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Haryana Congress में गुटबाजी का संकट गहराया,प्रभारी की पहली बैठक में ही खुल गई एकजुटता की कलई
Haryana Congress: कांग्रेस राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पहले से ही संकट से जूझ रही है और अब हरियाणा में भी वही स्थिति पैदा होती दिख रही है।
Haryana Congress: हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी की समस्या दिन-प्रतिदिन गहराती जा रही है। राज्य में विभिन्न गुटों के नेताओं के एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिश का कारण पार्टी का संकट आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है। कांग्रेस राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पहले से ही संकट से जूझ रही है और अब हरियाणा में भी वही स्थिति पैदा होती दिख रही है। राज्य कांग्रेस के नए प्रभारी दीपक बाबरिया की पहली बैठक के दौरान ही राज्य कांग्रेस के नेताओं में भारी टकराव दिखा।
राज्य के कई वरिष्ठ नेताओं के समर्थक अपने-अपने नेताओं के नाम पर जमकर नारेबाजी करते रहे। राज्य में प्रभावी हुड्डा गुट से छत्तीस का आंकड़ा रखने वाली पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा का बैठक छोड़कर चले जाना भी नेताओं में खींचतान और टकराव का बड़ा संकेत माना जा रहा है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में यह टकराव और बढ़ सकता है।
पार्टी में लंबे समय से चल रहा है टकराव
हरियाणा कांग्रेस में लंबे समय से खींचतान चल रही है और पार्टी नेतृत्व नेताओं की गुटबाजी दूर करने में कामयाब नहीं हो सका है। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद अशोक तंवर को हटाकर कुमारी शैलजा को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी मगर उनकी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गुट से कभी पटरी नहीं बैठी। वे हमेशा हुड्डा गुट पर पार्टी के कार्यक्रमों में सहयोग न करने का आरोप लगाती रही। उन्होंने इस संबंध में दिल्ली दरबार में भी शिकायत की थी।
हुड्डा गुट की ताकत को देखते हुए बाद में पार्टी नेतृत्व की ओर से हुड्डा के करीबी माने जाने वाले उदयभान को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई। पिछले साल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई ने भी हुड्डा गुट के प्रभुत्व के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। पार्टी नेतृत्व की ओर से अब दीपक बाबरिया को राज्य कांग्रेस का नया प्रभारी बनाकर संकट को सुलझाने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है। बाबरिया को हरियाणा के साथ ही दिल्ली की कमान भी सौंपी गई है।
प्रभारी की पहली बैठक में ही भिड़ गए नेता
बाबरिया की पहली बैठक के दौरान ही पार्टी की एकजुटता की कलई खुलकर सामने आ गई। चंडीगढ़ में पार्टी दफ्तर में हुई मीटिंग के दौरान विभिन्न गुटों के नेता एक-दूसरे से भिड़ते हुए नजर आए। बाबरिया की एकजुटता की अपील का भी नेताओं पर कोई असर नहीं दिखा। हुड्डा के बेटे और राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा की ओर से जब पार्टी से जुड़े हुए कुछ प्रस्ताव रखे गए तो कुमारी शैलजा ने उन्हें खारिज कर दिया।
वे इन प्रस्तावों पर सहमत नहीं दिखीं। उनका कहना था कि इसके लिए समिति का गठन किया जाना चाहिए। शैलजा भी नाराजगी इस बात से ही समझी जा सकती है कि वे बैठक को बीच में ही छोड़ कर चली गईं। हालांकि बाद में उन्होंने सफाई पेश करते हुए कहा कि जरूरी काम के कारण उन्हें बैठक बीच में ही छोड़कर जाना पड़ा और उन्होंने इस बाबत नेतृत्व को पहले ही सूचना दे दी थी।
नेताओं के समर्थन में जमकर नारेबाजी
कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि मौजूदा समय में हरियाणा कांग्रेस में कई वरिष्ठ नेताओं के अलग-अलग गुट बन चुके हैं। हरियाणा कांग्रेस की बैठक के दौरान इसका नजारा भी दिखा। हुड्डा, सुरजेवाला, शैलजा और उदयभान गुटों की ओर से अपने-अपने नेताओं के समर्थन में जोरदार नारेबाजी भी की गई।
विभिन्न गुटों के समर्थकों की ओर से की जा रही नारेबाजी को लेकर प्रदेश प्रभारी बाबरिया नाराज भी नजर आए और उन्होंने फटकार भी लगाई। हालांकि इसके बावजूद नारेबाजी पर रोक नहीं लग सकी।
हरियाणा के नए प्रभारी के सामने बड़ी चुनौती
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस विभिन्न राज्यों में अपने संगठन को दुरुस्त करने की कोशिश में जुटी हुई है मगर हरियाणा में वरिष्ठ नेताओं की गुटबाजी पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा की प्रदेश कांग्रेस पर मजबूत पकड़ मानी जाती है।
माना जा रहा है कि इस कारण कांग्रेस नेतृत्व हुड्डा गुट की अनदेखी नहीं कर सकता। सियासी जानकारों के मुताबिक हरियाणा कांग्रेस में इस गुटबाजी को खत्म करना प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।