ही उनकी सेहरा बंधी की रस्म पूरी की गई थी। उसका नाम सेहरा साहिब रखा गया।

suman
Published on: 20 Jan 2021 11:36 AM IST
गुरु गोबिंद सिंह जयंती: जानें इन ख़ास गुरुद्वारों के बारे में, एक बार जरूर टेकें माथा
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देश के ये 10 गुरुद्वारे जहां से जुड़ी हैं कई मान्यताएं, एक बार जरूर जाएं

आज 20 जनवरी को सिखों के 10वें गुरु श्री गोबिंद सिंह जी की जयंती पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है। गुरु गोबिंद सिंह का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को 1666 में पटना साहिब में हुआ था इनके पिता गुरु तेग बहादुर सिखों के 9वें गुरु थे। गुरु गोबिंद सिंह की जयंती को कई राज्यों में प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसलिए उनकी जयंती के दिन आपको देश के ऐसे गुरद्वारों के बारे में जरूर जानना चाहिए और अगर मौका मिले तो एक बार जरूर जाएं।

सिखों के 10 वें गुरु गोबिंद सिंह की जयंती हैछ इस खास दिन को सिख समुदाय के लोग प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं। गुरुद्वारे में गुरबानी का पाठ होता है। इस दिन लंगर, भजन और कीर्तन का आयोजन किया जाता है। खास दिन पर दुनियाभर में प्रभात फेरी निकालते हैं।

गुरु गोबिंद का जन्म बिहार के पटनासाहिब में हुआ था। उनके पिता का नाम गुरु तेग बाहुदर और मां का नाम गुजरी था। गुरु गोबिंद सिंह को योद्धा, आध्यात्मिक गुरु और कवि के रूप में माना जाता है।उन्होंने खालसा वाणी- वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह दिया था।

इसलिए उनकी जयंती के दिन आपको देश के ऐसे गुरद्वारों के बारे में जरूर जानना चाहिए और अगर मौका मिले तो एक बार जरूर जाएं।

अमृतसर हरमंदिर साहिब सिंह

स्वर्ण मंदिर के नाम से मशहूर ये गुरुद्वारा अमृतसर शहर में स्थित है। बताया जाता है कि गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब को बचाने के लिए महाराजा रणजीत सिंह जी ने गुरुद्वारे का ऊपरी हिस्सा सोने से ढक दिया था। यही वजह है कि इसे स्वर्ण मंदिर कहा जाने लगा।

पंजाब तख्त श्री दमदमा साहिब

ये वो गुरुद्वारा है जहां गुरु गोबिंद सिंह जी ने तलवंडी साहू में जंग के बाद आराम किया था। तलवंडी साहू पंजाब के भटिंडा शहर से करीब 28 किलोमीटर दूर है। ये गुरुद्वारा सिखों के पांच पवित्र तख्तों में से एक है।

पटना गुरुद्वारा श्री हरमंदिर जी

ये गुरुद्वारा सिखों के पांच पवित्र तख्तों में से एक है, जिसे महाराजा रणजीत सिंह जी ने बनवाया था।

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दिल्ली गुरुद्वारा बंगला साहिब

ये गुरुद्वारा दिल्ली का बहुत ही मशहूर गुरुद्वारा है। सन 1664 में गुरु हरकृष्ण देव जी के सम्मान में इसका निर्माण किया गया था। इस गुरुद्वारे के प्रांगण में स्थित सरोवर के पानी को अमृत के समान जीवनदायी और पवित्र माना जाता है।

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दिल्ली गुरुद्वारा शीशगंज

पुरानी दिल्ली में शीशगंज गुरुद्वारा है। यहां सभी धर्मों के लोग समान आस्था से मत्था टेकते हैं। ये गुरुद्वारा 9वीं पातशाही गुरु तेगबहादुर जी से संबंधित है।

उत्तराखंड गुरुद्वारा श्री हेमकुंठ साहिब

ये गुरुद्वारा उत्तराखंड के चमोली में स्थित है। ये अपनी वास्तुकला के लिए मशहूर है. ये गुरुद्वारा समुद्र तल से 4, 000 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है. बर्फबारी की वजह से ये गुरुद्वारा साल में अक्टूबर से लेकर अप्रैल तक बंद रहता है।

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अनंतनाग गुरुद्वारा मट्टन साहिब

ये गुरुद्वारा श्रीनगर से 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि श्री गुरुनानक देव जी अपनी यात्रा के दौरान यहां एक महीने के लिए ठहरे थे।

हिमाचल प्रदेश गुरुद्वारा पौंटा साहिब

ऐसी मान्यता है कि पौंटा साहिब पर सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख धर्म के शास्त्र दसवें ग्रंथ का बड़ा हिस्सा लिखा था। स्थानीय लोग बताते हैं कि गुरु गोबिंद सिंह जी 4 वर्षों तक यहां रुके थे।

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सुल्तानपुर गुरुद्वारा सेहरा साहिब

ये गुरुद्वारा पंजाब में स्थित है। इस गुरुद्वारे के बारे में ये कहा जाता है कि गुरु हर गोविंद सिंह जी की बारात यहीं से होकर गुजरी थी और इस शहर में ही उनकी सेहरा बंधी की रस्म पूरी की गई थी। उसका नाम सेहरा साहिब रखा गया।

महाराष्ट्र श्री हजूर साहिब अब्चालनगर साहिब गुरुद्वारा

ये गुरुद्वारा भी 5 तख्तों में से एक है। ये गुरुद्वारा महाराष्ट्र के नांदेड़ में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि ये वो जगह है, जहां गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी अंतिम सांस ली थी। महाराजा रणजीत सिंह जी ने सन 1832 में इस गुरुद्वारे को बनवाया था।

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