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इन दो राज्यों में मोदी के मुकाबले सोनिया की होगी अग्निपरीक्षा

भले ही चुनाव  हरियाणा, महाराष्ट्र में हो रहे हों लेकिन प्रतिष्ठा से जुडे इन नेताओं का सम्बन्ध यूपी से ही है। वाराणसी से सांसद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रायरबेली से सांसद तथा दूसरी बार कांग्रेस अध्यक्ष बनी सोनिया के सामने जो चुनौती है वो यह कि एक को अपने दोनों गढ़ बचाने है और दूसरे को गढ़ भेदने है।

SK Gautam
Published on: 25 May 2023 8:54 AM GMT
इन दो राज्यों में मोदी के मुकाबले सोनिया की होगी अग्निपरीक्षा
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: इस साल हुए लोकसभा के आम चुनाव के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में देश के दो बडे नेताओं की एक बार फिर आमने सामने टक्कर होने जा रही है। यह दोनों ही राष्ट्रीय नेता यूपी से ही है। जी हां, हम बात कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की। दो राज्यों के हो रहे विधानसभा चुनावों में देश के दो दिग्गजों की अग्निपरीक्षा होने जा रही है। इसके पहले हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी थें।

प्रचंड जीत को दोहराने की भाजपा के सामने बड़ी चुनौती है

भले ही चुनाव हरियाणा, महाराष्ट्र में हो रहे हों लेकिन प्रतिष्ठा से जुडे इन नेताओं का सम्बन्ध यूपी से ही है। वाराणसी से सांसद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रायरबेली से सांसद तथा दूसरी बार कांग्रेस अध्यक्ष बनी सोनिया के सामने जो चुनौती है वो यह कि एक को अपने दोनों गढ़ बचाने है और दूसरे को गढ़ भेदने है। इस साल हुए लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी को जो महाजीत मिली है उसे दोहराने की भाजपा के सामने बड़ी चुनौती है। हरियाणा और महाराष्ट्र के हो रहे विधानसभा चुनावों में एक बार फिर धुरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र ही होंगे।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पीएम होने के साथ अपनी पार्टी के स्टार कैम्पेनर माने जाते है। 2014 का लोकसभा चुनाव हो या फिर २०१९ का चुनाव दोनों बार ही जनता पर उनका जादू सिर चढ़कर बोल चुका है। हरियाणा, महाराष्ट्र राज्यों में भाजपा की सरकार है। दोनों ही राज्यों में भाजपा को कांग्रेस से चुनौती मिल रही है। हालांकि हरियाणा में इनेलों और जननायक जनता पार्टी भी इस बार मैंदान में है। जबकि महाराष्ट्र में एक बार फिर शिवसेना और भाजपा मिलकर ही चुनाव लडऩे जा रही है।

सीटों का बंटवारा होना अभी बाकी है। महाराष्ट्र में भाजपा शिवसेना गठबंधन के स्थानीय नेताओं को अपने से ज्यादा भरोसा पीएम नरेन्द्र मोदी पर है। नरेन्द्र मोदी का चेहरा भाजपा में इस समय जीत की गांरटी माना जाता है।

मोदी पर ज्यादा भरोसा

दो बार के लोकसभा चुनाव हो या फिर यूपी का 2017 का विधानसभा चुनाव सबमें मोदी मैजिक ही चला। मोदी मैजिक के चलते ही हरियाणा, महाराष्ट्र राज्यों के भाजपा नेताओं को अपने से ज्यादा मोदी पर भरोसा है।

लोकसभा चुनाव में भले भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्तारूढ़ हो गई हो लेकिन एक-एक करके हांथ से राज्यों का निकलना उसके लिए चिंता का सबब बनता जा रहा है। राजस्थान,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ हांथ से निकलने के बाद भाजपा नेतृत्व की पेशानी पर बल डाल दिया है।

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भाजपा को कोई खुशफहमी नहीं

हालांकि इस साल के हुए लोकसभा चुनाव में मिली सफलता ने उसकी चिंता को जरूर कम कर दिया है लेकिन तीन राज्यों के हांथ से निकलने के बाद अब भाजपा अपने गढ़ को बचाने के साथ ही उन राज्यों में अपना पसीना बहा रही है जहां पहले से ही सत्तारूढ़ है। पिछले साल तीन राज्य हांथ से निकलने के बाद भाजपा को अपने बारे में बहुत खुशफहमी नहीं है।

इसी तरह देश के मुख्य विपक्षी कांग्रेस के लिए हरियाणा, महाराष्ट्र राज्यों के चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं है। पार्टी की दूसरी बार कमान हांथ आने के बाद सोनिया गांधी पर यह चुनाव विरोधियों को सबक सिखाने के साथ ही पार्टी के हताश निराश कार्यकर्ताओं में जोश भरने की उनकी जिम्मेदारी है।

कुछ कर दिखाने का मौका

इस बार के लोकसभा और पिछले चुनाव में मिली पार्टी का करारी शिकस्त से पार्टी के कार्यकर्ताओं नेताओं में कु छ कर दिखाने का यह बेहतर मौका साबित हो सकता है।

इस बार के लोकसभा चुनाव में पार्टी को भले अपेक्षित सफलता न मिली हो लेकिन पिछले साल हुए चार राज्यों के चुनाव में तीन राज्यों में अपना परचम लहराकर कांग्रेस ने साबित कर दिया था कि देश में अकेली वही पार्टी है जो भाजपा को संसद से सड़क कड़ी टक्कर दे सकती है।

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राहुल दे चुके हैं इस्तीफा

इस बार के लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम न मिलने पर राहुल गांधी ने नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। पार्टी के सारे छोटे-बड़े नेताओं के तमाम मानमनौव्वल के बाद भी राहुल दोबारा अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं हुए तो सोनिया गांधी दोबारा पार्टी की अध्यक्ष बनी। अध्यक्ष बनने सोनिया गांधी के सामने यह पहला चुनाव है। एक-एक करके कई राज्यों के हांथ से निकलने के बाद अब कांग्रेस को भरोसा है कि केन्द्र सरकार की नीतियों के खिलाफ लोगों में जो आक्रोश है उसका फायदा उसे इन चुनावों में मिल सकता है।

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