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आतंकी बिना फोन-इंटरनेट के कैसे कश्मीर में चला रहे खतरनाक नेटर्वक

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से वहां की स्थिति काफी संवेदनशील बनी हुई है। कश्मीर में संचार संबंधी सारी सुविधाएं अभी भी बंद चल रही हैं। पाकिस्तान की गतिविधियों के चलते प्रशासन ने कश्मीर के लिए ये कदम उठाया है।

Vidushi Mishra
Published on: 1 Sep 2019 7:56 AM GMT
आतंकी बिना फोन-इंटरनेट के कैसे कश्मीर में चला रहे खतरनाक नेटर्वक
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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से वहां की स्थिति काफी संवेदनशील बनी हुई है। कश्मीर में संचार संबंधी सारी सुविधाएं अभी भी बंद चल रही हैं। पाकिस्तान की गतिविधियों के चलते प्रशासन ने कश्मीर के लिए ये कदम उठाया है। लेकिन आश्चर्य की बात तो ये है कि घाटी में इंटरनेट सेवा बंद होने के बाद भी पाकिस्तान से कश्मीर के फर्जी वीडियो वायरल किए जा रहे हैं।

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इंटरनेट सेवाएं बंद फिर भी...

आपको बता दें कि पाकिस्तान कश्मीर में इंटरनेट सेवा के बाधित होने के बावजूद भी वीडियो वायरल कर रहा है। तो पाकिस्तान ऐसा इसलिए कर पा रहा है क्योंकि अलगाववादियों के साथ ही स्थानीय आतंकवादियों के साथ उनका संचार चैनल विभिन्न ऑफलाइन ऐप्स और हाई-एनक्रिप्टेड एनॉनमस चैट प्लेटफार्म टॉर के माध्यम से खुला है।

ये प्लेटफार्म जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा एजेंसिंयों और अधिकारियों के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं। जानकारी के लिेेए बता दें कि टॉर दुनिया भर के आंतकवादियों के नेटवर्क और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों में लोकप्रिय है। टॉर लोगों के लोकेशन की जानकारी लेने या ब्राउजिंग हैबिट्स की जासूसी करने से रोकता है।

बिना मोबाइल नेटवर्क के

कंप्यूटर में टोर विंडोज, मैक, लिनक्स और ऐंड्रॉयड के लिए उपलब्ध है। टॉर का प्रयोग प्रदर्शनकारियों को इकट्ठा करने में किया जाता है। क्योंकि इसमें सरकार के साइबर सेल से पकड़े जाने का खतरा नहीं होता है।

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यह वेबसाइटों का विजिट करने पर थर्ड पार्टी ट्रैकर्स और एड को यूजर्स तक पहुंचने नहीं देता है। भारत सरकार ने घाटी में टेलीफोन और इंटरनेट नेटवर्क को पूरी तरह से बंद कर रखा है। लेकिन लोगों को पास इस बंदी में संचार करने के कई तरीके हैं।

चिंता की बात तो यह है कि 'ऑफ-द-ग्रिड' ऐप से लोग एक-दूसरे से बिना मोबाइल नेटवर्क के वाईफाई या ब्लूटूथ के माध्यम से 100-200 मीटर की रेंज में संपर्क कर सकते हैं। यह आईओएस और एंड्रायड के लिए उपलब्ध वॉकीटॉकी ऐप जैसा ही है।

फायरचैट

यह फेसबुक या वॉट्सऐप की तरह है, लेकिन इसमें केंद्रीय सर्वर नहीं है और मेश नेटवर्क चैट की तरह काम करता है। एक रिपोर्ट में कहा गया, ‘मेश नेटवर्क तभी काम करता है, जब दो या अधिक स्मार्टफोन्स एक दूसरे की रेंज में होते हैं। यह दूरी या कवरेज स्मार्टफोन के सिग्नल की मजबूती पर निर्भर करता है।

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यह एक से दूसरे मॉडल में अलग-अलग हो सकता है, जो कि सामान्यत: दो स्मार्टफोन्स के बीच 100 फीट होती है।’ फायरचैट एक और नया ऐप है, जो यूजर्स को बिना इंटरनेट या मोबाइल कवरेज के आपस में संचार करने में सक्षम बनाती है। यह लोगों को एक-दूसरे से जोड़कर विश्व के किसी भी हिस्से में संचार करने में सक्षम बनाती है।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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