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इंटरनेशनल नर्स डे: जानिये क्यों खास है ये दिन, कब हुई शुरुआत
कोरोना से आज पूरी दुनिया में प्रभावित है। डॉक्टर अपनी जिम्मेदारियों को उठाते हुए मरीजों के जीवन की रक्षा कर रहें हैं तो वहीं चिकित्सा क्षेत्र में रीढ़ कही जाने वाली नर्सों का योगदान भी उतना ही बड़ा है। 12 मई का दिन नर्सों का ही दिन माना गया है।
नई दिल्ली: कोरोना से आज पूरी दुनिया में प्रभावित है। डॉक्टर अपनी जिम्मेदारियों को उठाते हुए मरीजों के जीवन की रक्षा कर रहें हैं तो वहीं चिकित्सा क्षेत्र में रीढ़ कही जाने वाली नर्सों का योगदान भी उतना ही बड़ा है। 12 मई का दिन नर्सों का ही दिन माना गया है। पूरी दुनिया भर में हर साल, 12 मई को फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल के जन्मदिन को ‘अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। साल 2020 नर्स दिवस की थीम 'विश्व स्वास्थ्य के लिए नर्सिंग है।' यह नर्सों और आमजन को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
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अमेरिका से हुआ शुरू, फिर बना अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस
‘नर्स दिवस’ को मनाने का प्रस्ताव पहली बार अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के अधिकारी ‘डोरोथी सदरलैंड’ ने दिया। बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डी.डी. आइजनहावर ने इसे मनाने की घोषणा प्रदान की। इस दिन को पहली बार 1953 में मनाया गया था। अंतरराष्ट्रीय नर्स परिषद ने इस दिवस को पहली बार वर्ष 1965 में मनाया। नर्सिंग पेशेवर की शुरूआत करने वाली प्रख्यात ‘फ्लोरेंस नाइटइंगेल’ के जन्म दिवस 12 मई को “अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस” के रूप में मनाने का फैसला साल 1974 में लिया गया था।
क्यों खास है नर्सो का ये दिन
नर्सिंग का क्षेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में सबसे बड़ा है। भारत में इतनी जनसंख्या के बीच जहां डॉक्टरों की संख्या भी कम है, इस पेशे की जिम्मेदारियां और भी अधिक बढ़ जाती है। नर्स को शारीरिक तौर पर ही नहीं मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी बहुत मजबूत होना पड़ता है। अपने घर में तो जिम्मेदारी निभानी ही होती है, अस्पताल में भी मरीजों के जीवन की बड़ी जिम्मेदारी इनके कंधों पर होती है है। नर्सों को रोगी की देखभाल करने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जाता है। जब चिकित्सक दूसरे रोगियों को देखने में व्यस्त होते है, तब रोगियों को हफ्ते के सातों तीन और चौबीस घंटे देखभाल के लिए नर्स ही सुलभ होती हैं। नर्स ही रोगियों के मनोबल को बढ़ाने और बीमारी को नियंत्रित करने में सहायक, दोस्त की तरह स्नेह देती हैं। आज के दिन हर नागरिक से उम्मीद की जाती है कि वह नर्सों के प्रति सम्मान अवश्य प्रकट करें।
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भारत में भी राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल अवार्ड
देश में हर साल 12 मई को राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार दिया जाता है। इसकी शुरुआत 1973 में भारत सरकार के परिवार एवं कल्याण मंत्रालय ने की। पुरस्कार से नर्सों की सराहनीय सेवा को मान्यता प्रदान किया जाता है। अब तक कुल 250 के करीब नर्सों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पुरस्कार हर साल देश के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार में 50 हज़ार रुपए नकद, एक प्रशस्ति पत्र और मेडल दिया जाता है।