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उपचुनाव: इन नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर, मध्यप्रदेश के ये जिले करेंगे फैसला

मध्यप्रदेश विधानसभा के दो साल पहले हुए चुनाव में कांग्रेस ने 114 सीट जीतकर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी होने का तमगा हासिल किया था तब चुनाव कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिराज सिंधिया ने मिलकर भाजपा के खिलाफ लड़ा था।

Newstrack
Published on: 1 Nov 2020 5:34 PM IST
उपचुनाव: इन नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर, मध्यप्रदेश के ये जिले करेंगे फैसला
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उपचुनाव: इन नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर, मध्यप्रदेश के ये जिले करेंगे फैसला

लखनऊ। मध्य प्रदेश की राजनीति में वैसे तो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस विधानसभा उपचुनाव के मैदान में आमने-सामने हैं लेकि वास्तव में यहां पांच बड़े नेताओं के कद और प्रभाव की भी परीक्षा हो रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, भाजपा से कांग्रेस में जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बीच असली लड़ाई हो रही है। उपचुनाव के फैसले तय करेंगे कि इन पांचों नेताओं में किसका जादू अभी बरकरार है ।

बाजी पलट चुकी है

मध्यप्रदेश विधानसभा के दो साल पहले हुए चुनाव में कांग्रेस ने 114 सीट जीतकर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी होने का तमगा हासिल किया था तब चुनाव कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिराज सिंधिया ने मिलकर भाजपा के खिलाफ लड़ा था। लेकिन इस उपचुनाव में बाजी पलट चुकी है, कांग्रेसी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया पाला बदलकर भाजपाई हो गए हैं। पिछली लड़ाई में शिवराज सिंह चौहान ने अपना जादू बरकरार रखा जब अपने दम पर विधानसभा की 109 सीट जीतने का करिश्मा कर दिखाया ।

shivraj singh chouhan

कांग्रेस के सामने नई चुनौती

सिंधिया और दिग्विजय की लड़ाई में कमलनाथ ने जब सिंधिया का साथ नहीं दिया तो वह भाजपा के साथ हो गए । अब 230 सीट वाली मध्य प्रदेश असेंबली में पाला बदल की वजह से रिक्त हुई 25 और विधायकों के निधन से रिक्त हुई तीन सीटों पर चुनाव हो रहा है और 3 नवंबर को मतदान होगा । भारतीय जनता पार्टी को इन 28 सीटों में से 8 सीटों पर जीत चाहिए जिससे कि वह अपनी सत्ता मध्य प्रदेश में बरकरार रख सके लेकिन कांग्रेस के सामने यही चुनौती है कि क्या वह भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब हो पाएगी।

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अगर वह नाकाम होती है उसे मध्य प्रदेश की राजनीति में फिर से लंबा इंतजार करना पड़ेगा। यही वजह है कि उपचुनाव में भी आम चुनाव जैसी सरगर्मी दिखाई दे रही है और दोनों ही तरफ से सधे हुए तीर चलाए जा रहे हैं।

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ग्वालियर और चंबल क्षेत्र होगा निर्णायक

उपचुनाव की 28 सीटों पर जहां चुनाव हो रहे हैं उनमें कांग्रेस को सबसे बड़ी चुनौती सिंङ्क्षधया के इलाके से मिल रही । उपचुनाव वाली 16 सीटें ऐसी हैं जो ग्वालियर चंबल क्षेत्र से आती हैं । यहां ग्वालियर घराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव माना जाता है। सिंधिया समर्थक कहते हैं कि इस क्षेत्र में कांग्रेस का मतलब ज्योतिरादित्य सिंधिया हुआ करता था और अब कांग्रेस का यहां कुछ भी जनाधार नहीं है लेकिन कांग्रेसी इससे इत्तेफाक नहीं करते हैं।

कांग्रेस के नेता दावा कर रहे हैं कि जिस तरह से ग्वालियर में सिंधिया समर्थक मंत्री को कांग्रेसी नेता के चरणों में दंडवत करते देखा गया है उससे समझा जा सकता है कि ग्वालियर और चंबल क्षेत्र के मतदाता उनके बंधुआ नहीं हैं और वह अपना फैसला खुद करेंगे।

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कांग्रेस और भाजपा में होती रही है टक्कर

मध्य प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का ही एक दूसरे से मुकाबला होता रहा है । पिछले तीन चुनाव में दोनों दल में उतार-चढ़ाव बना रहा है जबकि बहुजन समाज पार्टी अपने सीमित जनाधार के साथ स्थिर बनी दिखाई देती है। जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उन सीटों में 2008 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के हिस्से 15 सीट आई थी जबकि 2013 में उसका सर्वोच्च प्रदर्शन 22 सीटों का रहा है ।

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इसी तरह कांग्रेस का 2008 के विधानसभा चुनाव में 10 सीट जीतने का रिकॉर्ड रहा है जो 2013 में घटकर 4 सीटों पर पहुंच गया। यह अलग बात है कि कांग्रेस ने दो हजार अठारह के उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करते हुए इन 28 सीटों में 27 सीटें जीती थी और तब भाजपा इनमें से केवल 1 सीट अपने कब्जे में करने में कामयाब रही ।

कांग्रेस और भाजपा की आज भी सीधी टक्कर

पिछले चुनाव में भी कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है । इन सीटों पर कांग्रेस का मतदाता शेयर भी बढक़र 46.22 हो चुका है जबकि दो हजार अठारह के चुनाव में भाजपा को इन सीटों पर 35.82 प्रतिशत समर्थन मिला था। ऐसे में समझा जा सकता है कि इन सीटों पर कांग्रेस और भाजपा की आज भी सीधी टक्कर हो रही है।

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ऐसे में मतदाताओं का फैसला प्रदेश की राजनीति के कई नए पन्नों की इबारत लिखने वाला साबित होगा। मतदाता का जो फैसला होगा उससे प्रदेश की भावी राजनीति पर सर्वाधिक असर पड़ेगा।इन सीटों पर हो रहा है उपचुनाव ग्वालियर-चंबल क्षेत्र -1. मुरैना 2. मेहगांव 3.ग्वालियर पूर्व 4. ग्वालियर 5. डबरा 6. बमोरी 7. अशोक नगर 8. अम्बाह 9. पोहारी 10. भांडेर 11. सुमावली 12. करेरा 13. मुंगावली 14. गोहद 15. दिमनी 16. जौरा*

मालवा-निमाड़ क्षेत्र - 1. सुवासरा 2. मान्धाता 3. सांवेर 4. आगर (भाजपा)* 5. बदनावर 6. हाटपिपल्या 7. नेपानगर

अन्य क्षेत्र - 1. सांची (भोपाल) 2. मलहरा (छतरपुर) 3. अनूपपुर 4. ब्यावरा (राजगढ़)* 5. सुरखी

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