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हाईकोर्ट ने दिया पूर्व मुख्यमंत्रियों को झटका, जारी किया ये महत्वपूर्ण आदेश
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया था। इसके मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले, गाड़ी आदि के किराए का भुगतान राज्य सरकार की ओर से किए जाने का प्रावधान किया गया।
अंशुमान तिवारी, लखनऊ
नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट के एक आदेश से उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को जबर्दस्त झटका लगा है। हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला, गाड़ी और अन्य सरकारी सुविधाओं में छूट देने के लिए बनाए गए कानून को असंवैधानिक बताया है। इसके साथ ही साथ कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी आदेश दिया है कि वह छह महीने के भीतर सरकारी सुविधाओं का उपभोग करने वाले सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से मार्केट रेट के हिसाब से किराया जमा कराए। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर नेता किराया नहीं जमा करते हैं तो सरकार उनसे वसूली शुरू करे।
राज्य सरकार लाई थी अध्यादेश
नैनीताल हाईकोर्ट ने समाजसेवी अवधेश कौशल की याचिका पर यह आदेश जारी किया है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को राज्य सरकार की ओर से बंगला, गाड़ी और कई अन्य सुविधाएं मिलती थीं। इसके खिलाफ एक समाजसेवी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। पिछले साल मई में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने आदेश दिया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला, गाड़ी आदि सुविधाओं का मार्केट रेट से किराया देना होगा।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया था। इसके मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले, गाड़ी आदि के किराए का भुगतान राज्य सरकार की ओर से किए जाने का प्रावधान किया गया। राज्यपाल ने भी पिछले साल सितंबर में इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट का आदेश बेअसर हो गया था।
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अध्यादेश को दी थी हाईकोर्ट में चुनौती
उत्तराखंड सरकार के इस अध्यादेश के खिलाफ समाजसेवी अवधेश कौशल की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में राज्य सरकार के इस अध्यादेश को पूरी तरह असंवैधानिक बताया गया था। याचिका में उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए अध्यादेश को असंवैधानिक बताया गया था।
यूपी में भी जारी हुआ था ये आदेश
उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह का एक्ट बनाया गया था जिसे सुप्रीम कोर्ट की ओर से रद्द कर दिया गया था। इस याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद गत 23 मार्च को नैनीताल हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। अब हाईकोर्ट ने इस मामले का निस्तारण करते हुए अध्यादेश को असंवैधानिक बताया है। हाईकोर्ट के आदेश से पूर्व मुख्यमंत्रियों को भारी झटका लगा है।
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