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Gyanvapi Case: कौन हैं सुमित रतन भंते, जो ज्ञानवापी मस्जिद को बता रहे बौद्ध मठ
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष लंबे समय से आमने-सामने है। अब इस मामले में एक और किरदार की एंट्री हो गई है। बौद्ध धर्मगुरू सुमित रतन भंते ने ज्ञानवापी पर बौद्ध धर्म का दावा ठोक दिया है।
Gyanvapi Case: गुरूवार को ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आने के बाद विवादित परिसर का एएसआई सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है। 61 सदस्यों के साथ भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण विभाग की टीम परिसर के अंदर सर्वेक्षण का काम कर रही है। ज्ञानवापी को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष लंबे समय से आमने-सामने है। अब इस मामले में एक और किरदार की एंट्री हो गई है। बौद्ध धर्मगुरू सुमित रतन भंते ने ज्ञानवापी पर बौद्ध धर्म का दावा ठोक दिया है।
भंते का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर इलाका पूर्व में एक बौद्ध मठ था, ऐसे में इसे बौद्ध भिक्षुओं के हवाले कर दिया जाए। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में उनकी ओर से एक याचिका भी दाखिल की जा चुकी है। इसमें दावा किया गया है कि हजारों साल पहले कई बौद्ध मठों को तोड़ा गया और उन्हें मंदिय या अन्य धार्मिक स्थानों में तब्दील कर दिया गया। ज्ञानवापी मस्जिद भी इन्हीं में से एक है, ऐसे में यहां पर सर्वे होना चाहिए।
इन प्रसिद्ध मंदिरों पर भी ठोका दावा
बौद्ध धर्मगुरू सुमित रतन भंते ज्ञानवापी पर ही नहीं रूके उन्होंने हिंदुओं के कुछ अन्य प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों पर भी दावा ठोका है। भंते ने कहा कि हम केदारनाथ, बद्रीनाथ सहित अन्य मंदिरों को लेकर भी याचिका दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर एएसआई ने सही से सर्वे किया तो बौद्ध मठ ही पाया जाएगा। इसलिए सर्वेक्षण के बाद ज्ञानवापी को हमें सौंप देना चाहिए।
सुमित रतन भंते का कहना है कि बौद्ध धर्म सबसे पुराना सनातन से भी पुराना धर्म है। उनके मुताबिक, इस्लाम 1500 साल पहले आया और हिंदू धर्म 1200 साल पहले आया है। मगर बौद्ध धर्म ढ़ाई हजार साल पहले का है। भंते ने कहा कि देश में बौद्ध मठों का भी सर्वे करके उन्हें बौद्ध समाज को वापस करना चाहिए।
कौन हैं सुमित रतन भंते ? (Who Sumit Ratan Bhante)
बौद्ध धर्मगुरू सुमित रतन भंते श्रमण संस्कृति रक्षा संघ के अध्यक्ष हैं। बकौल भंते उनका यह सगंठन देश में बौद्ध समाज और बहुजन समाज के कल्याण के लिए काम करता है। उनपर हो रहे जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाता है। यह संगठन देश के अलग-अलग जगहों पर नियमित रूप से सम्मेलन और अन्य कार्यक्रम आयोजित करवाता है। जहां बौद्ध धर्म से जुड़े मसलों को उठाया जाता है और लोगों को साथ में जोड़ा जाता है।
ज्ञानवापी मामले में क्या चल रहा है ?
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद से हिंदू पक्ष में हर्ष का माहौल है। आज यानी शुक्रवार को एएसआई की टीम विवादित परिसर में सर्वेक्षण का काम दोबारा आरंभ कर चुकी है। सर्वे का काम जल्द से जल्द निपटाने के लिए इस बार पिछली बार से बड़ी टीम को लगाया गया है। हिंदू पक्ष के लोग भी ज्ञानवापी परिसर के अंदर हैं। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने इससे दूरी बना रखी है। अंजुमन इंतजामिया कमिटी की ओर से उच्च न्यायालय के फैसले को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर आज सुनवाई होगी।