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क्या है होला मोहल्ला, जिसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से पंजाब पहुंच रहे लोग
हम बात करें श्री आनंदपुर साहिब की। यहां लगने वाले होला महल्ला की शुरूआत सिखों के 10 और अंतिम गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह जी ने होला महल्ला की परंपरा 1757 इसवी, चैत्र बदी एक्कम को शुरू की थी।
दुर्गेश पार्थ सारथी
श्री आनंदपुर साहिब: देशभर में जहां कोरोना का असर होली पर देखने को मिला। वही पंजाब के श्री आनंदपुर साहिब होला महल्ला अपने पूरे शबाब पर है। होली के एक दिन बाद शुरू होने वाले इस पांच दिवसीय पर्व शामिल होने के लिए देश- विदेश से लाखों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं।
बता दें कि दिल्ली के बाद पंजाब में कोरोना के संभावित खतरे अधिक हैं। इसके बावजूद यहां धार्मिक स्थलों स्वर्णमंदिर, शहीदां साहिब गुरुद्वारा, दुग्यार्णा टेंपल, रामतीरथ और शिवाला मंदिर सहित अन्य धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर लोगा आना बदस्तूर जारी है।
हम बात करें श्री आनंदपुर साहिब की। यहां लगने वाले होला महल्ला की शुरूआत सिखों के 10 और अंतिम गुरु श्री गुरु गोविन्द की परंपरा 1757 इसवी, चैत्र बदी एक्कम को शुरू की थी।
सिख धर्म के त्योहारों में से एक होला महल्ला मनाने की यह परंपरा चली आ रही है। आनंदपुर साहिब सिख धर्म का वह पवित्र स्थल है जहां श्री गुरु गोविन्द सिंह ने पांच जातियों से एक-एक व्यक्ति को अमृत छका कर योद्धा बनाया है। गुरु साहिबान के इन्हीं प्यारों को पांच प्यारे कहा जाता है।
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कोरोना पर भारी आस्था
अंतरराष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान से सटे पंजाब में कोरोना वायरस का संभावित खतरा अधिक है। यहां कोराना के अब तक 23 संदिग्ध पाए गए हैं। इनमें से एक को कोरोना की पुष्टि हो गई है। जबकि, तीन लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव पाई गई है।
वहीं 20 मरीजों की रिपोर्ट आनी बाकी है। ऐसे हालात में भी लोगों का कहना है कि गुरु घर की आस्था पहले बाकी सब बाद में देखा जाएगा। श्री आनंदपुर साहिब जाने वाले लोगों का कहना है कि होला महल्ला के मेले में ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। वहां कोई कोरोना का वायरस नहीं होगा।
दुर्ग्याणा मंदिर में भी रही भक्तों की भीड़
यही नहीं, अमृतसर स्थित दुग्यार्णा मंदिर में ठाकुर ली के साथ होली खेलने के लिए भक्तों की काफी भीड़ रही। यहां भी लोग बिना किसी डर और आशंका के एक दूसरे को अबीर और गुलाल मल रहे थो। हां थोड़ा विदेशी मेहमानों पर हेल्थ डिपार्टमेंट नजर जरूर रखे हुए है।
पर्यटकों के बाघा बार्डर जाने पर रोक
इधर, कोरोना के संभावित खतरे को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय सीमा बाघा बार्डर पर पर्यटों के जाने पर रोक लगा दी गई है। बीएसएफ सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबि यह कदम कोरोना के वायरस को फैलने से रोकने के लिए उठाया गया।
बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि रिट्रीट सेरेमनी तो जारी है। यहां तीनों पोस्टो अमृतसर, फिरोजपुर और फाजिल्का में नेशनल फ्लैग तो रोज चढ़ाए और उतारे जा रहे हैं, लेकिन यहां आम लोगों के आने मनाही है। यह कब तक रहेगी पता नहीं।
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डॉक्टरों की छुट्टियां रद, बसों को सेनेटाइजर से धुलवाया
कोरोना के संभावित खतरों से निपटने के लिए एक तरफ जहां पंजाब सरकार ने प्रदेश की सभी डॉक्टरों की छुट्टियां रद कर दी है। वहीं परिवहन विभाग की फूंक-फूंक कर कदम उठा रहा है। क्योंकि पंजाब में मेलों का सीजन शुरू हो गया है और यह उत्सव बैशाखी तक चलने वाला है। ऐसे में पंजाब रोडवेज की बठिंडा इकाई के प्रबंधकों ने बेडे़ में शामिल 199 बसों को सेनेटाइजर से साफ करवाया है।
वहीं दूसरी ओर अमृतसर स्थित श्री गुरु राम दास अंतराष्ट्रीय एयरापोर्ट से जहां ईटली से आने वाले टूरिस्टों को वापस भेज दिया जा रहा है वहीं अन्य देशों से आने वाले प्रवासी भारतीयों और विदेशी नागरिकों को सेहत विभाग की कड़ी निगरानी में रखा जा रहा है।
पंजाब में शुरू हुआ मेलों का दौर सेहत विभाग चौकन्ना
होला महल्ला से पंजाब में मेलों का दौर शुरू हो गया है। और यह उत्सव बैसाखी तक जारी रहेगा। 108 गुरुद्वारा की पवित्र नगरी आनंदपुर साहिब में पहुंचे भक्त यहां से हिमाचल प्रदेश में स्थित बाबा बड़ भाग सिंह गुरुद्वारा जाएगें। जैसे ही यह मेला खत्म होगा नवरात्र में माता चिंतपूर्णी का मेला शुरू हो जाएगा। इसके खत्म होते ही पंजाब का प्रमुख पर्व बैसाखी का मेला होगा।
इन सब उत्सवों और इसमें शामिल होने वाले लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखेते हुए पंजाब और हिमाचल प्रदेश हेल्थ डिपार्टमेंट में चौकस हो गया है। अस्पतालों में स्पेशल वार्ड बनाने के साथ ही सेहत कर्मियों की मॉकड्रील जारी है।