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BJP की बल्ले-बल्ले: चौटाला परिवार में टूट, तो कांग्रेस में फूट

हरियाणा में बीजेपी का लक्ष्य 90 में से 75 सीटें जीतने का है। कई सर्वे में बीजेपी को 70 ज्यादा सीटें दी गई हैं। बीजेपी को लगता है कि वह हरियाणा में आसानी से जीत जाएगी। इसलिए ही उसने अपनी पूरी ताकत महाराष्ट्र विधानसभा में झोक दी है।

Dharmendra kumar
Published on: 26 Aug 2023 7:40 AM IST (Updated on: 26 Aug 2023 7:41 AM IST)
BJP की बल्ले-बल्ले: चौटाला परिवार में टूट, तो कांग्रेस में फूट
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नई दिल्ली: हरियाणा में बीजेपी का लक्ष्य 90 में से 75 सीटें जीतने का है। कई सर्वे में बीजेपी को 70 ज्यादा सीटें दी गई हैं। बीजेपी को लगता है कि वह हरियाणा में आसानी से जीत जाएगी। इसलिए ही उसने अपनी पूरी ताकत महाराष्ट्र विधानसभा में झोक दी है। बीजेपी ने इस बार मेवात में दो मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है।

बीजेपी ने कुश्ती सितारों बबीता फोगाट और योगेश्वर दत्त को भी उम्मीदवार बनाया है। हाकी स्टार संदीप सिंह पर भी दांव लगाया है। इसके साथ टिक टॉक स्टार सोनाली फोगाट को भी टिकट दिया गया है।

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जाकिर हुसैन और नईम अहमद को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। यह दोनों उम्मीदवार इससे पहले चौटाला की पार्टी आईएनएलडी से चुनाव जीता था।

कांग्रेस में फूट का पूरा फायदा बीजेपी को मिल दिख रहा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। इनमें सबसे बड़ा नाम अशोक तंवर का है जो हरियाण कांग्रेस के अध्यक्ष थे।

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मेवात में चौटाला की आईएनएलडी और कांग्रेस अभी जीतती आ रही हैं। बीजेपी ने इसी क्षेत्र में मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा है। नूंह से बीजेपी ने जाकिर हुसैन को चुनाव मैदान में उतारा है, तो वहीं फिरोजपुर झिरका से नईम अहमद उम्मीदवार बनाया है।

कांग्रेस ने चुनाव प्रचार अभियान की जिम्मेदारी हुडडा को दी है और वह जाट हैं। जांटों की संख्या 25 से 27 फीसदी है। कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा है जो दलित हैं जो 20-22 प्रतिशत हैं।

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इसके आलावा पांच से सात फीसद मुसलमान हैं। कुल मिलाकर यह आंकड़ा पचास पार पहुंचता है जो चुनाव जीतने के लिए काफी हैं, लेकिन आए सर्वे में दिख रहा है जमीनी हकीकत कुछ और है। जानकारों के मुताबिक युवा जाट वोटरों की सोच बदली है। वह विकास रोजगार और आगे बढ़ने के मौके तलाश रहे हैं।

जानकारों का कहना है कि बीजेपी को खट्टर सरकार के काम का उतना लाभ नहीं मिलेगा जितना चौटाला परिवार में टूट और कांग्रेम में फूट का मिलेगा।



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Dharmendra kumar

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