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स्वास्थ्य विशेषज्ञों का बड़ा दावा: सितंबर तक देश से खत्म हो सकती है महामारी

देश में कोरोना से संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या में तेज उछाल के बावजूद भारत को सितंबर मध्य तक कोरोना से राहत मिल सकती है।

Ashiki
Published on: 7 Jun 2020 3:14 AM GMT
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का बड़ा दावा: सितंबर तक देश से खत्म हो सकती है महामारी
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: देश में कोरोना से संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या में तेज उछाल के बावजूद भारत को सितंबर मध्य तक कोरोना से राहत मिल सकती है। देश के दो बड़े स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बैली मॉडल के आधार पर अध्ययन करने के बाद यह बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि सितंबर मध्य तक कोरोना का संक्रमण देश से खत्म हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यह अध्ययन एपीडेमीलॉजी इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

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बैली मॉडल के आधार पर निकाला निष्कर्ष

स्वास्थ्य महानिदेशालय के उप महानिदेशक (पब्लिक हेल्थ) डॉक्टर अनिल कुमार और सहायक उप महानिदेशक (लेप्रोसी) डॉ रुपाली राय ने मैथमेटिकल बैली मॉडल के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। इस अध्ययन में कहा गया है कि कोई भी महामारी तब खत्म हो जाती है जब संक्रमित लोगों की संख्या के बराबर लोग इस बीमारी से ठीक हो जाएं या उनकी मौत हो जाए। इसका मतलब है कि संक्रमितों के बराबर उससे ठीक होने और मरने वालों की संख्या या फिर दोनों की मिलाकर कुल संख्या होनी चाहिए। महामारी के आंकलन के लिए बैली मॉडल रिलेटिव रिमूवल रेट यानी बीएमआरआरआर निकाला जाता है।

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इस आधार पर महामारी से मुक्ति का दावा

यह अध्ययन कोरोना के 19 मई तक के आंकड़ों के आधार पर किया गया है। 19 मई तक देश में 1,06,475 लोग कोरोना से संक्रमित थे जबकि 42,306 लोग इस वायरस के हमले से उबर चुके थे। इस वायरस से मरने वालों की संख्या 3302 थी। इस आधार पर बीएमआरआरआर रेट 42 फ़ीसदी था। डॉ अनिल का कहना है कि कोई भी महामारी तभी खत्म होती है जब बीएमआरआरआर 100 फ़ीसदी हो जाता है। उनका कहना है कि अभी यह 50 फ़ीसदी तक पहुंच चुका है। उनका कहना है कि हमारा आकलन है कि सितंबर के मध्य तक यह सौ फीसदी के करीब पहुंच जाएगा और तब देश के लिए एक राहत भरी खबर यह होगी कि उसे इस महामारी से मुक्ति मिल जाएगी।

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यूरोप के कई देशों में सटीक निकले नतीजे

डॉक्टर अनिल का कहना है कि यूरोप के कई देशों में बीमारी के प्रभाव का आकलन करने के लिए बैली मॉडल की मदद ली गई है। उनका कहना है कि इन यूरोपीय देशों में बैली मॉडल से निकाले गए आकलन बिल्कुल सटीक साबित हुए हैं। हालांकि उनका यह भी कहना है कि आकलन के सही साबित होने में कई अन्य कारक भी प्रभावी भूमिका निभाते हैं। इसलिए नतीजों की 100 फीसदी गारंटी नहीं होती।

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एम्स के निदेशक ने भी किया यह दावा

एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया

इससे पहले एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी अनुमान लगाया था कि जून और जुलाई के दौरान देश में कोरोना वायरस का संक्रमण अपने चरम पर होगा। उनका यह भी कहना है कि देश के लिए एक अच्छी बात यह है कि काफी संख्या में मरीज इलाज के बाद ठीक हो रहे हैं और यहां 90 फ़ीसदी मरीज हल्के लक्षण वाले हैं। डॉक्टर गुलेरिया का भी कहना है कि पीक पर पहुंचने के बाद धीरे-धीरे संक्रमण का असर कम होने लगेगा। डॉक्टर गुलेरिया का यह अनुमान सही साबित होता दिख रहा है क्योंकि जून की शुरुआत के साथ ही देश में मरीजों की संख्या में काफी तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।

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